जयंती: जाटों और आर्य समाज के दम पर अंग्रेजों व कांग्रेस दोनों को चुनौती दी सर छोटूराम ने

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चरित्र-निर्माण, समाज-सुधार तथा राष्ट्रवादी जन-चेतना के लिए समर्पित *मातृभूमि सेवा संस्था* (राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत) आज देश के ज्ञात व अज्ञात राष्ट्रभक्तों को उनके अवतरण, स्वर्गारोहण व बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन करती है।🙏🙏🌹🌹🌹🌹

🌷🌷🙏🙏 *सर छोटूराम जी* 🙏🙏🌷🌷

📝राष्ट्रभक्त साथियों, मातृभूमि की गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने में देश के प्रत्येक क्षेत्र के देशभक्तों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। साथियों आज इसी क्रम में हरियाणा प्रांत के झज्जर जिले (रोहतक) में जन्मे महान राजनेता एवम स्वतंत्रता सेनानी सर छोटूराम जी के 139वीं जयंती पर इनके प्रेरणादायी जीवन से परिचित होने का प्रयास करते हैं। झज्जर, रोहतक, हरियाणा के छोटे से गाँव गढ़ी सांपला में जन्मे सर छोटूराम जी बहुत ही साधारण परिवार में हुआ। सर छोटूराम का असली नाम राय रिछपाल था। वे अपने भाइयों में से सबसे छोटे थे इसलिए सारे परिवार के लोग इन्हें छोटू कहकर पुकारते थे। स्कूल रजिस्टर में भी इनका नाम छोटूराम ही लिखा दिया गया और ये महापुरुष छोटूराम के नाम से ही विख्यात हुए। जनवरी सन् 1891 में छोटूराम ने अपने गाँव से 12 मील की दूरी पर स्थित मिडिल स्कूल झज्जर में प्राइमरी शिक्षा ग्रहण की। सन् 1903 में इंटरमीडियेट परीक्षा पास करने के बाद छोटूराम जी ने दिल्ली के अत्यन्त प्रतिष्‍ठित सैंट स्टीफन कालेज से सन् 1905 में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्‍त की। *छोटूराम जी की शिक्षा प्राप्ति में उस समय के प्रसिद्ध व्यवसायी एवम महान दानवीर सेठ छाजूराम जी (भिवानी) का बहुत बहुत बड़ा योगदान है।* छोटूराम जी ने अपने जीवन के आरंभिक समय में ही सर्वोत्तम आदर्शों और युवा चरित्रवान छात्र के रूप में वैदिक धर्म और आर्यसमाज में अपनी आस्था बना ली थी। किसानों के लिए उनके विधिक कार्यों के स्थायी महत्व के रचनात्मक कार्यों के कारण उन्हें आज भी किसानों का मसीहा माना जाता है। चौधरी चरण सिंह और चौधरी देवीलाल उन्हीं को अपना प्रेरणास्रोत मानते थे।

📝 सन् 1907 तक अंग्रेजी के ‘हिन्दुस्तान’ समाचार पत्र का संपादन किया। यहाँ से सर छोटूराम जी आगरा में वकालत की डिग्री करने चले गए। सन् 1911 में इन्होंने लॉ की डिग्री प्राप्‍त की। यहाँ रहकर सर छोटूराम जी ने मेरठ और आगरा डिवीजन की सामाजिक दशा का गहन अध्ययन किया। सन् 1912 में चौ. लालचंद के साथ वकालत आरंभ कर दी और उसी वर्ष जाट सभा का गठन किया। अब तो चौ. छोटूराम जी एक महान क्रांतिकारी समाज सुधारक के रूप में अपना स्थान बना चुके थे। इन्होंने अनेक शिक्षण संस्थानों की स्थापना की जिसमें “जाट आर्य-वैदिक संस्कृत हाई स्कूल रोहतक” प्रमुख है। 01.01.1913 को जाट आर्य-समाज ने रोहतक में एक विशाल सभा की जिसमें जाट स्कूल की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया जिसके फलस्वरूप 07.09.1913 में जाट स्कूल की स्थापना हुई। वकालत जैसे व्यवसाय में भी उन्होंने नए ऐतिहासिक आयाम जोड़े। उन्होंने झूठे मुकदमे न लेना, छल-कपट से दूर रहना, गरीबों को निःशुल्क कानूनी सलाह देना, मुव्वकिलों के साथ सद्‍व्यवहार करना, अपने वकालती जीवन का आदर्श बनाया। इन्हीं सिद्धान्तों का पालन करके केवल पेशे में ही नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में छोटूराम जी बहुत ऊँचे उठ गये थे। इन्हीं दिनों सन् 1915 में उन्होंने ‘जाट गजट’ नाम का क्रांतिकारी अखबार शुरू किया जो हरयाणा का सबसे पुराना अखबार है, जो आज भी छपता है और जिसके माध्यम से उन्होंने ग्रामीण जनजीवन का उत्थान और साहूकारों द्वारा गरीब किसानों के शोषण पर एक सारगर्भित दर्शन दिया था जिस पर शोध की जा सकती है।

