यूक्रेन युद्ध से अरबों डॉलर कमा रहे हैं अमेरिका-ब्रिटेन

Russia Ukraine War: रूस- यूक्रेन जंग से मालामाल हुआ अमेरिका, अरबों डॉलर की हो रही कमाई, चीन की भी चांदी

शैलेश कुमार शुक्‍ला |

अमेरिका और ब्रिटेन की हथियार बेचकर हो रही जमकर कमाई

हाइलाइट्स
रूस के यूक्रेन पर हमले का आज 16वां दिन है और दोनों ही तरफ से भीषण हमले जारी हैं
विश्‍वभर में रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के इस जंग की कड़ी निंदा हो रही है
ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस जंग से अमेरिका की बल्‍ले-बल्‍ले हो गई है

कीव 11 मार्च। रूस के यूक्रेन पर हमले का आज 16वां दिन है और दोनों ही तरफ से भीषण हमले जारी हैं। विश्‍वभर में रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के इस जंग की कड़ी निंदा हो रही है। दुनिया में यह भी आशंका जताई जा रही है कि रूसी साम्राज्‍य फिर से पैदा हो सकता है और तीसरा विश्‍वयुद्ध भड़क सकता है। इन सब के बीच एक ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जंग अमेरिका की बल्‍ले-बल्‍ले हो गई है। अमेरिकी रक्षा कंपनियां हथियारों की आपूर्ति करके अरबों डॉलर कमा रही हैं। वहीं चीन की भी चांदी हो गई है। आइए समझते हैं पूरा मामला….

एशिया टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक इस जंग से रक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खर्च शुरू हो गया है। यूरोपीय यूनियन ने ऐलान किया है कि वह 45 करोड़ यूरो के हथियार खरीदेगा और उसे यूक्रेन का सौपेंगा। उधर, अमेरिका ने कहा है कि वह 35 करोड़ डॉलर की अतिरिक्‍त सैन्‍य सहायता देगा। इससे पहले अमेरिका ने 65 करोड़ डॉलर की सैन्‍य सहायता यूक्रेन को दी थी। इन सबको मिलाकर अगर देखें तो अमेरिका और नाटो देश 17 हजार ऐंटी टैंक हथियार और 2000 स्टिंगर एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें भेज रहे है

यूक्रेन जंग से लॉकहीड और रेथियान के शेयर के दाम बढ़े
यही नहीं यूक्रेन में रूस के खिलाफ विद्रोही गुट को पैदा करने के लिए ब्रिटेन, ऑस्‍ट्रेलिया, तुर्की और कनाडा के नेतृत्‍व में एक अंतरराष्‍ट्रीय गठबंधन बन रहा है। इन सब फैसलों से दुनिया की दिग्‍गज हथियार निर्माता कंपनियों की चांदी हो गई है। इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि अमेरिकी कंपनी रेथियान स्टिंगर मिसाइल बनाती है। इसके अलावा रेथियान लॉकहीड मॉर्टिन के साथ मिलकर जेवलिन एंटी टैंक मिसाइल बनाती है जिसे अमेरिका और अन्‍य नाटो देशों ने बड़े पैमाने पर यूक्रेन को दिया है

ब्रिटिश टैंक रोधी मिसाइल का परीक्षण करते सैनिक

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही लॉकहीड और रेथियान के शेयर के दाम क्रमश: 16 प्रतिशत और 3 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। इसके अलावा ब्रिटेन की कंपनी बीएई सिस्‍टम के शेयर के दाम में भी 26 फीसदी की तेजी आई है। ये कंपनियां अब अपने निवेशकों को होने वाली कमाई के बारे में बता रही हैं। रेथयान ने 25 जनवरी को कहा था कि यूएई में ड्रोन हमले और साउथ चाइना सी में तनाव को देखते हुए रक्षा खर्च बढ़ने जा रहा है। इससे हमें फायदा हो सकता है। अब यूक्रेन की जंग शुरू होने के बाद जर्मनी और डेनमार्क दोनों ने ही रक्षा बजट बढ़ाने का ऐलान किया है।

जानें, दुनिया के हथियार बाजार पर किसका है कब्‍जा

हथियार उद्योग की बात करें तो अमेरिका दुनिया में सबसे आगे है। साल 2016 से 2020 तक के बीच में दुनिया में कुल बिके हथियारों में से 37 फीसदी अमेरिका ने बेचा था। इसके बाद रूस का 20 फीसदी, फ्रांस 8 फीसदी, जर्मनी 6 और चीन 5 फीसदी था। इन निर्यातकों के अलावा कई और देश हैं जो इस भीषण जंग से जमकर कमाई कर रहे हैं। इसमें तुर्की सबसे आगे है जो रूस की चेतावनी के बाद भी यूक्रेन को अपने घातक हमलावर ड्रोन विमान दे रहा है। इससे उसका हथियार उद्योग चमक गया है। इसके अलावा इजरायल का रक्षा उद्योग जमकर कमाई कर रहा है।

