उत्तराखंड लोकसेवा (महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण) विधेयक और 5440 करोड़ का अनुपूरक बजट प्रस्तुत

Uttarakhand Assembly Winter Session 2022 Today CM Pushkar Singh Dhami All Updates
Uttarakhand Assembly Session: पहले दिन सदन में पेश हुए 10 विधेयक और 5440 करोड़ का अनुपूरक बजट
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने सभी दलों के विधायकों से सदन की गरिमा बनाने के लिए शब्दों और आचरण का ध्यान रखने की अपील की।
उत्तराखंड विधानसभा सत्र में बजट पेश करने जाते मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री

उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है। सत्र पांच दिसंबर तक चलेगा। पहले दिन प्रदेश में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को लेकर उत्तराखंड लोक सेवा(महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 समेत 10 विधेयक सदन में पेश किए गए। विधेयक बुधवार को पास होंगे। वहीं, 5440.43 करोड़ का अनुपूरक बजट भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी धामी और वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने पेश किया।

वहीं, प्रदेश सरकार धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून ला रही है। संस्कृति व धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने सदन में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया। इस विधेयक में सामूहिक धर्मपरिवर्तन का दोष सिद्ध होने पर 10 साल की गैरजमानती सजा का प्रावधान किया गया है।

विपक्ष का सांकेतिक वॉकआउट, कुछ सदस्य नहीं गए बाहर

सदन में विपक्ष ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सांकेतिक वॉकआउट किया, लेकिन कुछ विपक्षी सदस्य सदन से बाहर नहीं गए। सदन में अंकिता हत्याकांड, मंत्री की हत्या का षड्यंत्र, ज्येष्ठ प्रमुख की पत्नी की हत्या समेत कई विषय गरमाए। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने सभी आरोपों के जवाब दिए, लेकिन विपक्ष असंतुष्ट दिखा।

आदेश चौहान की धमकी:कार्रवाई नहीं हुई तो विधानसभा के आगे करूंगा आत्मदाह

विधानसभा सत्र के पहले दिन सदन में विशेषाधिकार हनन के मामले भी गरमाए रहे। कांग्रेस विधायक आदेश चौहान ने कार्रवाई न होने पर विधानसभा के बाहर आत्मदाह की चेतावनी तक दे डाली। वहीं, हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने भी विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया। पीठ ने इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए सरकार को जांच के आदेश दिए।

सदन की कार्यवाही के दौरान जसपुर विधायक आदेश चौहान ने ऊधमसिंह नगर पुलिस पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से घोषणा की गई थी कि सूदखोरों के खिलाफ अभियान चलाया जाए। उन्होंने भी सूदखोरी के मामले की शिकायत पुलिस से की थी, लेकिन ऊधमसिंह नगर पुलिस ने उल्टा उन्हें ही आरोपित बना दिया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आदेश पर उनका गनर वापस बुला उनकी सुरक्षा से खिलवाड़ किया गया। उनकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद रिपोर्ट तो दर्ज हो गई, लेकिन पुलिस ने षड्यंत्र में  आरोपित की तरफ से उनके खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज कर दी।

चौहान ने कहा कि जिले में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। अन्य मामले में विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठाते हुए हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि उनकी विधानसभा क्षेत्र में एडीबी से तमाम विकास कार्य किए जा रहे हैं। नोडल एजेंसी की ओर से इस बाबत 12 बैठकें आयोजित की गईं, लेकिन उन्हें एक भी बैठक में नहीं बुलाया गया। पीठ के निर्देशों के बाद भी अनदेखी की गई। मुख्यमंत्री की एक बैठक में उनके और समर्थकों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए पीठ की ओर से सरकार को जांच के निर्देश देने के साथ ही रिपोर्ट देने के आदेश दिए गए।

हमारी सरकार उत्तराखंड की मातृशक्ति के हितों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए प्रतिबद्ध है। राजकीय सेवाओं में उनके 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को संरक्षित करने के लिए हमने विधेयक पारित कराने को विधानसभा  पटल पर रख दिया है।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

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