उत्तराखंड में भी वक्फ प्रोपर्टीज होंगीं व्यवस्थित, जांच के आदेश

उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की 5362 संपत्तियां, हरिद्वार और देहरादून में सबसे अधिक,मुख्यमंत्री धामी बोले- वक्फ संशोधन कानून के लागू होने से झूठे और अवैध दावों पर लगेगी रोक
वक्फ बोर्ड की कोशिश है कि इन संपत्तियों से प्राप्त आय समाज कल्याण के कार्यों शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबों की सहायता में प्रयोग किया जाए जैसा कि वक्फ कानून में प्रावधान है.
Uttarakhand Waqf Board Property:

Waqf Amendment Bill: CM Dhami said false and illegal claims will be stopped
Waqf Amendment Bill

देहरादून 05 अप्रैल 2025। मुख्यमंत्री धामी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पूर्ण पारदर्शिता, कानूनी स्पष्टता और न्यायिक संतुलन स्थापित करना है। यह विधेयक किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को लाया गया है।

वक्फ संशोधन विधेयक संसद में पारित होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि विधेयक सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुशासन और न्यायिक सुधारों को सशक्त बनाने को निरंतर प्रयासरत है।

धामी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पूर्ण पारदर्शिता,कानूनी स्पष्टता और न्यायिक संतुलन स्थापित करना है। यह विधेयक किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को लाया गया है।

इसके लागू होने से झूठे और अवैध दावों पर रोक लगेगी, जिससे भूमि एवं संपत्ति से जुड़े विवादों का निष्पक्ष समाधान हो सकेगा। साथ ही यह सुनिश्चित होगा कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग न हो और वे समाज के व्यापक हित में उपयोग की जाएं।

प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों को सीमित कर संविधान के दायरे में लाना जरूरी था क्योंकि कांग्रेस की सरकारों ने वोट बैंक के लालच में वक्फ कानून को जमीन अधिग्रहण का एक काकस तैयार कर दिया था। 2013 के संशोधन के बाद 2014 चुनावों में लाभ लेने के लिए दिल्ली की प्राइम लोकेशन की 113 संपत्ति बोर्ड के सरमायेदारों को दे दी थी। भाजपा सरकार ने इस कानून में संशोधन कर इसे पुनः संविधान के दायरे में ला दिया है।

अब इनके किसी भी जमीन कर हाथ रखने से उनकी संपत्ति नहीं होगी। पीड़ित न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। कांग्रेस सरकार ने ये अधिकार भी लोगों से छीन लिया था। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज के ठेकेदार इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद देवभूमि में भी पहले से जारी अवैध कब्जों को खाली करने की हमारी कार्रवाई अधिक तेज हो जाएगी।

उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की कुल 5,362 संपत्तियाँ दर्ज हैं.ये संपत्तियाँ राज्य के 13 जिलों में फैली हुई हैं और इनमें कृषि भूमि, दुकानें,भवन और प्लॉट जैसे विभिन्न प्रकार की संपत्तियाँ शामिल हैं. इन संपत्तियों की देखरेख और उपयोग की जिम्मेदारी उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के पास है,लेकिन लंबे समय से इनमें से कई संपत्तियों पर अतिक्रमण,अव्यवस्था और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगते रहे हैं.

वक्फ बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे अधिक वक्फ संपत्तियाँ हरिद्वार जिले में हैं, जहां 1,926 संपत्तियाँ दर्ज हैं. इसके बाद देहरादून का नंबर आता है, जहां 1,715 संपत्तियाँ पंजीकृत हैं. अन्य जिलों में उधम सिंह नगर में 939, नैनीताल में 452, पौड़ी गढ़वाल में 128, चंपावत में 60, अल्मोड़ा में 94, टिहरी में 17, बागेश्वर में 13, पिथौरागढ़ में 12, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में केवल 2-2 संपत्तियाँ ही दर्ज हैं.

