दारूल इफ्ता से फतवा: कोरोना वैक्सीन लगवाने से नहीं टूटेगा रोज़ा

रमजान में कोरोना वैक्सीन लगवाना सही होगा या नहीं, मुस्लिम धर्मगुरुओं का इस पर अहम फतवा, जानें

14 अप्रैल से रमजान हैं. मुस्लिम समुदाय के लोगों के मन में ये सवाल है कि वैक्सीन लगवाने से रोजा तो नहीं टूट जाएगा.
अप्रैल से रमजान शुरू हो रहे हैं. मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए ये महीना बेहद अहम है. चूँकि इस बार भी रमजान कोरोना काल में ही पड़ रहे हैं. संक्रमण अपने चरम पर है. कोरोना टीकाकरण भी चल रहा है. ऐसे में सवाल पूछा जा रहा है कि क्या कोरोना वैक्सीन लगवाने से रोजा टूट सकता है. मुस्लिम धर्मगुरुओं और दारुल इफ्ता ने इसका जवाब दिया है. इसके जवाब में फतवा भी जारी कर दिया गया है.

कदारूल इफ्ता फरंगी महल ने अपने एक फतवे में कहा है कि अगर रोजे से हैं और कोरोना का टीका लगवाते हैं तो रोजा नहीं टूटेगा (Roze ki Halat me Corona Vaccine lagwane se Roza nahi tootega). इसलिए रमजान के महीने में रोजे की हालत में वैक्सीन ली जा सकती है. दारुल इफ्ता द्वारा इस महत्वपूर्ण फतवे में कहा गया है कि कोरोना टीके की दवा इंसानी बदन की रगों में दाखिल होती है, पेट के अंदर नहीं, इसलिए इसके लगवाने से रोजा नहीं टूटेगा. मुसलमानों को केवल रोजे की वजह से कोविड-19 का टीका लगवाने में देर नहीं करनी चाहिए।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नागरिक अब्दुर्रशीद किदवाई ने दारूल इफ्ता से यह सवाल किया था, कोविड-19 जैसी भयानक बीमारी इस समय अपने चरम पर है. इससे बचाव के लिए वैक्सीन इंजेक्शन के माध्यम से दी जा रही है. इसकी दो खुराकें दी जायेगी. हमने कई दिन पहले इसकी पहली खुराक ली है. दूसरी खुराक रमजान में दी जायेगी. आपसे मालूम यह करना है कि क्या रोजे की हालत में वैक्सीन (Ramzan me Roje ke beech Vaccine Lagwana Sahi hai ya nahi) ली जा सकती है?’’

इस सवाल के जवाब में दारूल इफ्ता फरंगी महल ने यह फतवा दिया. इस फतवे पर मौलाना मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मौलाना नसरूल्लाह, मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीक़ी और मौलाना मुहम्मद मुश्ताक के दस्तखत हैं. ये फतवा इसलिए भी अहम है क्योंकि बहुत से ऐसे मुस्लिम हैं जिनके दिमाग में रोजे के बीच वैक्सीन लगवाना ठीक है या नहीं, ये सवाल चल रहा है. इसका जवाब भी मिल गया है.

Ramadan 2021: आज दिखा चांद, शुरू हो गया इबादत का मुकद्दस महीना रमजान, कल पहला रोज़ा

Ramadan 2021: रहमतों और बरकतों का महीना है रमज़ान.
Ramadan 2021: रमजान रहमतों और बरकतों का पवित्र महीना है. रोजा हर बालिग मुसलमान पर फर्ज है. रोजा रखने के लिए सुबह सहरी (Sehri) की जाती है और शाम को इफ्तार (Iftar) करके रोजा खोला जाता है.
मुस्लिम समुदाय में बहुत पवित्र माना जाने वाला रमजान का महीना शुरू हो गया है. कल यानी 14 अप्रैल से रोजे (Roze) रखे जाएंगे. रमजान के महीने की शुरुआत चांद (Moon) देख कर होती है. चांद देखने के अगले दिन से रोजे रखे जाते हैं. इस महीने को बरकतों का महीना माना जाता है. मुस्लिम समाज में इसकी बहुत अहमियत है. रमजान के महीने में 29 या 30 दिन के रोजे रखे जाते हैं और इबादत (Worship) की जाती है. इस दौरान लोग पांचों वक्‍त की नमाज अदा करते हैं और कुरआन मजीद की तिलावत करते हैं.

मुसलमान पर फर्ज है रोजा

इस्लाम मजहब में रमजान के महीने को बेहद मुकद्दस (पवित्र) माना जाता है. रमजान अल्‍लाह की रहमतों, बरकतों का महीना है. रमजान के पाक महीने में अल्लाह ने मुसलमानों पर रोजे रखना फर्ज किए हैं. रोजे इस्‍लाम के पांच बुनियादी सिद्धांतों और सबसे अहम फर्जों में से एक हैं. रोजा हर बालिग मुसलमान पर फर्ज है. इस पूरे महीने भर रोजा (उपवास) रखें जाते हैं, पांचों वक्त की नमाज अदा की जाती है और दिन अल्‍लाह की इबादत में गुजरता है. कहा जाता है कि इस महीने की जाने वाली इबादत का सवाब (पुण्‍य) अन्य महीनों की तुलना में कई गुना ज्यादा मिलता है.

सहरी-इफ्तार है जरूरी

रमजान के महीने में रोजा रखना हर बालिग मुसलमान पर फर्ज है, लेकिन बुजुर्ग, कम उम्र के बच्‍चों, बीमार लोगों और प्रेग्‍नेंट महिलाएं अगर रोजा रखने की ताकत नहीं रखते, तो रोजा रखना उनकी इच्‍छा पर है. यानी इन्‍हें रोजा से रियायत दी गई है. रोजा रखने के लिए सुबह सूरज निकलने से पहले सहरी की जाती है और फज्र की अजान के बाद नमाज अदा की जाती है. लोग कुरआन मजीद की तिलावत करते हैं. शाम को इफ्तार करके रोजा खोला जाता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित है। हम इनकी पुष्टि नहीं करते . इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

 

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