भारत पर कुल बाहरी कर्ज 559 अरब डॉलर,वैश्विक कर्जदारों में 8वें नंबर पर

मोदी राज में इतना बढ़ा कर्ज, जानें दूसरे देशों को भारत ने कितना दिया लोन

सॉफ्ट लोन के बारे में

किसी भी देश के लिए सॉफ्ट लोन पड़ोसियों में राजनीतिक दबदबा कायम रखने का एक महत्वपूर्ण जरिया रहा है. चीन इसे एक हथियार के तौर पर अपने पड़ोसी देशों पर इस्तेमाल करता है. यही कारण है कि आज नेपाल, पाकिस्तान और मालदीव जैसे देश चीन के बड़े कर्जदार बन गए हैं.

चीन के षड्यंत्र पर भारत की चोट

दरअसल, कोरोना की वजह से मालदीव की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा है.भारत ने कर्ज से जूझ रहे पड़ोसी देश मालदीव को 25 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता दी है.जबकि मालदीव पर चीन का 3.1 अरब डॉलर का बड़ा कर्ज है.वहीं मालदीव की पूरी अर्थव्‍यवस्‍था करीब 5 अरब डॉलर की है.भारतीय मदद को चीन के खिलाफ रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है.

भारत मदद के लिए तैयार

विकास के लिए मदद का हाथ बढ़ाना भारत के लिए कोई नई बात नहीं है.खासकर पड़ोसियों की मदद के लिए भारत हमेशा तैयार रहता है.भारत के विभिन्न देशों को दिए जाने वाले कर्ज में पिछले कुछ वर्षों में काफी वृद्धि हुई है.भारत ने 2013-14 में विभिन्न देशों को 11 अरब डॉलर का कर्ज दिया,जो वित्त वर्ष 2018-19 में 7267 करोड़ रुपये हो गए.वहीं 2019-20 में यह आंकड़ा बढ़कर 9069 करोड़ रुपये हो गया.हालांकि,भारत ज्यादातर कर्ज एशिया,अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों को देता है,जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं.

भारत पर कर्ज

अगर बात करें कि भारत के ऊपर कितना कर्ज है, तो मार्च 2020 में समाप्त हुई तिमाही में भारत का विदेशी कर्ज मुद्रा मूल्यांकन प्रभाव और वाणिज्यिक उधारी और अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के डिपॉजिट्स के कारण बढ़कर 558.5 अरब डॉलर रहा.देश का कुल बाहरी कर्ज मार्च-2020 के अंत तक 2.8 प्रतिशत बढ़कर 558.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

कर्ज बढ़ने की वजह

वित्त मंत्रालय के मुताबिक वाणिज्यिक ऋण बढ़ने से देश पर कुल बाहरी कर्ज बढ़ा है. मार्च- 2019 के अंत तक कुल बाहरी कर्ज 543 अरब डॉलर था. रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च 2020 के अंत तक बाहरी कर्ज पर विदेशी मुद्रा भंडार अनुपात 85.5 प्रतिशत था. एक साल पहले समान अवधि में यह 76 प्रतिशत था.

भारतीय बाजार को विस्तार देने की कोशिश

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर उभरते बाजारों में अर्थव्यवस्था के विस्तार पर विदेशी कर्ज बढ़ता है, जिससे घरेलू बचत में कमी को पूरा किया जाता है. भारत इस मामले में अपवाद नहीं है.

वर्ल्ड बैंक से लोन

कोरोना संकट के बीच भारत ने वर्ल्ड बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से कर्ज लिया है. वर्ल्ड बैंक ने माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) की मदद के लिए 75 करोड़ अमेरिकी डॉलर का लोन देने का ऐलान किया. वहीं भारत में शिक्षा में सुधार से जुड़े कार्यों के लिए करीब 3,700 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी.

एडीबी बैंक से मदद

इसके अलावा पिछड़े और गरीब तबकों के लिए वर्ल्ड बैंक ने इस महामारी के दौरान 7500 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया. जबकि कोरोना संकट के शुरुआती दौर में विश्व बैंक ने लोन के तौर पर 1 अरब डॉलर जारी किए थे. वहीं देश में विश्‍वव्‍यापी कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए भारत ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से 1.5 अरब डॉलर (11 हजार करोड़ रुपये) का कर्ज लिया है.

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देशों को विकास के लिए और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए बड़ी वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेना पड़ता है. हर देश पर कहीं न कहीं कर्ज है. आइए जानते हैं दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज से दबे हुए 5 मुल्क कौन से हैं?
देशों को विकास के लिए और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए बड़ी वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेना पड़ता है. हर देश पर कहीं न कहीं कर्ज है. आइए जानते हैं दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज से दबे हुए 5 मुल्क कौन से हैं?

इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के मुताबिक सबसे ज्यादा कर्ज

इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के मुताबिक सबसे ज्यादा कर्ज में दबे हुए टॉप 5 मुल्कों की सूची में पांचवें स्थान पर फ्रांस मौजूद है. फ्रांस के ऊपर 2736 अरब डॉलर का कर्ज है.
इस लिस्ट में चौथे स्थान पर इटली का नाम है. इटली पर कुल 2744 अरब डॉलर का कर्ज है. दुनिया के कुल कर्ज में उसकी हिस्सेदारी 4% है.

सबसे ज्यादा कर्ज से दबे हुए मुल्कों की सूची में तीसरे स्थान पर चीन का नाम है. चीन के ऊपर कुल 6764 अरब डॉलर का कर्ज है.

इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर जापान का नाम है.जापान के ऊपर कुल 11788 अरब डॉलर का कर्ज है.जो दुनिया के कुल कर्ज का 17% है.

इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के मुताबिक सबसे ज्यादा कर्ज में दबे हुए टॉप 5 मुल्कों की सूची में पहले स्थान पर अमेरिका है.अमेरिका के ऊपर कुल 21465 अरब डॉलर का कर्ज है.

भारत की बात करें तो इस लिस्ट में भारत का स्थान आठवां हैं. भारत के ऊपर कुल 1851 अरब डॉलर का कर्ज है. जो दुनिया में लिए गए कुल कर्ज का 2.7% है.