जिला-वार वक्फ संपत्तियाँ इस प्रकार हैं:

जिला संपत्तियों की संख्या हरिद्वार 1,926 देहरादून 1,715 उधम सिंह नगर 939 नैनीताल 452 पौड़ी गढ़वाल 128 चंपावत 60 अल्मोड़ा 94 टिहरी गढ़वाल 17 बागेश्वर 13 पिथौरागढ़ 12 चमोली 2 रुद्रप्रयाग 2 उत्तरकाशी 2 और कुल योग 5,362 है. इनमें से 3,456 संपत्तियाँ करयोग्य (Revenue Generating) हैं.

संपत्ति का प्रकार – संख्या
दुकानें – 2,136
कृषि भूमि – 154
प्लॉट – 153
भवन – 39

वर्तमान में वक्फ संपत्तियों में से कई या तो किराये पर दी गई हैं या फिर अतिक्रमण की चपेट में हैं. कुछ संपत्तियाँ न्यूनतम किराये पर दी गई हैं, जिन्हें बाद में ऊँचे किराये पर उप-लीज पर दिया गया है. इससे वक्फ बोर्ड को राजस्व में भारी नुकसान होता है

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने राज्यभर में अपनी संपत्तियों के निरीक्षण और पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स की ओर से सभी जिलों के वक्फ अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अतिक्रमण, कम किराए, फर्जी लीज और गैरकानूनी कब्जों की जांच कर रिपोर्ट दें. वक्फ बोर्ड की कोशिश है कि इन संपत्तियों से प्राप्त आय को समाज कल्याण के कार्यों जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबों की सहायता में प्रयोग किया जाए,जैसा कि वक्फ कानून में प्रावधान है. हालांकि कांग्रेस ने मजाक उड़या है कि शादाब शम्स और इसके पहले के बोर्ड अध्यक्ष अब तक क्या कर रहे थे?

उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों की संख्या भले ही काफी हो, लेकिन उनका समुचित उपयोग, संरक्षण और पारदर्शिता की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. नया वक्फ बिल इन कमियों को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. अगर इसे सही तरीके से लागू किया गया तो वक्फ संपत्तियों से राज्य में मुस्लिम समुदाय के सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान सुनिश्चित किया जा सकता है.

Waqf Amendment  Bill 2025: उत्तराखंड में सामने आएगी असल तस्वीर, 5388 संपत्ति पंजीकृत; 2071 ही डिजिटाइज्ड

उत्तराखंड में वक्फ संशोधन विधेयक पारण बाद वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण होगा। अभी तक 5388 वक्फ संपदा पंजीकृत हैं जिनमें से केवल 2071 के अभिलेख ही डिजिटाइज्ड हैं। सर्वे से वक्फ संपत्तियों की सही स्थिति सामने आएगी। वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स के अनुसार सर्वे में साफ होगा कि राज्य में वक्फ की असल संपत्तियां कितनी हैं।राज्य में बड़े पैमाने पर वक्फ संपत्तियोंं के अभिलेख ही वक्फ बोर्ड के पास उपलब्ध नहीं है.
देशभर में चर्चा का विषय बने वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद जब इस कानून के प्रविधान लागू होंगे तो उत्तराखंड में स्थित वक्फ संपत्तियों की भी असल तस्वीर सामने आएगी।

अभी तक उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में 2147 वक्फ संपदा पंजीकृत है, जिसमें 5388 अचल संपत्तियां हैं। इनमें भी केवल 2071 के अभिलेख ही अब तक डिजिटाइज्ड हो पाए हैं। अधिकांश संपत्तियों में विवाद है। नया कानून लागू होने पर जब सर्वे होगा तो इसमें सही स्थिति सामने आएगी।

कानून बदला…नहीं बदले उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के हालात, 22 साल में पदों का ढांचा ही नहीं हुआ स्वीकृत

22 साल में आज तक उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के पदों का ढांचा ही स्वीकृत नहीं हुआ है।5388 संपत्तियां चार कर्मचारियों के भरोसे है। पदों के प्रस्ताव कई बार लटके हैं.
देश में वक्फ संपत्तियों के संबंध में कानून तो बदल गया लेकिन उत्तराखंड वक्फ बोर्ड को 22 साल से अपने हालात बदलने का इंतजार है। बोर्ड के पास यूं तो उत्तर प्रदेश के हिस्से से बंटवारे में बड़ी संख्या में संपत्तियां आईं लेकिन उनके सही रख-रखाव संबंधी जिम्मेदारियां उठाने को आज तक कर्मचारी नहीं मिल पाए।

पांच अगस्त 2003 को उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड वक्फ बोर्ड को अलग करते हुए 2032 सुन्नी एवं 21 शिया वक्फ संपत्तियों की जिम्मेदारी सौंपी गई। आज वक्फ बोर्ड के पास 2146 औकाफ और उनकी 5388 संपत्तियां हैं। सरकार ने हाल ही में इन संपत्तियों के संरक्षण, उपयोग, सुधार, पारदर्शिता को वक्फ कानून में संशोधन कर दिया है। लेकिन संपत्तियों के रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कर्मचारियों के प्रस्ताव कागजों में ही हैं।

भर्ती प्रस्ताव  कई बार हुआ 

उत्तर प्रदेश से बंटवारे में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड को संपत्तियां तो मिली लेकिन कोई कर्मचारी नहीं मिल पाया। तब वर्ष 2004 में सरकार से विशेष अनुमति लेकर चार कर्मचारियों (वक्फ निरीक्षक-01, रिकॉर्ड कीपर-01, कनिष्ठ लिपिक-01, अनुसेवक-01) की भर्ती हुई थी। तब से लेकर आज तक वक्फ बोर्ड इनके भरोसे ही चल रहा है।

बोर्ड ने 36 कर्मचारियों की भर्ती का प्रस्ताव पूर्व में कई बार तैयार किया लेकिन बात इससे आगे बढ़ ही नहीं पाई। शासन को कई बार नए पद सृजन करने का प्रस्ताव भेजा जा चुका । इस बीच राज्य में कांग्रेस और भाजपा सरकारें आईं लेकिन वक्फ बोर्ड को कर्मचारी नहीं मिल पाए। इतना जरूर है कि सरकारों ने कई बार वक्फ कानून बदले हैं।

चार अध्यक्ष बने, तीन बार प्रशासक

बोर्ड के गठन के बाद वर्ष 2004 में रईस अहमद पहले अध्यक्ष बने, जिनका कार्यकाल 2007 तक रहा। 2007 से 2010 तक जिलाधिकारी देहरादून बोर्ड के प्रशासक रहे। 2010 से 2012 तक हाजी राव शराफत अली, 2013 से 2015 तक राव काले खां अध्यक्ष रहे। 2016 में ही करीब सात माह तक जिलाधिकारी देहरादून प्रशासक रहे। दिसंबर 2016 से अक्तूबर 2021 तक हाजी मोहम्मद अकरम बोर्ड अध्यक्ष रहे। 28 अक्तूबर 2021 से छह सितंबर 2021 तक आईएएस डॉक्टर अहमद इकबाल यहां प्रशासक रहे। सात सितंबर 2022 से शादाब शम्स बोर्ड अध्यक्ष  हैं।

हमने प्रक्रिया वक्फ कानून संशोधन के कारण रोकी हुई है, अब पद और सेवा नियमावली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।      – शादाब शम्स, अध्यक्ष, उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड

 

*Uttarakhand Waqf Board Chairman, Shadab Shams exposes the corrupt, unconstitutional, illegal Waqf Board, enacted overnight, without debate by Congress to appease their most favorite vote bank.*
*What’s better than hearing from the horse’s mouth.*

 

Tags:
UTTARAKHAND WAQF BOARD,waqf properties, chairman shadab shams

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