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छावला कांड में दोषियों को बरी करने के फैसले पर पुनर्विचार के बारे में निर्णय लेगा न्यायालय
नयी दिल्ली, आठ दिसंबर। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में 19 साल की लड़की से सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में तीन दोषियों को बरी करने के उसके सात नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार वाली याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के बारे में निर्णय लेगा।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने एक वकील की इन दलीलों पर संज्ञान लिया कि पुनर्विचार याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

वकील ने कहा, ‘‘यह अत्यंत महत्वपूर्ण मामला है जिसने जनता के विश्वास को झकझोर दिया है। तत्काल सूचीबद्ध करने की जरूरत है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं इसका अध्ययन करने के बाद फैसला करुंगा।’’

शीर्ष अदालत ने छावला मामले में निचली अदालत द्वारा दोषियों को सुनाई गयी मौत की सजा को कायम रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 26 अगस्त, 2014 के आदेश को रद्द कर तीनों को गत सात नवंबर को बरी कर दिया था।

शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार के लिए हाल में अनेक याचिकाएं दाखिल की गयी हैं।

पीड़िता के पिता ने भी वकील रोहित डंडरियाल के माध्यम से शीर्ष अदालत से दोषियों को बरी करने के फैसले पर पुन: विचार करने की गुहार लगाई थी।

Court Will Decide On Reconsideration Of Acquittal Of The Culprit in chhavala Kiran negi rape and murder case

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