महाराष्ट्र में स्वराज्य को जनांदोलन बनाने को तिलक ने शुरू किया था गणेशोत्सव

*🇮🇳 युवा पीढी के प्रेरणा स्रोत*
*🇮🇳 लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक*

गणेशोत्सव एक धार्मिक उत्सव है लेकिन महाराष्ट्र में इसे अंग्रेजों के विरुद्ध सामाजिक आंदोलन बनाने को लोकमान्य तिलक ने शुरू कराया था जिसका अंग्रेजों के पास कोई तोड़ न था।
“स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा। राष्ट्र जागरण मैं अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उस महान राष्ट्रभक्त को जब जब भी याद करते हैं तो शरीर में राष्ट्रप्रेम की अविरल धारा फूट पड़ती है जिसने स्वराज को लेकर जो बिगुल बजाया वह आज भी हमारा मार्ग प्रशस्त कर रहा है। स्वदेशी अपनाकर हम हमारे राष्ट्र को अपने पैरों पर खड़ा कर सकते हैं तथा किसी के आगे हमें झुकने की आवश्यकता ना पड़े इसलिए आवश्यकता है हम आत्मनिर्भर बने, ऐसा संदेश देने वाले उस माँ भारती के वीर सपूत,बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 18 56 को रत्नागिरी महाराष्ट्र में हुआ। इनका पूरा नाम केशव गंगाधर तिलक था ।इनका मध्यम परिवार था। पिता का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था। वे संस्कृत के शिक्षक थे तथा माता का नाम पार्वती बाई था। तिलक जब 10 वर्ष के थे तब उनके पिता रत्नागिरी से पुणे आ गए। पुणे आने के कुछ समय बाद इनकी माता का निधन हो गया तथा 16 साल की आयु में पिता का साया भी उठ गया । उनके पिता व परिवार ने कभी भी नहीं सोचा था कि उनका वॊ बालक एक दिन राष्ट्र के निर्माणकर्ताओं में शुमार होगा, राष्ट्रवाद को जाग्रत कर हर भारतीय के अंदर स्वराज का दीप जलाएगा।

📝 तिलक गरम दल के नेता थे। वह बचपन से ही अंग्रेजों की दमनकारी नीति का विरोध करते आए,जब वह कांग्रेस में शामिल हुए वहाँ भी उन्होंने पुरजोर तरीके से अंग्रेजों की नीतियो का विरोध किया तथा अपनी आवाज को बुलंद किया । पहली बार जब तिलक को राजद्रोह के आरोप में अंग्रेज़ों ने जेल भेजा तो जेल की यातनाएँ भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाई, बल्कि उनके अंदर एक नई ऊर्जा का संचार हुआ तथा प्रखर राष्ट्रवाद की भावना को लेकर जेल से बाहर आए । उन्होंने देशवासियों को जागृत कर अंग्रेजी दासता से मुक्त होने और स्वदेशी को लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्हें अपने कार्य क्षेत्र में कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा, लेकिन वह विचलित नहीं हुए। आज की युवा पीढ़ी को तिलक के इन बातों से यह शिक्षा लेना चाहिए कि अगर हम किसी लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ते हैं तो हमें सफलता अवश्य मिलती है। रास्ते में कई बाधाएं अवश्य आती है जो हमारे मार्ग को बाधित करती है, लेकिन हमें विचलित हुए बिना अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहना है ,तभी हम सफल हो सकते हैं। देशप्रेम व स्वराज के लिए की गई उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए लोगों ने उन्हे लोकमान्य की उपाधि से सम्मानित किया।, लोकमान्य यानि सर्वजनमान्य नेता। ब्रिटिश काल में धार्मिक और सामाजिक आयोजनों को सामूहिक रूप से मनाने पर प्रतिबंध था, लेकिन लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ही थे जिन्होंने देश की धार्मिक परंपराओं को विशाल स्तर पर मनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। गणेश उत्सव प्रथम बार बाल गंगाधर तिलक के माध्यम से ही मनाया गया। तिलक की इसके पीछे सोच यह थी कि लोगों को एक जगह एकत्रित कर हम राष्ट्रवाद को प्रभावी तरीके से जागृत कर सकते हैं। वही अंग्रेजों की इसके पीछे सोच यह थी कि एक स्थान पर अगर व्यक्ति एकत्र होगे तो राष्ट्रवाद की भावना इन धार्मिक आयोजनों के माध्यम से प्रभावी तरीके से जागृत हो सकती है। तिलक, जिनके रोम रोम में स्वराज व देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी, बहुत मेधावी गणितज्ञ और वेदविज्ञानी इतिहासकार भी थे जिन्होंने आर्यों के मूल स्थान पर मौलिक स्थापना की।

📝 वह सोते हुए देशवासियों को जगाना चाहते थे। वह भारतमाता को अंग्रेजों की दासता से मुक्त करना चाहते थे। तिलक अधिवक्ता के अलावा लेखक व संपादक थे। उन्होंने अपनी प्रखर लेखनी के माध्यम से जनसेवा कि, लोगों को जागरूक किया तथा सोए हुए देशवासियो को जागृत किया, अंग्रेजों की जड़ें हिलाने के लिए अपनी कलम को हथियार बनाया।ज्ञआज की पत्रकारिता की बात करें तो वह जनसेवा कम व्यवसाय अधिक हो गया है। आज की युवा पीढ़ी को लोकमान्य बाल गंगाधर के जीवन चरित्र से शिक्षा लेकर देश सेवा में अपने आप को समर्पित करना चाहिए ।” देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखे” इस भावना को लेकर आगे बढ़ेंगे, तभी हम देश को विकास की बुलंदियों पर ले जा सकते हैं। तिलक के उन महान कार्यो की बदौलत महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें भारतीय क्रांति का जनक कहा। आज 164 साल बाद भी बाल गंगाधर तिलक की राष्ट्रसेवा के लिए कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें नमन करता है तथा युवा पीढ़ी को आव्हान करता है की वह बाल गंगाधर तिलक के बताए हुए मार्ग पर चलकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान निभाए।

✍️ *सुनील कुमार शर्मा*
🇮🇳 *मातृभूमि सेवा संस्था* 🇮🇳 *9414403937*

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