उप्र पंचायत चुनाव:2008 घोषित जिला पंचायत सदस्यों में 918 भाजपा के,456 पर आगे

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव : जिला पंचायतों में भाजपा को भारी बढ़त, 918 प्रत्याशी जीते, 456 के नतीजे बाकी
यूपी पंचायत चुनाव : जिला पंचायतों में भाजपा को भारी बढ़त, 918 प्रत्याशी जीते, 456 के नतीजे बाकी
लखनऊ 03 मई।जिला पंचायत वार्डों के चुनाव में भाजपा को भारी बढ़त मिली है। अब तक घोषित 2008 सीटों में से भाजपा 918 सीटें जीत चुकी है, 456 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी निकटम प्रतिद्वंदी से आगे चल रहे हैं। चुनाव जीतने के साथ ही करीब 400 निर्दलीय भी भाजपा के संपर्क में हैं। इस भारी बढ़त से राज्य के अधिकांश जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर भाजपा की जीत आसान होती नजर आ रही है। इस जीत का श्रेय प्रदेश द्वारा गांव व ग्रामीणों के विकास के लिए किए जा रहे विकास कार्यों को माना जा रहा है। जिला पंचायत सदस्य चुनाव में विपक्षी दलों की सीटों को जोड़ा जाए तो भी प्रदेश की अन्य पार्टियां भाजपा के बराबर सीटें नहीं जीत पाई हैं। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी और बीएसपी के कई दिग्गज नेताओं के सगे संबंधियों को हार का सामना करना पड़ा है। सपा के कद्दावर नेता और नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी के बेटे अपनी सीट नहीं बचा पाए।

अब तक के आए नतीजों के से प्रदेश की योगी सरकार को गांवों की सरकार का भरपूर समर्थन मिलता दिख रहा है। माना जा रहा था कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के कारण पंचायत चुनाव में भाजपा को करारी हार मिलेगी, लेकिन यहां के चुनाव नतीजे बता रहे हैं कि भाजपा पर इस आंदोलन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। लोगों ने बढ़चढ़ योगी सरकार का समर्थन किया है और गांवों में कमल को खिलाया है।

भाजपा ने जिला पंचायत की 3050 सीटों के पर उम्मीदवार उतारे थे। मतगणना के पहले दिन रविवार को ही भाजपा समर्थित 172 प्रत्याशी जीत दर्ज कर चुके थे। वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा समर्थित 44 जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशी जीते हैं। अधिकांश चुने हुए प्रधान और बीडीसी सदस्य योगी सरकार में अपनी आस्था व्यक्त कर चुके हैं।

किसान आंदोलन का असरः वेस्ट UP के कई इलाकों में पंचायत चुनाव में भाजपा का नहीं खुला खाता,RLD को संजीवनी

किसान आंदोलन का असरः वेस्ट UP के कई इलाकों में पंचायत चुनाव में भाजपा का नहीं खुला खाता, RLD को मिली संजीवनी

मेरठ समेत पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का पंचायत चुनाव में साफ असर दिखा। भाजपा प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। वहीं रालोद को संजीवनी मिली। बसपा, सपा के प्रति भी मतदाताओं का झुकाव दिखा। मेरठ में मवाना-हस्तिनापुर, दौराला में भाजपा का खाता भी नहीं खुला। अन्य इलाकों में भी कांटे की टक्कर है। वैसे जिला पंचायत के चुनाव में साफ दिख रहा है कि आम लोग सत्ता से नाराज हैं। पहली बार भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस, रालोद ने समर्थित प्रत्याशियों की घोषणा की। यह दलगत घोषणा भाजपा के लिए ठीक नहीं रही।

मेरठ जिले में ही जिला पंचायत की सभी 33 सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशी उतारे। वहीं रालोद और सपा ने 23-23 प्र्त्याशी उतारे। बसपा ने भी इतने ही उतारे। अब तक घोषित छह नतीजों में सपा और रालोद ने तीन-तीन सीटें जीत ली हैं। मतगणना के रुझानों के अनुसार मेरठ में 33 वार्डों में से भाजपा की अब तक छह सीटों पर बढ़त है। वहीं नौ सीटों पर रालोद, छह सीटों पर सपा, चार सीटों पर बसपा समर्थित प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। अन्य में निर्दलीय आगे हैं।

इसी तरह स्थिति सहारनपुर,मुजफ्फरनगर,शामली,बुलंदशहर, बागपत,हापुड़ और बिजनौर में भी है। सहारनपुर में इस बार भाजपा फायदे में दिख रही है,जबकि बसपा और कांग्रेस को नुकसान हो रहा है। 49 सीटों में से भाजपा छह पर जीत चुकी है और 10 पर आगे चल रही है, जबकि पिछली बार छह सीटें ही थीं।

शामली में रालोद ने भाजपा को लगभग घुटनों पर ही ला दिया है। भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष और प्रदेश राज्यमंत्री के गृह जनपद के होने के बावजूद 19 सीटों में 8 सीटों पर रालोद जीत दर्ज करा चुकी है, जबकि भाजपा मात्र 6 सीटों पर सिमट गई है। इसके अलावा सात निर्दलीय भी जीत की ओर हैं।

बुलंदशहर में भाजपा 10 सीटें लेकर आगे जरूर है लेकिन बागियों ने भी बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए लगभग सात सीटें जीती हैं। वहीं बसपा 6, सपा और रालोद 4-4 सीटों पर आगे चल रही हैं। मुजफ्फरनगर में भीम आर्मी के चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी ने तीन सीटें जीतकर चौंका दिया है। भाजपा के 13 प्रत्याशी जीत की ओर हैं। रालोद का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा। वहीं भाकियू जिलाध्यक्ष की पत्नी भी चुनाव हार गईं। बसपा चार सीट पर आगे हैं।

हापुड़ में किसान आंदोलन का असर दिखाई दे रहा है। यहां बसपा फाइट में दिख रही है। 19 वार्ड में बसपा 3, भाजपा केवल 2, सपा 2 वार्ड में आगे चल रही है। बागपत में रालोद-भाजपा में कड़ी टक्कर है। 20 वार्ड में अभी तक एक रालोद, एक भाजपा, एक बसपा तो कई पर निर्दलीय प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। घोषणा अभी किसी भी सीट पर नहीं हुई है।

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