उत्तराखंड कोरोना 06 अगस्त: नये केस 29, ठीक हुए 48, सक्रीय केस 513

उत्तराखंड में कोरोना: 24 घंटे में मिले 29 संक्रमित, एक भी मरीज की मौत नहीं, 48 हुए ठीक
शुक्रवार को प्रदेश में तीन जिलों अल्मोड़ा, चंपावत और नैनीताल में एक भी संक्रमित मरीज सामने नहीं आया ह।

देहरादून 06अगस्त। उत्तराखंड में बीते 24 घंटे में 29 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं। वहीं एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है। जबकि 48 मरीजों को ठीक होने के बाद घर भेजा गया। वहीं, सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 513 पहुंच गई है।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, शुक्रवार को 26526 सैंपलों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। तीन जिलों अल्मोड़ा, चंपावत और नैनीताल में एक भी संक्रमित मरीज सामने नहीं आया है। वहीं, बागेश्वर में दो, चमोली, पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी में एक-एक, देहरादून,  पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग में पांच-पांच, हरिद्वार व ऊधमसिंहनगर में चार-चार, संक्रमित मरीज मिले हैं।

प्रदेश में अब तक कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या 342336 हो गई है। इनमें से 328419 लोग ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में कोरोना के चलते अब तक कुल 7367 लोगों की जान जा चुकी है। इसमें एक मौत बीते दिनों की शामिल की गई है।

हरिद्वार में टीकाकरण का आंकड़ा पहुंचा सात लाख के पार

कोरोना टीकाकरण ने रफ्तार पकड़ी तो जनपद में टीका लगवाने वालों का आंकड़ा भी सात लाख के पार पहुंच गया। जुलाई में ही एक लाख 37 हजार लोगों का टीकाकरण किया गया।

कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से तेजी के साथ टीकाकरण किया जा रहा है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत भी 31 दिसंबर तक शत प्रतिशत टीकाकरण का दावा कर रहे हैं।

उधर, लोगों में जागरूकता आने से वह भी बड़ी संख्या में केंद्रों पर टीकाकरण केे लिए पहुंच रहे हैं। लोगों की भीड़ इस कदर उमड़ रही है कि टीका कम पड़ रहा है। कई जगह डोज खत्म होने से दोबारा से मंगानी पड़ रही है।

16 जनवरी से शुरू हुए टीकाकरण की रफ्तार धीमी होने से छह महीने 20 दिन में यानी 30 जून तक 5 लाख 50 हजार 694 लोगों को ही टीका लग पाया था। मगर जुलाई माह में बड़ी मात्रा में टीकाकरण होने से 31 जुलाई तक 6 लाख 87 हजार 766 लोगों को टीका लगाया जा चुका था। एक जुलाई से पांच अगस्त तक की अवधि में 1 लाख 69 हजार 536 लोगों को टीके लगाए गए। अब पांच अगस्त तक जनपद में 7 लाख 20 हजार 230 लोगों को टीकाकरण किया जा चुका है।

एसीएमओ डॉक्टर अजय कुमार का कहना है कि लोगों में टीकाकरण कराने को काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी पर्याप्त मात्रा में टीकाकरण कराया जा रहा है। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में टीकाकरण में और तेजी आएगी।

कोरोना की फर्जी जांच रिपोर्ट मामले में मुकदमा, दून मेडिकल कालेज से जुड़ा है मामला

दून मेडिकल कालेज से जुड़े कोरोना फर्जी जांच रिपोर्ट मामले में थाना पटेलनगर में मुकदमा दर्ज हुआ है। कालेज प्रबंधन इस प्रकरण में उपनल के माध्यम से तैनात एक लैब तकनीशियन पर कार्यवाही कर चुका है। विभागीय जांच के आधार पर उसकी सेवा समाप्त कर दी गई थी।

कोरोना की फर्जी जांच रिपोर्ट मामले में मुकदमा, दून मेडिकल कालेज से जुड़ा है मामला दून मेडिकल कालेज से जुड़े कोरोना फर्जी जांच रिपोर्ट मामले में थाना पटेलनगर में मुकदमा दर्ज हुआ है।

दून मेडिकल कालेज से जुड़े कोरोना फर्जी जांच रिपोर्ट मामले में थाना पटेलनगर में मुकदमा दर्ज हुआ है। कालेज प्रबंधन इस प्रकरण में उपनल के माध्यम से तैनात एक लैब तकनीशियन पर कार्यवाही कर चुका है। विभागीय जांच के आधार पर उसकी सेवा समाप्त कर दी गई थी। वहीं, पुलिस में मुकदमा अज्ञात के खिलाफ दर्ज किया गया है

बीती 24 मई को विनय कुमार नाम के व्यक्ति की रिपोर्ट में उसे कोरोना पाजिटिव दिखाया गया था। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. केसी पंत को इस रिपोर्ट में कुछ बातें खटकीं। रिपोर्ट में न केवल शाब्दिक गलतियां थीं, बल्कि रिपोर्ट से अनिवार्य क्यूआर कोड भी गायब था। उन्होंने रिपोर्ट को सत्यापन के लिए भेजा तो पता चला कि मूल रिपोर्ट महाराष्ट्र के 21 वर्षीय किसी व्यक्ति की है। पड़ताल करने पर पता चला कि ऐसे कई मामले हैं। बताया गया कि प्रत्येक प्रयोगशाला और अस्पताल में बहुत कम व्यक्ति आइसीएमआर पोर्टल को एक्सेस कर सकते हैं। पोर्टल पर ही परीक्षण के परिणाम अपडेट किए जाते हैं।

प्रत्येक रिपोर्ट में तीन आइडी होती हैं जिनमें आइसीएमआर आइडी, एसआरएफ (सैंपल रेफरल फार्म) आइडी और रोगी की आइडी शामिल है। न तो इन आइडी में फेरबदल किया जा सकता है और न ही टेस्ट के परिणाम में। रिपोर्ट अपलोड होने के बाद जरूर नाम, उम्र और लिंग में बदलाव संभव है। यह भी वही व्यक्ति कर सकता है, जिसके पास पोर्टल पर एक्सेस है। ऐसे में मूल डाटा में नाम आदि परिवर्तित कर रिपोर्ट बनाई गई। पुलिस ने चिकित्सा अधीक्षक की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

कई हित साधे जा सकते हैं फर्जी रिपोर्ट से

फर्जी कोरोना रिपोर्ट के आधार पर व्यक्ति अपने कई हित साध सकता है। किसी यात्रा, परीक्षा में बैठने या फिर वापस ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए निगेटिव रिपोर्ट इस्तेमाल की जा सकती है। वहीं पाजिटिव रिपोर्ट का फायदा व्यक्ति किसी चिकित्सकीय दावे या अवकाश आदि के लिए उठा सकता है। पुलिस इन तमाम पहलू पर भी जांच कर रही है।

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