रूस- यूक्रेन जंग से चीन की भी हो रही है चांदी

उधर, रूस को इन हमलों से झटका लगा है। पश्चिमी देशों के प्रतिबंध की वजह से रूस का रक्षा उद्योग भारी नुकसान उठा सकता है। रूस से भारत लगातार अपने हथियारों को कम खरीद रहा है। इस अमेरिका भी भारत पर दबाव बना रहा है कि रूस के हथियारों की खरीद को और कम किया जाए। ऐसे में रूस के लिए अब हथियारों के लिए कच्‍चा माल तलाश करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। रूसी हथियारों की कमी से अब हथियार बाजार में अमेरिका और पश्चिमी देशों का कब्‍जा बढ़ सकता है। यही नहीं अब रूस को अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण चीन की शरण में जाना होगा जिससे वह बीजिंग का जूनियर पार्टनर बन जाएगा। इसके अलावा चीन अब खाड़ी देशों में हथियारों की बिक्री को बढ़ा सकता है। हाल ही में चीन को यूएई से एक बड़ा ऑर्डर मिला है। कुल मिलाकर कहें तो इस जंग से जहां यूक्रेन और रूस तबाह हो रहे हैं, वहीं पश्चिमी देशों और चीन की बल्‍ले-बल्‍ले हो गई है।

 यूक्रेन की जंग में रूस के टैंक और फाइटर जेट बड़ी संख्‍या में तबाह

यूक्रेन की जंग में सुपरपावर रूस के हथियारों की जमकर तबाही देखने को मिल रही है। अमेरिकी जेवल‍िन मिसाइलें रूसी टैंकों का आसानी से शिकार कर रही हैं, वहीं स्टिंगर मिसाइलें रूसी फाइटर जेट का काल बन रही हैं। रूसी हथियारों के इस बेहद घटिया प्रदर्शन से यह डर सताने लगा है कि रूसी हथियारों का निर्यात जीरो हो सकता है। यही नहीं रूसी हथियारों पर बुरी तरह से निर्भर भारत के लिए भी यह खतरे की घंटी की तरह से जो चीन और पाकिस्‍तान जैसे शत्रुओं से बुरी तरह से घिरा हुआ है।

आइए समझते हैं पूरा मामला

एशिया टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस दुनिया को गेहूं, तेल, गैस और हथियारों का मुख्‍य रूप से निर्यात करता है। यूक्रेन की जंग से पहले रूस के हथियारों की बिक्री उफान पर थी और उसके पास 55 अरब डॉलर के ऑर्डर थे। पश्चिमी देशों की तुलना में रूस ने बहुत कम दाम में दुनिया के कई देशों को हथियार दिए। इनमें से कई हथियार जैसे एस-400 ऐसे थे जो प्रतिस्‍पर्द्धा में बहुत ही आगे थे। यूक्रेन की जंग शुरू होने के बाद अब हालात बदलते दिख रहे हैं।

यूक्रेन के हमले में बर्बाद हो रहे हैं रूसी टैंक

आर्मीनिया के बाद अब यूक्रेन में तबाह हो रहे रूसी हथियार

रूस के टैंक, फाइटर जेट, हेलिकॉप्‍टर और मोबाइल एयर डिफेंस सिस्‍टम यूक्रेनी सेना के हमले में आसानी से तबाह हो जा रहे हैं। यूक्रेन में रूसी हथियारों की इस तबाही को मास्‍को से हथियार खरीदने वाले देश पूरी शिद्दत के साथ देख रहे हैं। इससे अब रूस के हथियारों की बिक्री के सपने को बहुत बड़ा झटका लगता दिख रहा है। इससे पहले पुतिन सरकार रूसी हथियारों से लैस आर्मीनिया की अजरबैजान की हाइब्रिड सेना के हाथों हुई करारी हार के बाद लग रहे आरोपों से बच निकलने में कामयाब हो गई थी।

