सुप्रीम कोर्ट के स्थगन से देशद्रोह में बंदियों की जमानत आसान

विवेचना:जिस देशद्रोह कानून में फंसे कन्हैया जैसे 13 हजार लोग, जानिए उस पर सुप्रीम कोर्ट की रोक से क्या होगा असर

लेखक: अभिषेक पाण्डेय और नीरज सिंह

देशद्रोह की संवैधानिकता पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में देशद्रोह कानून के प्रोविजंस पर पुनर्विचार होने तक इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। 152 वर्षों में पहली बार देशद्रोह कानून के प्रोविजंस को सस्पेंड किया गया है। देशद्रोह कानून की संवैधानिकता पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की तीन जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया है। इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी।

ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है देशद्रोह कानून? सुप्रीम कोर्ट ने इसे क्यों किया सस्पेंड? कब बना ये कानून? हाल के वर्षों में कितनों को हुई देशद्रोह में सजा?

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई देशद्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को IPC के सेक्शन 124A, यानी देशद्रोह के प्रोविजंस पर केंद्र को पुनर्विचार की इजाजत देते हुए इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक सरकार देशद्रोह कानूनों पर पुनर्विचार कर रही है तब तक सेक्शन 124A में न तो कोई नया केस दर्ज किया जाएगा और न ही इसमें कोई जांच होगी।

शीर्ष अदालत ने कहा है कि देशद्रोह कानून के प्रावधान अगले आदेश तक सस्पेंड रहेंगे। कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वह राज्यों के लिए ऐसी गाइडलाइंस बना सकता है, जिससे इस कानून का रिव्यू होने तक सेक्शन 124A के तहत गिरफ्तार लोगों के अधिकारों की रक्षा हो सके।

इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने देशद्रोह कानून के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई थी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से देशद्रोह कानून, यानी IPC के सेक्शन 124A के प्रोविजंस पर पुनर्विचार की इजाजत मांगी थी।

जिन पर पहले से दर्ज देशद्रोह के मामले या जो जेल में हैं, उनका क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में देशद्रोह के लंबित मामलों पर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है। जिन पर पहले से देशद्रोह के मामले दर्ज हैं या इसके तहत पहले से जेल में हैं, उनका क्या होगा? दैनिक भास्कर ने ये सवाल सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता से पूछा, उन्होंने कहा, ”देशद्रोह के तहत जो मामले पहले से दर्ज हैं या जो लोग पहले से जेल में हैं-ऐसे लोग लोग कानून के दायरे में अपनी जमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं।”

विराग ने कहा, ”साथ ही देशद्रोह में नए मामलों को लेकर कोर्ट ने केंद्र को जरूरी दिशा दिशानिर्देश जारी करने को कहा है, ताकि जब तक सुनवाई हो रही है, तब तक देशद्रोह में नए केस न दर्ज किए जाएं।”

क्या है देशद्रोह कानून, कब बना, कितनी सजा?

इंडियन पीनल कोड, यानी IPC के सेक्शन 124A में देशद्रोह की परिभाषा के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय चिन्हों या संविधान का अपमान या उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करता है या सरकार विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है तो उसके खिलाफ IPC सेक्शन 124A के तहत देशद्रोह का केस दर्ज हो सकता है। इसके अलावा ऐसा कोई भाषण या अभिव्यक्ति जो देश में सरकार के खिलाफ घृणा, उत्तेजना या असंतोष भड़काने का प्रयास करता है, वह भी देशद्रोह में आता है। साथ ही अगर कोई व्यक्ति देश विरोधी संगठनों से जाने या अनजाने संबंध रखता है उन्हें किसी भी तरह का सहयोग देता है, तो भी वह देशद्रोह के दायरे में आता है।

भारत में अंग्रेजी शिक्षा लाने वाले मैकॉले ने बनाया था देशद्रोह कानून

यह कानून ब्रिटिश राज में, यानी अंग्रेजों ने 1870 में बनाया था। सेक्शन 124A को थॉमस मैकॉले ने ड्राफ्ट किया था, जिन्हें भारत में अंग्रेजी शिक्षा लाने का श्रेय जाता है। इसका सबसे पहले इस्तेमाल अंग्रेजों ने 1897 में स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक के खिलाफ किया था।

