संघ व्यक्ति निर्माण और संगठन के अलावा कुछ नहीं करता: युद्धवीर सिंह

देहरादून 27 जून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तराखंड प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह ने आज यहां वर्चुअल पत्रकार वार्ता में किये गए सवालों के जवाब में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विषय में जिज्ञासा शांत करते हुए कहा कि वैसे तो जैसे चाय पीकर ही पता चलता है कि वह फीकी है कि मीठी और मीठी हैं तो कितनी मीठी, इसी तरह बिना संघ शाखा या कार्यालय में आते संघ को समझना मुश्किल है लेकिन सिद्धांत: संघ व्यक्ति निर्माण और संगठन के अलावा और कुछ नहीं करता। हां, उसके कार्यकर्ता 35 अनुषांगिक संगठनों के माध्यम से समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए करने को कुछ भी बाकी नहीं छोड़ते। उन्होंने यह भी कहा कि संघ के अनुषांगिक संगठन स्वायत्त और स्वतंत्र हैं और दिशा निर्देशों के लिए संघ पर निर्भर नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर संघ संगठनों को यदा-कदा परामर्श जरूर देता है।
उन्होंने बताया कि संगठन की दृष्टि से उत्तराखंड में 26 जिले,80 नगर और 128 ब्लाक बना कर विभिन्न सेवा कार्य किते जा रहे हैं। उदाहरण को कोरोना की पहली लहर में संघ और उसकू अनुषांगिक संगठनों ने 708 स्थानों पर यात्रियों को लाखों पैकेट भोजन वितरण किया। 65 डॉक्टरों और वैद्यों की सूची बना मदद को फेसबुक और वाट्स एप पर संपर्क नंबर दिए गए ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी मदद ली जा सके। रक्तदान शिविर आयोजित किए गए। इन्ही सब कामों में रूड़की के भारत भूषण, देहरादून के विपिन राणा और हरिद्वार के तो संघचालक तक का बलिदान हो गया।
युद्धवीर सिंह जी ने बताया कि संघ प्रदेश में गरीब परिवारों के बच्चों के लिए गुप्तकाशी, कोटी कालोनी,मनेरी आदि स्थानों पर 11 छात्रावासों और विवेकानंद सेवा संस्थान के बदरी, केदार,मनेरी, जागेश्वर धाम, हरिद्वार, पीपलकोटी आदि में 10 चिकित्सालयों का संचालन कर रहा है। गंगोत्री में भी चिकित्सालय एक सितंबर से शुरू हो जायेगा।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में लगभग चार हजार एकल विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं और 654 शिशु सरस्वती विद्यालयों में एक लाख से ज्यादा विद्यार्थी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर संघ ने 38000 परिवारों को जोड़ा जिनके माध्यम से करीब डेढ़ लाख जनों ने योगाभ्यास किया।
श्री युद्धवीर सिंह ने इस तरह की धारणा को गलत बताया कि संघ भारतीय जनता पार्टी को नियंत्रित, निर्देशित करता है अथवा दबाव गुट की तरह काम करता है। उनका कहना था कि मांगें जाने पर यदा-कदा संघ परामर्श जरूर देता है लेकिन न भाजपा और न ही अन्य अनुषांगिक संगठनों के दैनंदिन कार्यों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप करता है।
पत्रकार जानना चाहते थे कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत तो संघ के प्रचारक रहे तो फिर वे कैसे संगठन और संघ के नियंत्रण से बाहर दिखते थे। इस तरह के सवालों को टालते हुए संघ प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह ने कहा कि क्या हम गैर-राजनीतिक विषय पर बात कर सकते हैं? पत्रकार यह भी जानना चाहते थे कि व्यक्ति निर्माण के बाद भी राजनीति में संघ से निकले लोग अपेक्षा पर खरे क्यों नहीं उतर पाते।

लेकिन पत्रकार अपनी धारणाओं को साफ करने का मौका देख घुमा-फिरा कर राजनीतिक सवालों पर डटे रहे। एक सवाल लंबे खिंचते असुविधाजनक स्मार्ट सिटी के कामों पर था जो बीरबल की खिचड़ी की तरह अनंत काल तक चलता दिखने से जनता की नजर में कांटे की तरह खलने लगा है। इस पर प्रांत प्रचारक का सीधा कहना था कि हम अपना घर बनाते हैं जिसमें वित्त व्यवस्था समेत सब कुछ हमीं को करना होता है, उसमें भी समय लगता है। फिर यह तो पूरे शहर का काम है। उन्होंने जनता से इस विषय में सहयोग और धैर्य की अपेक्षा की।
अंत में तय हुआ कि इस पत्रकार वार्ता को परिचयात्मक ही रखा जाये और शेष विषय तथा जिज्ञासाओं को फिर आगे के किसी कार्यक्रम में ले लिया जाए। संचालन विश्व संवाद केन्द्र के हिमांशु अग्रवाल ने किया।
एक प्रसंग में संघ प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह ने बताया कि संघ प्रचारक अविवाहित होते हैं और हिमांशु अग्रवाल जैसे कार्यकर्ताओं को संघ से कुछ नहीं मिलता। वे अपना खर्च कर संघ कार्य के लिए समय देते हैं। बल्कि संघ संचालन को आर्थिक सहायता के रूप में साल में एक बार गुरु दक्षिणा भी देते हैं।

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