सुप्रीम कोर्ट से शिंदे गुट को डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर 11 जुलाई तक राहत

ठाकरे सरकार पर संकट:शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से राहत, BJP ने अपनाई वेट एंड वाच की रणनीति

गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल के सामने एक बैनर लगा है, जिसमें बाल ठाकरे, एकनाथ शिंदे और आनंद दिधे की फोटो है। इसमें लिखा है- गर्व से कहो हम हिंदू हैं।

नई दिल्ली 27 जून। महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की एंट्री हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के बागी विधायकों की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार, विधानसभा के डिप्टी स्पीकर,केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर कहा कि फ्लोर टेस्ट को लेकर कोर्ट कोई फैसला नहीं देगा। बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने वाले डिप्टी स्पीकर के नोटिस के मामले पर अब 11 जुलाई को सुनवाई करेगा। उधर, ED ने आज शिवसेना सांसद संजय राउत को पूछताछ को तलब कर लिया।

सुप्रीम कोर्ट से शिंदे गुट को मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एकनाथ शिंदे की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने और डिप्टी स्पीकर नरहरि जरवाल की भूमिका पर सवाल थे। कोर्ट अब इस मामले में 11 जुलाई को सुनवाई करेगा। यह शिंदे गुट के लिए राहत है।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र भवन, डिप्टी स्पीकर, महाराष्ट्र पुलिस, शिवसेना विधायक दल के नेता अजय चौधरी और केंद्र को भी नोटिस भेजा है। कोर्ट ने सभी विधायकों को सुरक्षा देनेने और यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है।

शिंदे समर्थकों ने की आतिशबाजी

कोर्ट के निर्देश के बाद शिंदे समर्थकों ने आतिशबाजी की। बागी गुट ने उद्धव ठाकरे से इस्तीफा भी मांगा है। शिंदे के साथ मौजूद दीपक केसरकर ने कहा कि उद्धव की सरकार राज्य में कानून-व्यवस्था बना पाने में नाकाम है। लिहाजा उसे इस्तीफा दे देना चाहिए।

गुवाहाटी में मौजूद शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने अपने साथ 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया है।

गुवाहाटी के होटल की बुकिंग 12 जुलाई तक बढ़ाई

शिवसेना के बागी विधायकों को 12 जुलाई तक गुवाहाटी में ही रखने की तैयारी है। गुवाहाटी के जिस होटल में शिंदे गुट के विधायक ठहरे हुए हैं, उसकी बुकिंग 12 जुलाई तक बढ़ाई गई है। इस तारीख तक होटल में आम लोगों के लिए कोई भी रूम उपलब्ध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने वाले डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर जवाब देने पर 11 जुलाई को सुनवाई करेगा।

भाजपा ने अपने विधायकों को 29 जून को मुंबई बुलाया

इधर, महाराष्ट्र भाजपा ने अपने सभी विधायकों को 29 जून तक मुंबई पहुंचने को कहा है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सागर बंगले पर भाजपा कोर ग्रुप की सोमवार शाम मीटिंग के बाद विधायकों के लिए यह फरमान जारी किया गया। इससे पहले पार्टी के सीनियर लीडर्स ने सियासी हालात पर चर्चा कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक वेट एंड वॉच की रणनीति अपनाने का फैसला किया।

संजय राउत को ED ने किया तलब

ED ने मुंबई की पात्रा चॉल की जमीन को लेकर 1,034 करोड़ रु. के घोटाले की बात कही है। इसी में संजय राउत को नोटिस मिला है।

प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने सांसद संजय राउत को समन भेजकर पूछताछ को बुलाया है। उन्हें कल ही पेश होने को कहा गया है। नोटिस के बाद राउत ने कहा कि मैं मंगलवार को जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हो सकूंगा, क्योंकि मुझे अलीबाग में मीटिंग में शामिल होना है।

आदित्य ठाकरे बोले- 15-20 बागी हमारे संपर्क में

शिवसेना के आदित्य ठाकरे ने दावा किया कि 15 से 20 बागी विधायक हमारे संपर्क में हैं। उन्होंने मुझे और शिव सैनिकों को फोन करके गुवाहाटी से वापस लाने की अपील की है। पहले सूरत और फिर गुवाहाटी में उनकी हालत कैदियों जैसी है।