आजीवन कारावास तक की सजा

देशद्रोह मामले में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 3 साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। देशद्रोह गैर जमानती अपराध की कैटेगरी में आता है। देशद्रोह का दोषी पाया जाने वाला व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए अप्लाय नहीं कर सकता है। साथ ही उसका पासपोर्ट भी रद्द हो जाता है। जरूरत पड़ने पर उसे कोर्ट में उपस्थित होना पड़ता है।

13 साल पहले ही ब्रिटेन ने देशद्रोह कानून हटाया

भारत में देशद्रोह कानून बनाने वाले अंग्रेजों का देश ब्रिटेन 2009 में इस कानून को उसके यहां खत्म कर चुका है। अभी भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में ये कानून लागू है। इन देशों में-ईरान, अमेरिका, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया जैसे कई देश शामिल हैं।

इन चर्चित हस्तियों पर देशद्रोह का केस दर्ज हो चुका है

कन्हैया कुमार

JNUSU के नेता रहे कन्हैया कुमार पर संसद हमले के दोषी अफजल गुरु पर एक विवादास्पद कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारे लगाने के लिए देशद्रोह का आरोप है।

विनोद दुआ: दुआ के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के एक स्थानीय भाजपा नेता ने उनके यूट्यूब शो को लेकर मामला दर्ज कराया था। 3 जून 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने दुआ के खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मामले को खारिज कर दिया।

शशि थरूर

2021 की जनवरी में नोएडा पुलिस ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर सहित छह पत्रकारों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया था। यह मामला एक शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया था कि इन लोगों के सोशल मीडिया पोस्ट्स और डिजिटल प्रसारण राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा के लिए जिम्मेदार थे।

पत्रकार सिद्दीक कप्पन

अक्टूबर 2020 में UP पुलिस ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन और तीन अन्य लोगों पर देशद्रोह सहित विभिन्न आरोपों में मामला दर्ज किया। कप्पन एक कथित सामूहिक दुष्कर्म मामले की रिपोर्ट करने के लिए हाथरस जा रहे थे।

दिशा रवि

पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि के खिलाफ, किसानों आंदोलन का समर्थन करने वाले ग्लोबल ऑनलाइन कैंपेन के लिए टूलकिट साझा करने पर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था।

असीम त्रिवेदी

2012 में कानपुर के कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को संविधान का मजाक उड़ाने के आरोप में देशद्रोह का केस लगाकर मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया। बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि असीम त्रिवेदी को तुच्छ आधार पर और बिना सोचे समझे गिरफ्तार किया गया। इस कार्रवाई से एक कार्टूनिस्ट की बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन हुआ है।

हार्दिक पटेल

गुजरात में पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग करने वाले नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था। 25 अगस्त 2015 को अहमदाबाद में पाटीदार आरक्षण समर्थक रैली के बाद राज्य में तोड़फोड़ और हिंसा हुई थी। पुलिस ने चार्जशीट में हार्दिक पर आरोप लगाया कि उन्होंने राज्य में हिंसा फैलाने और चुनी हुई सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचा था।

ये चर्चित हस्तियां देशद्रोह के आरोप में जेल में हैं

देशद्रोह के मामले में अभी उमर खालिद और शरजील इमाम जैसे छात्र एक्टिविस्ट, सिद्दीक कप्पन और गौतम नवलखा जैसे पत्रकार, रोना विल्सन और शोमा सेन जैसे एक्टिविस्ट और कई लोग अभी जेल में हैं। जबकि वरवरा राव जैसे बुजुर्ग कवि-एक्टिविस्ट भी हैं। हालांकि राव को बिगड़ते स्वास्थ्य की वजह से मेडिकल जमानत पर हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा देशद्रोह कानून पर रोक लगाने से इन सभी लोगों के जेल से बाहर आने की उम्मीद है।

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