अजरबैजान की सेना को रूस, इजरायल और तुर्की तीनों ही देशों ने हथियारों की सप्‍लाइ की थी। नगर्नो कराबाख की जंग में इजरायली और तुर्की के हथियारों और बमों से लैस ड्रोन ने आर्मीनिया के एयर डिफेंस सिस्‍टम, रेडॉर और मिसाइल लॉन्‍चर को तबाह कर दिया था। आर्मीनिया के ज्‍यादातर हथियार रूस के दिए हुए थे। इस जंग के बाद लोगों ने सोचा था कि रूस यूक्रेन में ड्रोन के खिलाफ अपनी रक्षा तैयारी को ज्‍यादा मजबूत करेगा। रूस ने यूक्रेन के कुछ ड्रोन विमानों को जहां मार गिराया है, वहीं बड़ी संख्‍या में बचे हुए हैं और रूसी सेना में तबाही मचा रहे हैं। पाकिस्‍तान भी अब तुर्की से टीबी2 ड्रोन लेने की तैयारी कर रहा है।

भारत के पास हैं करीब 2000 टी-72 टैंक

तुर्की में बने बायरकतार ड्रोन विमानों ने रूस के BUK मिसाइल सिस्‍टम को बड़ी संख्‍या में बर्बाद किया है। यही नहीं कई ऐसे वीडियो साक्ष्‍य सामने आए हैं जिसमें नजर आ रहा है कि रूस के आधुनिक अपग्रेडेड रिएक्‍ट‍िव आर्मर से लैस टी-72 टैंक को अमेरिकी जेवलिन और ब्रिटेन की NLAW मिसाइलों ने अपने हमले में नष्‍ट कर दिया। यह वही टी-72 टैंक है जिसे भारतीय सेना इस्‍तेमाल करती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास 2000 टी-72 टैंक हैं। रूसी टैंकों के तबाही की तस्‍वीरें सोशल मीडिया में वायरल हैं।

अमेरिका और ब्रिटेन ने हजारों की तादाद में एंटी टैंक मिसाइलों की आपूर्ति की है। रूस का दावा है कि उसने Arena-M एक्टिव डिफेंस सिस्‍टम बनाया है जो इजरायल और अमेरिका की टक्‍कर का है। रूस का यह दावा यूक्रेन में हवा हवाई साबित हो रहा है। रूसी टैंकों की बर्बादी से अब उन्‍हें खरीदने वाले देश इसे फिर लेने से पहले दो बार सोचेंगे। यही हाल रूसी वायुसेना का है जो कंधे पर रखकर दागी जाने वाली स्टिंगर मिसाइलों के सामने ढेर हो जा रहे हैं। अफगानिस्‍तान के बाद अब यूक्रेन में भी स्टिंगर मिसाइल रूस के सुखोई और मिग विमानों को तबाह कर रही है।

रूस के अत्‍याधुनिक SU-34 को भी मार गिराया

कहा जा रहा है कि यूक्रेन ने अपने जमीन पर स्थित एयर डिफेंस सिस्‍टम से रूस के अत्‍याधुनिक SU-34 को भी मार गिराया है। एशिया टाइम्‍स ने कहा कि ऐस प्रतीत हो रहा है कि रूस के विमान में रेडॉर वार्निंग सिस्‍टम और मिसाइलों से बचाव के उपकरण उतने अच्‍छे नहीं है जिससे रूसी विमान को बचाया जा सके। माना जा रहा है कि इसी कमी की वजह से रूस ने अपने सुखोई-35 फाइटर जेट को मैदान में नहीं उतारा है। ऐसे में अब इस विमान को खरीदने से पहले अन्‍य देश दो बार सोचेंगे।

रूस ने भारत को 70 बिलियन डॉलर से ज्‍यादा के हथियार बेचे

बता दें कि भारत भी रूस के सुखोई- 30 और मिग 29 विमानों का बड़े पैमाने पर इस्‍तेमाल करता है। भारत को रूस से पहला मिग-21 फाइटर विमान साल 1963 में मिला था। उसके बाद से दोनों देशों के रक्षा संबंध लगातार मजबूत होते गए। साल 2021 तक, रूस ने भारत को 70 बिलियन डॉलर से ज्‍यादा के हथियार बेच दिए थे। रूस विमानों की बर्बादी से भारत के लिए भी खतरे की घंटी बज गई है। पाक‍िस्‍तान की वायुसेना के पास अमेरिका की स्टिंगर मिसाइल है जिसे माना जाता है कि उसने अफगानिस्‍तान युद्ध के समय हासिल किया था। वहीं चीन के पास भी कई घातक मिसाइलें हैं जो सुखोई को तबाह कर सकती हैं। हालांक‍ि भारत ने फ्रांस से राफेल जेट लिए हैं जो अत्‍याधुनिक तकनीक से लैस हैं।

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