उद्धव ने बागी मंत्रियों के विभाग छीने

इससे पहले, महाराष्ट्र में जारी सियासी संग्राम के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे समेत बागी सभी 9 मंत्रियों के विभाग छीन लिए। इन विभागों का काम दूसरे मंत्रियों को सौंपा गया है। शिंदे का विभाग सुभाष देसाई को सौंपा गया है। नीचे टेबल में बागी मंत्रियों के पास मौजूद विभाग और उनका प्रभार किसे सौंपा गया है, इसे पढ़ सकते हैं…

नाम किस विभाग के मंत्री थे प्रभार किसे दिया गया

CMO के अनुसार, राजेंद्र पाटिल, अब्दुल सत्तार और ओमप्रकाश कडू को दिए गए वित्त, नियोजन, कौशल्य विकास और उद्यमिता, राज्य उत्पाद शुल्क, मेडिकल शिक्षा, टेक्सटाइल, सांस्कृतिक कार्य और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कल्याण विभागों को राज्य मंत्री विश्वजीत कदम, सतेज पाटिल, प्रजक्त तानपुरे, अदिति तटकरे और दत्तात्रय भरने को दिया गया है।

शिवसैनिकों ने गोंदिया विधायक का ऑफिस तोड़ा

इधर, शिव सैनिकों ने सोमवार दोपहर को गोंदिया के निर्दलीय विधायक विनोद अग्रवाल का ऑफिस तोड़ दिया।  पुणे में शिवसैनिकों ने बागी विधायकों के पुतले का जुलूस निकाल श्मशान ले जाकर उसका अंतिम संस्कार किया।​​​​

ठाणे में शिंदे समर्थकों ने संजय राउत का पुतला फूंका

​​​​शिवसेना में संकट के बीच संजय राउत बागियों को लेकर लगातार तीखे बयान दे रहे हैं। इनसे शिंदे समर्थक भड़क उठे हैं। ठाणे में सोमवार को शिंदे समर्थकों ने संजय राउत का पुतला फूंका। जलगांव में भी शिंदे समर्थक विधायक गुलाबराव पाटिल के सपोर्टर सड़क पर उतर आए और उन्होंने संजय राउत के खिलाफ न केवल नारेबाजी की, बल्कि उनका पुतला भी जला जूते-चप्पल से भी पीटा।

केंद्रीय मंत्री दानवे बोले- विपक्ष में हम बस 2-3 दिन और

केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में सरकार बनाने के संकेत दिए। BJP ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के संकेत दिए हैं। केंद्र सरकार के मंत्री रावसाहेब दानवे ने एक मीटिंग में कहा- हम सिर्फ 2-3 दिन विपक्ष में हैं। अपने कार्यकाल में जो करना है, जल्दी करें। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे भी थे।

सामना ने शिंदे गुट को नचनिया कहा

शिंदे गुट की बगावत के 7वें दिन शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना से बड़ा हमला बोल  संपादकीय में शिंदे गुट को नचनिया बताया है। शिवसेना विधायक उदयसिंह राजपूत ने दावा किया कि शिंदे गुट में जाने को उन्हें 50 करोड़ रुपए का ऑफर था।

सामना में आगे लिखा- जिन 15 विधायकों को केंद्र से सुरक्षा दी गई है, वो लोकतंत्र के रखवाले नहीं है। ये लोग 50-50 करोड़ रुपए में बेचे गए बैल अथवा ‘बिग बुल’ हैं, जो लोकतंत्र के लिए कलंक है। फडणवीस और शिंदे के मुलाकात पर भी निशाना साधा गया है।

 शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया।

राउत की सफाई, कहा- जमीर मरने की बात कही थी’

40 शव मुंबई आएंगे’ वाले बयान पर संजय राउत ने सफाई दी कि मैंने उनके जमीर मरने की बात कही थी। वहीं शिंदे गुट के दीपक केसरकर ने कहा- बालासाहेब होते तो संजय राउत को पार्टी से निकाल देते।  शिवसेना में बहुमत हमारे साथ है और हम भी उद्धव साहब को अपना नेता मानते हैं।

शिवसेना ने अपने बागियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।पार्टी ने शिंदे गुट के 16 विधायकों को नोटिस जारी की है। शिंदे गुट के दो तिहाई संख्याबल के दावे पर शिवसेना ने कहा कि जब तक उनका किसी पार्टी में विलय नहीं होता, तब तक अयोग्यता लागू होती है।

