साइड इफेक्ट: कोरोना इलाज दे सकता है मधुमेह

कोरोना से नई डायबिटीज की आशंका:ICMR ने बताए कोरोना के साइड इफेक्ट, कहा- कोरोनावायरस की बीमारी डायबिटीज भी दे सकती है, क्योंकि ये शुगर बढ़ाती है
नई दिल्ली20मई। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा है कि कोरोना से शुगर की बीमारी भी हो सकती है। गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ICMR के प्रमुख डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि कोरोनावायरस डायबिटीज भी दे सकती है, क्योंकि इससे शुगर बढ़ता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपको कोरोना संक्रमण से पहले शुगर की समस्या नहीं थी तो यह उसके इलाज के दौरान हो सकती है। देश भर में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के पीछे एक वजह यह भी हो सकती है।

केंद्र सरकार ने गुरुवार को ही सभी राज्यों को चिट्ठी लिखकर कहा है कि ब्लैक फंगस को महामारी माना जाए। राजस्थान समेत देश के तीन राज्यों ने इसे पहले ही महामारी की कैटेगरी में रख दिया है। राजधानी दिल्ली में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरोजों के लिए अलग से सेंटर भी शुरू कर दिया गया है।

कोरोना मरीजों को शुगर या डायबिटीज का खतरा

कोरोना संक्रमित के इलाज में रेमडेसिविर जैसे स्टेरॉयड्स की मदद ली जाती है। ये स्टेरॉयड्स कोरोना का वायरल लोड कम करने में मदद करते हैं। लेकिन, यह कोरोनावायरस का इलाज नहीं हैं। गुरुवार को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रेमडेसिविर को कोरोना के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाली दवाओं की लिस्ट से हटा दिया। क्योंकि इसके फायदे कम और साइड इफेक्ट ज्यादा हैं। ऐसी ही दवाओं के बेतहाशा इस्तेमाल की वजह से कोरोना मरीजों में शुगर या डायबिटीज की समस्या हो जाती है।

पहले से कोरोना वायरस से लड़ रहे मरीज के शरीर में ब्लड शूगर लेवल बढ़ने से उसकी इम्युनिटी या रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे कंडीशन में फंगल इंफेक्शन का खतरा कई गुना बढ़ा जाता है। जिसकी वजह से ब्लैक या व्हाइट फंगस होता है।

ब्लैक फंगस पर ICMR ने पॉइंट वाइज प्रेजेंटेशन दी

1. ब्लैक फंगस को हल्के में लेना खतरनाक

ICMR के मुताबिक, म्यूकरमाइकोसिस एक फंगल इन्फेक्शन है। ये ऐसे लोगों को निशाना बनाता है, जो दवाइयों पर चल रहे हों या उन्हें पहले से स्वास्थ्य की ऐसी परेशानियां हों, जिससे इम्युिनटी घट रही हो। ऐसे मरीजों को सांस लेने से फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। नाक और फेफड़े इसका निशाना बनते हैं।
ब्लैक फंगस खतरनाक बीमारी में बदल सकता है और इसके लक्षण होते हैं- नाक और आंख के पास दर्द और लाली, बुखार, सिरदर्द, कफ, सांस में दिक्कत, खूनी उल्टी, दिमागी उलझन।

2. ब्लैक फंगस होने की वजहें

डायबिटीज का बेकाबू होना और उसके स्तर में बड़े उतार-चढ़ाव
स्टेरॉयड्स के इस्तेमाल के चलते इम्युनिटी में कमी आना
ICU में ज्यादा स्टे
पहले से बीमारियों का होना
वोरीकोनाजोल थैरेपी

3. कैसे रोका जा सकता है

किसी धूलभरी कंस्ट्रक्शन साइट पर जाते वक्त मास्क पहनें
मिट्टी में काम करते वक्त जूते और लंबे मोजे पहनें, लंबी बांह की शर्ट और ग्लव्स पहनें
सफाई बरतें और बहुत अच्छी तरह से नहाएं

4. कब सतर्क हो जाएं

नाक बंद होने पर, नाक से खून या काला मैटेरियल बहने पर, चीक बोन पर लगातार दर्द होने पर।
चेहरे पर एक तरफ दर्द होने पर, सुन्न होने या सूजन पर।
नाक के कोने पर कालापन आने, दांत में दर्द, दांत गिरने, जबड़े ढीले पड़ने पर।
दर्द के साथ धुंधलापन या दोहरी इमेज दिखने पर।
थ्रोम्बाउसिस, फीवर, स्किन का रंग बदलने और खूनी कफ आने और सांस लेने में दिक्कत बढ़ने पर।

5. किस तरह इसे संभालें

डायबिटीज को कंट्रोल करें, स्टेरॉयड्स को कम करें, इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाओं का इस्तेमाल कम करें।
सिस्टमैटिक हाइड्रेशन को मेंटेन करें, PICC लाइन इंस्टॉलेशन, एम्फोटेरीसिन बी के इस्तेमाल से पहले नॉर्मल आईवी दी जाए।
4-6 हफ्तों तक एंटीफंगल थैरेपी दी जाए।
फंगल इन्फेक्शन की लगातार मॉनीटरिंग और इन्फेक्शन की रेडियो इमेजंग।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *