अपनी ही चालाकी से दिल्ली में धरा गया हल्द्वानी का खलनायक अब्दुल मलिक,बेटा अभी भी फरार

हल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड गिरफ्तार, दंगा भड़काने के बाद दिल्ली में छिपा बैठा था आरोपी
उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी निलेश भारने ने बताया कि हिंसा के मास्टमाइंड अब्दुल मलिक को पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी हिंसा के बाद से फरार चल रहा था, जिसकी तलाश में पुलिस की कई टीमें लगी हुई थीं. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया था.पुलिस की पकड़ में मलिक अपनी ही चालाकी जो चूक बन गई,के कारण आया और वह चालाकी थी फरारी में अग्रिम जमानत की कोशिश।
नई दिल्ली,24 फरवरी 2024,उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले के बनभूलपुरा में 8 फरवरी को हुई हिंसा का मास्टरमाइंड आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया है. उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी निलेश भारने ने बताया कि हिंसा के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक को पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी हिंसा के बाद से फरार चल रहा था, जिसकी तलाश में पुलिस की कई टीमें लगी हुई थीं. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया था. लेकिन वह पकड़ में आया अपनी फरारी में अग्रिम जमानत याचिका से जो उसकी चूक बन गई। याचिका में याचिकाकर्ता का पता दिल्ली का लिखा था। पुलिस ने वहीं धावा मारकर उसे दबोच लिया।

वहीं आरोपी अब्दुल मलिक ने हल्द्वानी की सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका भी दायर की हुई है, जिस पर 27 फरवरी को सुनवाई होनी है. हालांकि इससे पहले ही पुलिस ने आरोपी को दिल्ली से धर दबोचा है. आरोपी के वकील ने बताया कि उनको पता चला है कि अब्दुल मलिक को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि मलिक का हिंसा से कोई लेना देना नहीं है. जब ये हिंसा हुई, उससे तीन-चार दिन पहले से ही वह हल्द्वानी से बाहर थे.

​हल्द्वानी हिंसा के वांटेड आरोपी अब्दुल मलिक की गिरफ्तारी हो गई है. नैनीताल पुलिस ने दिल्ली के आजादपुर से अब्दुल मलिक को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारी के बाद अब्दुल मलिक की पहली तस्वीर भी सामने आ गई है. इसके साथ ही अब्दुल मलिक की गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम पर भी इनामों की बौछार की गई है.

हल्द्वानी: 8 फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा थाना क्षेत्र में सरकारी भूमि पर बने अवैध मदरसा और नमाज स्थल हटाने का दौरान हुए विवाद व हिंसा और आगजनी के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक को 16 दिन बाद आखिरकार नैनीताल पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल प्रहलाद नारायण मीणा ने खुलासा करते हुए बताया अब्दुल मलिक की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की कई टीमें काम कर रही थी. आज पुलिस टीम को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है.

नैनीताल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मीणा ने बताया पुलिस की एक टीम अब्दुल मलिक के पते पर पहुंची थी. जिसके बाद नैनीताल पुलिस ने हल्द्वानी हिंसा के वांटेड आरोपित अब्दुल मलिक को दिल्ली के आजादपुर से गिरफ्तार किया है. अब्दुल मलिक का बेटा मोईद अभी भी फरार चल रहा है. जिसकी तलाश में पुलिस की टीम लगी हुई है.

नैनीताल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया अब्दुल मलिक किन-किन ठिकानों पर छुपा था? किन लोगों ने उसे शरण दी इसकी भी जांच की जा रही है. अब्दुल मलिक को पकड़ने वाली पुलिस टीम को पुलिस महानिदेशक ने ₹50000, डीआईजी कुमाऊं के तरफ से ₹5000, एसएसपी नैनीताल ने ढाई हजार नाम दिया है. इसके अलावा हल्द्वानी पुलिस ने हिंसा के तीन अन्य आरोपियों को भी हल्द्वानी से गिरफ्तार किया है. जिनके द्वारा पुलिस की गाड़ियों में आगजनी की गई थी. अभी भी हिंसा के कई आरोपियों की तलाश जारी है. पुलिस के मुताबिक बनभूलपुरा हिंसा में अभी तक अब्दुल मलिक सहित 81 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.

बता दें कि इससे पहले हल्द्वानी नगर निगम ने कार्रवाई करते हुए 8 फरवरी को हुई हिंसा के मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक के खिलाफ सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के आरोप में वसूली का नोटिस जारी किया था. यह वसूली नोटिस कुल 2.44 करोड़ रुपये का था, जिसमें मलिक के समर्थकों पर ‘मलिक का बगीचा’ में अतिक्रमण हटाने गई टीम पर हमला करने और नगर निगम की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की बात कही गई है

बसपा से लोकसभा चुनाव लड़ चुका है अब्दुल मलिक

बलभूनपुरा हिंसा के मुख्य आरोपी एवं साजिशकर्ता ने अकूत संपत्ति इक्कठा की हुई है. मोटा पैसा जमा करने के बाद मलिक ने नेता बनने का सपना देखा था. वह साल 2004 में फरीदाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए बसपा से टिकट लाकर चुनाव भी लड़ चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मलिक को नामांकन के अंतिम दिन टिकट मिला था और नॉमिनेशन फाइल करने के दौरान उसके साथ 100 लोगों की टीम थी. इस चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा था. उस साल इस सीट से कांग्रेस को जीत मिली थी. तब फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में मेवात भी शामिल था.

 

शहर में भड़क गया था दंगा

मलिक पर एक “अवैध संरचना” का निर्माण कराने का आरोप है, जिसे हटाने के दौरान शहर में हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा में छह लोगों को मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे जिसमें कई पुलिसकर्मी और मीडिया के लोग भी थे. हिंसा के दिन (8 फरवरी) शहर में दंगा भड़क गया था जिसके बाद पुलिस बल और नगर निगम के कर्मचारियों पर हमला और एक पुलिस स्टेशन में आग लगाने की घटना को अंजाम दिया गया था. मदरसा और पास मौजूद एक निकटवर्ती संरचना, जिसका इस्तेमाल प्रार्थना के लिए होता था, को हटाने के क्रम में हुई हिंसा के दौरान पांच कथित दंगाइयों सहित छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 60 लोग घायल हो गए थे.

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