एकनाथ शिंदे की अगुवाई में पांच दिन से गुवाहाटी के होटल में डेरा डाले शिवसेना के बागी विधायकों के तेवर नरम न पड़ने पर पार्टी ने उनसे निपटने को कानूनी लड़ाई को कमर कस ली है। शिवसेना के वकील-सह-कानूनी सलाहकार देवदत्त कामत ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष पद खाली होने से विधानसभा उपाध्यक्ष को फैसले लेने का पूरा अधिकार है।

विलय होने पर ही दो तिहाई का कॉन्सेप्ट लागू होगा’

देवदत्त कामत ने बताया, ‘शिवसेना की ओर से संविधान के प्रावधान में 16 विधायकों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई है। यह प्रावधान कहता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है तो वह अयोग्यता का पात्र है।’ ‘शिवसेना की अलग-अलग समय पर कई बैठकें बुलाई गईं, जिनमें किसी भी बागी ने भाग नहीं लिया। बीजेपी शासित राज्यों का दौरा, बीजेपी नेताओं से मिल सरकार गिराने का प्रयास विद्रोहियों की ओर से अनुशासन उल्लंघन  है।’

‘दो तिहाई संख्याबल का कॉन्सेप्ट केवल विलय होने पर लागू’

देवदत्त कामत ने बताया कि दो तिहाई का संख्याबल का कॉन्सेप्ट (दलबदल विरोधी कानून पार करने को) केवल विलय होने पर ही लागू होता है। जब तक बागी विधायक किसी अन्य पार्टी में विलय नहीं करते, अयोग्यता लागू होती है। अभी तक विलय नहीं हुआ, उन्होंने स्वेच्छा से सदस्यता छोड़ दी है।’सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों से पता चलता है कि सदन के बाहर विधायकों की कार्रवाई पार्टी विरोधी गतिविधि  है और वे अयोग्य ठहराए जा सकते हैं। उन्होंने बुलाई गई बैठकों में भाग लेने के लिए पार्टी के निर्देशों का जवाब नहीं दिया है।’

एक दिन पहले, महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के 16 बागी विधायकों को समन जारी कर 27 जून की शाम तक लिखित जवाब देने को कहा गया था।

Maharashtra Shiv Sena Crisis Supreme Court: उद्धव को झटका, डेप्युटी स्पीकर के नोटिस पर रोक, SC में शिंदे’सेना’ और शिवसेना की क्या दलीलें, जानिए

महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराये की मांग पर शिंदे गुट (Eknath Shinde) के 16 विधायकों से 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने डेप्युटी स्पीकर के नोटिस पर रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने डेप्युटी स्पीकर के नोटिस पर लगाई रोक

महाराष्ट्र सियासी संकट के बीच शिवसेना  के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे को फिलहाल राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने डेप्युटी स्पीकर के नोटिस पर 11 जुलाई तक को रोक लगा दी। यह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना के धड़े को झटका है। वहीं एक और अर्जी पर विधानसभा के डेप्युटी स्पीकर, उद्धव ठाकरे सरकार और महाराष्ट्र पुलिस को भी नोटिस जारी किया है। तीन दिन में कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के निर्देश हैं। कोर्ट में दाखिल दो अर्जियों पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की वैकेशन बेंच ने सुनवाई की।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का क्या मतलब?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सीधा मतलब यह हुआ कि महाराष्ट्र विधानसभा के डेप्युटी स्पीकर नरहरि जिरवाल के 16 विधायकों को नोटिस पर जवाब की डेडलाइन की अब कोई वैधता नहीं रही। सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई तक को  नोटिस पर रोक दिया है। जस्टिस सूर्यकांत ने सुनवाई में कहा, ‘अंतरिम उपाय के रूप में हम, डेप्‍युटी स्‍पीकर की ओर से याचिकाकर्ताओं और ऐसे ही अन्‍य विधायकों को उनके लिखित जवाब दाखिल करने की समयसीमा आज शाम 5.30 बजे से बढ़ाकर 12 जुलाई 5.30 बजे तक करते हैं।’

सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट की पहली अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘जब तक हम सभी दावों को संतुलित न कर लें, हम केवल यथास्थिति बरकरार रखना चाहते हैं। हम सभी मसलों पर विचार करेंगे और उसके लिए हमें आपके हलफनामे चाहिए।’ कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं, महाराष्‍ट्र सरकार, विधानसभा के डेप्‍युटी स्‍पीकर और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। गर्मी की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर आगे की सुनवाई करेगी।

डेप्युटी स्पीकर के अधिकारों पर टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने डेप्युटी स्पीकर के अधिकारों को लेकर भी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि क्या डेप्युटी स्पीकर के पास संविधान की 10वीं अनुसूची में अयोग्यता की याचिका पर सुनवाई का अधिकार है, जब संविधान के अनुच्छेद 179 में उन्हें हटाने का नोटिस हो।

 

बेवजह की जल्‍दबाजी है लेकिन वो दूसरी बात है। पहली बात यह है कि स्‍पीकर इस मामले में कैसे आगे बढ़ सकते हैं। आज स्‍पीकर को हटाने के नोटिस पर बात होनी चाहिए।

एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल

एकनाथ शिंदे और 15 बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारडीवाला की बेंच कर रही है सुनवाई। वकील नीरज किशन कौल ने बहस की शुरुआत की।

एकनाथ शिंदे की तरफ से स्पीकर द्वारा दिए गए नोटिस को लेकर सबसे पहले बहस की शुरुआत हुई। कहा गया कि स्पीकर का नोटिस असंवैधानिक है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा आप हाई कोर्ट क्यों नहीं गए? नोटिस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते है।

एकनाथ शिंदे के वकील ने कहा कि आर्टिकल 32 में याचिका दाखिल कर सकते हैं। हमारे साथ 39 शिवसेना विधायक है। हमें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। घर और दूसरी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

Eknath Shinde की याचिका पर Uddhav Thackeray को SC से कई झटके

सुप्रीम कोर्ट

आप कह रहे हैं कि आपको अपनी जान की चिंता है। दूसरी ओर कह रहे हैं कि स्पीकर ने आपको पर्याप्त समय नहीं दिया है।

शिंदे के वकील

14 दिनों के नोटिस का समय होता है नियम के मुताबिक।सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नोटिस के बारे में बताइए।

शिंदे के वकील

मामले में डिप्टी स्पीकर बेवजह जल्दबाजी में हैं। उन्होंने आज शाम पांच बजे तक का समय दिया है। ये प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है।22 जून को नोटिस दिया गया कि शाम को मीटिंग में आएं जिसके तुरंत बाद 23 जून को स्पीकर के पास अपात्रता को लेकर अर्जी दी गई। स्पीकर ने हमको सिर्फ 2 दिन का समय दिया। स्पीकर का नोटिस जारी करना गलत है। स्पीकर इस मामले में जल्दी में थे। स्पीकर के पास विधायकों की अपात्रता का फैसला करते समय सभी सदस्यों का समर्थन होना चाहिए। तभी वो फैसला कर सकते हैं। इस मामले में खुद स्पीकर ही अविश्वास के दायरे में हैं।

शिंदे के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के अरुणाचल प्रदेश मामले में एक फैसले का जिक्र किया।अगर स्पीकर हटाने पर फैसले से पहले विधायकों की अपात्रता पर कार्यवाही हुई तो ये गंभीर पूर्वाग्रह होगा। जो असंवैधानिक है। डिप्टी स्पीकर भेदभावपूर्ण हैं। उन्हें हटाने संबंधी प्रस्ताव अभी लंबित है। वे विधायकों को अयोग्य करारने की प्रक्रिया शुरू करने का नोटिस जारी कर रहे हैं।

अदालत ने पूछा कि डिप्टी स्पीकर की ओर से कौन है। उद्धव ठाकरे की और से अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की । जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वो सबकी बात सुनेंगे।

सिंघवी

सुप्रीम कोर्ट की यह बात काफी महत्वपूर्ण है कि यह लोग बॉम्बे हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? अदालत में शिंदे कैंप ने कोई कारण नहीं बताया है कि हाईकोर्ट मामला क्यों नहीं जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट

सवाल यह है कि क्या 1992 में भी ऐसा ही मामला था। जहां स्पीकर की अपनी स्थिति पर सवाल उठाया गया था?

सिंघवी

-राबिया मामले में यह भी कहा गया है कि स्पीकर को ग़लत फैसला भी करने दें। अंतिम निर्णय के बाद ही अदालत हस्तक्षेप कर सकती है।कौल ने सुप्रीम कोर्ट के इस बात का जवाब नहीं दिया कि मामला हाई कोर्ट में नहीं चलना चाहिए। राजस्थान का अपवाद छोड़ दें तो सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी स्पीकर के पास लंबित कार्रवाई पर सुनवाई नहीं की। उनका अंतिम फैसला आने पर कोर्ट में सुनवाई होती है।देश में किसी भी मामले में एक बार कार्यवाही शुरू करने के बाद अध्यक्ष को कार्रवाई करने से रोका नहीं गया है।

जस्टिस सूर्यकांत

लेकिन क्या हम सदन की कार्यवाही से संबंधित सुनवाई कर रहे हैं ?