📝चौ. छोटूराम ने राष्‍ट्र के स्वाधीनता संग्राम में डटकर भाग लिया। सन् 1916 में पहली बार रोहतक में कांग्रेस कमेटी का गठन हुआ, जिसमें चौ. छोटूराम रोहतक कांग्रेस कमेटी के प्रथम प्रधान बने। अगस्त 1920 में चौ. छोटूराम ने कांग्रेस छोड़ दी क्योंकि वे गांधी जी के असहयोग आंदोलन से सहमत नहीं थे। आर्यसमाज और जाटों को एक मंच पर लाने के लिए उन्होंने स्वामी श्रद्धानन्द और भटिंडा गुरुकुल के मैनेजर चौधरी पीरूराम से संपर्क साध लिया और उसके कानूनी सलाहकार बन गए। सन् 1925 में राजस्थान में पुष्कर के पवित्र स्थान पर चौधरी छोटूराम ने एक ऐतिहासिक जलसे का आयोजन किया। सन् 1934 में राजस्थान के सीकर शहर में किराया कानून के विरोध में एक अभूतपूर्व रैली का आयोजन किया गया, जिसमें 10,000 जाट किसान शामिल हुए। *यहां* पर जनेऊ और देसी घी दान किया गया, महर्षि दयानन्द के सत्यार्थ प्रकाश के श्‍लोकों का उच्चारण किया गया। इस रैली से चौधरी छोटूराम भारतवर्ष की राजनीति के स्तम्भ बन गए। इन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए जो इस प्रकार हैं …

👉 साहूकार पंजीकरण एक्ट 1934

👉 गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट – 1938

👉 कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम – 1938

👉 *कर्जा माफी अधिनियम – 1934* को दीनबंधु चौधरी छोटूराम जी ने 08.04.1935 में किसान व मजदूर को सूदखोरों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए बनवाया। इस कानून के तहत अगर कर्जे का दुगुना पैसा दिया जा चुका है तो ऋणी ऋण-मुक्त समझा जाएगा। इस अधिनियम के तहत कर्जा माफी बोर्ड बनाए गए जिसमें एक चेयरमैन और दो सदस्य होते थे। दाम दुप्पटा का नियम लागू किया गया। इसके अनुसार दुधारू पशु, बछड़ा, ऊंट, रेहड़ा, घेर, गितवाड़ आदि आजीविका के साधनों की नीलामी नहीं की जाएगी।

👉 *मोर के शिकार पर पाबंदी* गुड़गाँव/हरियाणा के अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर कर्नल इलियस्टर मोर का शिकार करता था। लोगों ने उसे रोकना चाहा परन्तु ‘साहब’ ने परवाह नहीं की। जब उनकी शिकायत चौ० छोटूराम तक पहुँची तो दीनबंधु चौधरी छोटूराम जी ने जाट गजट में जोरदार लेख छापे, जिनमें अन्धे, बहरे, निर्दयी अंग्रेज के खिलाफ लोगों का क्रोध व्यक्त किया गया। मिस्टर इलियस्टर ने कमिश्नर और गवर्नर से शिकायत की। जब ऊपर से माफी मांगने का दबाव पड़ा तो चौ० छोटूराम ने झुकने से इन्कार कर दिया। अपने चारों ओर आतंक, रोष, असन्तोष और विद्रोह उठता देख दोषी डी.सी. घबरा उठा और प्रायश्चित के साथ वक्तव्य दिया कि वह इस बात से अनभिज्ञ था कि “हिन्दू मोर-हत्या को पाप मानते हैं”। अन्त में अंग्रेज अधिकारी द्वारा खेद व्यक्त करने तथा भविष्य में मोर का शिकार न करने के आश्वासन पर ही चौ० छोटूराम शांत हुए।

*नोट:-* लेख में कोई त्रुटि हो तो अवश्य मार्गदर्शन करें।

✍️ राकेश कुमार
*🇮🇳 मातृभूमि सेवा संस्था 9891960477 🇮🇳*

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