सिंघवी

स्पीकर का नोटिस देना, समय देना, यह सब सदन की कार्यवाही का ही हिस्सा है। ऐसे हालात में न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है।

जस्टिस सूर्यकांत

सुप्रीम कोर्ट के पहले फैसले में बात अलग थी। यहां हालात बिल्कुल अलग हैं। यहां तो खुद डिप्टी स्पीकर को ही चुनौती है।

सुप्रीम कोर्ट

एक स्पीकर जिसके खिलाफ अर्जी दी गई है। क्या वह खुद उस अर्जी पर सुनवाई कर सकता है? अदालत ने सिंघवी से कहा कि अगर आपको पक्ष रखने को समय चाहिए तो हम दे सकते हैं। दरअसल सिंघवी ने कहा कि कल रात ही उनके पास शिंदे की याचिका आई थी।

सुप्रीमकोर्ट

 

डिप्टी स्पीकर ने रिकॉर्ड पर कहा कि कभी भी उन्हें पद से हटाने के लिए नोटिस नहीं दिया गया। अगर ऐसा है तो हम हलफनामा दाखिल करने को कहेंगे। दूसरी तरफ यह सवाल भी उठता है कि अगर स्पीकर को नोटिस मिला तो क्या उन्होंने उसे खारिज कर दिया? अगर स्पीकर ने नोटिस को किसी कारण से रद्द किया तो इसका मतलब है कि वो खुद ही अपने मामले में जज बन गए।

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम इस मामले में नोटिस जारी कर रहे हैं। डिप्टी स्पीकर इसमें जवाब दाखिल करें। हम नहीं चाहते हैं कि हमारे पास सिर्फ एक ही पक्ष के कागजात हों। ऐसे में स्पीकर भी अपनी बात रखें।

सुप्रीम कोर्ट

यहां सवाल है कि क्या 34 विधायकों की तरफ से स्पीकर के खिलाफ नोटिस दिया गया या नहीं कि उन्हें पद से हटाया जाए?

स्पीकर के वकील राजीव धवन

 राजीव धवन बहस शुरू कर, बोले- विधायकों की तरफ से स्पीकर को भेजा गया नोटिस, अधिकृत ईमेल से नहीं भेजा गया। विधायकों ने जिस ईमेल से नोटिस दिया था वह अधिकृत ईमेल से नहीं था बल्कि वह किसी वकील के ईमेल से आया था।

धवन

वकील विशाल आचार्य की तरफ से मेल किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के वकील धवन को कहा कि आप डिटेल में हलफनामा दायर कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट

अभी कोई अपात्रता का आदेश नहीं आया है। सिर्फ एक नोटिस जारी किया गया है और दूसरा गुट स्पीकर के नोटिस और शक्ति को चुनौती दे रहा है।

कामत

अजय चौधरी की नियुक्ति का नोटिस शिवसेना के आधिकारिक लेटरहेड पर है। विधानसभा सचिवालय द्वारा स्वीकृति दी गई है । लेकिन दूसरा गुट एक कथित पत्र के आधार पर पार्टी नेतृत्व का दावा कर रहे हैं। यह तर्क नहीं हो सकता कि यदि विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है तो अध्यक्ष को अयोग्य घोषित करने की कोई शक्ति नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट

शिंदे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया। अदालत ने डिप्टी स्पीकर को नोटिस जारी किया। अजय चौधरी को भी नोटिस जारी किया। प्रभु को भी नोटिस जारी किया। केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया। तीन दिनों में जवाब दाख़िल करने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट- 11 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई।

धवन ने कहा कि डिप्टी स्पीकर के समक्ष विधायकों को पेश होने दें। हालांकि उनके खिलाफ कार्रवाई होगी या नहीं, यह मैं बिना बात किये (डिप्टी स्पीकर) से आधिकारिक रूप से कुछ नहीं सकता।

सुप्रीम कोर्ट

विधायकों को लिखित जवाब के लिए स्पीकर ने जो समय दिया है। वह आज शाम 5.30 तक है। उसे बढाकर 11 जुलाई किया जाता है। अब 11 जुलाई शाम 5.30 बजे तक का समय दिया गया है। अदालत ने डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर 11 जुलाई तक रोक लगाई।

सुप्रीम कोर्ट

महाराष्ट्र सरकार 15 अन्य विधायकों और उनके परिवार को सुरक्षा मुहैया करवाए। जीवन और संपत्ति की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी। शिंदे कैंप ने अपने और परिवार के लिए सुरक्षा की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या बदल सकता है? ये संभावनाएं

एकनाथ शिंदे गुट ने डेप्युटी स्पीकर नरहरि जिरवाल के नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की। डेप्युटी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के संबंध में नोटिस भेजा है। नोटिस पर शिंदे गुट को जवाब देने को शाम साढ़े पांच बजे तक वक्त दिया।

एक सूरत यह भी बनती है कि सुप्रीम कोर्ट बागी विधायकों से कहे कि वह मुंबई जाकर डेप्युटी स्पीकर के सामने अपने समर्थन में विधायकों की परेड कराएं।  शिंदे गुट के पास विधायकों का पर्याप्त नंबर होता है तो उसे अलग गुट की मान्यता मिल सकती है। अभी शिवसेना के पास 55 विधायक हैं और दो तिहाई विधायक होने पर उसे अलग गुट की मान्यता मिल जाएगी। यानी 37 विधायक होने पर शिंदे गुट को मान्यता मिलेगी। शिंदे कैंप का दावा है कि उनके पास शिवसेना के 40 विधायकों का समर्थन है।

दिग्गज वकील पक्ष-विपक्ष में

एकनाथ शिंदे गुट और शिवसेना की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील आमने-सामने हैं। एकनाथ शिंदे की ओर से हरीश साल्वे तो शिवसेना ने अपना पक्ष रखने को अभिषेक मनु सिंघवी को हायर किया है। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से देवदत्त कामत तो विधानसभा के डेप्युटी स्पीकर की तरफ से रवि शंकर जंध्याला केस लड़ रहे हैं।

दल-बदल कानून होगा लागू?

शिंदे ने महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्यों (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1986 के प्रावधानों के मनमाने और अवैध इस्तेमाल को चुनौती दी है। उन्होंने याचिका में कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के लिए विवश हैं। उनका कहना है कि विधानसभा उपाध्यक्ष ने विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के लिए शुरू की गई प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) का पूरी तरह से उल्लंघन है।

याचिका में तर्क दिया गया है कि फरवरी 2021 में नाना पटोले के पद से इस्तीफा देने के बाद से अध्यक्ष की सीट खाली है और किसी अन्य के पास यह अधिकार नहीं है कि वह अयोग्यता याचिका पर निर्णय ले सके, जिसके तहत याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया है।

27 तक मांगा था लिखित जवाब

महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराये की मांग पर शनिवार को 16 बागी विधायकों को ‘समन’ कर 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा था। उम्मीद थी कि 27 जून को इस मामले में स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। हालांकि रविवार को सुप्रीम कोर्ट में इस अयोग्य करार देने वाले नोटिस के खिलाफ याचिका हो गई तो मामला और पेचीदा हो गया।

बागी गुट ने क्या कहा?

ठाणे के कोपरी-पछपाखडी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक शिंदे ने शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु के कहने पर बागी विधायकों के खिलाफ शुरू अवैध अयोग्यता कार्यवाही को चुनौती दी और कहा कि शिवसेना विधायक दल के मुख्य सचेतक से उन्हें हटाए जाने के बाद उनके पास व्हिप जारी करने का कोई अधिकार नहीं रह गया है और तदनुरूप मामले को सत्यापित किए बिना उपाध्यक्ष का समन किया जाना अनुचित है।

रविवार को महाराष्ट्र के एक अन्य मंत्री उदय सामंत रविवार को गुवाहाटी पहुंच असंतुष्ट खेमे में शामिल हो गए। सामंत का काफिला असम पुलिस के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग 37 के पास रैडिसन ब्लू होटल जाते देखा गया। अब तक महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे, संदीपन भुमरे और राज्य मंत्री शंबुराजे देसाई और अब्दुल सत्तार विद्रोही खेमे में शामिल हो चुके। एक अन्य मंत्री प्रहार जनशक्ति पार्टी के बाचु कडू और शिवसेना कोटे से निर्दलीय मंत्री राजेंद्र येद्रावकर भी शिंदे के साथ डटे हैं।

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