पुण्य स्मृति: आजाद हिंद फौज के संस्थापक थे रास बिहारी बोस

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बच्चों में मानवीय मूल्यों के विकास, समाज-सुधार तथा राष्ट्रवादी जन-चेतना के लिए समर्पित *मातृभूमि सेवा संस्था* आज देश के स्वतन्त्रता सेनानियों, क्रांतिकारियों एवं ज्ञात-अज्ञात राष्ट्रभक्तों को उनके जयंती, पुण्यतिथि व बलिदान दिवस पर कोटिश: नमन करती है।🙏🙏

🇮🇳 असहयोग आंदोलन में सक्रिय एवं असम को पूर्वी पाकिस्तान में जाने से रोकने में गोपीनाथ बर्डोलोई को महत्वपूर्ण सहयोग देने वाले *विष्णु राम मेधी* की पुण्यतिथि, गदर पार्टी के महान क्रांतिकारी जिनके नाम पर सन् 1897 एवं सन् 1907 में दूसरी बार फाँसी की सजा सुनाई गई *सूफी अंबा प्रसाद* की पुण्यतिथि तथा भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय व क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण मात्र 19 वर्ष की आयु में सहर्ष फाँसी चूमने वाले राष्ट्रभक्त युवा *हेमू कालाणी* के बलिदान दिवस पर ऋणी राष्ट्र नतमस्तक है। 🌷🌷

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🔥🔥 *रास बिहारी बोस जी* 🔥🔥
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✍ देश से बाहर जाकर विदेशी राष्ट्रों की सहायता से अंग्रेजों के विरुद्ध वातावरण तैयार कर भारत की मुक्ति का रास्ता निकालने वाले, सन् 1937 में ‘भारतीय स्वातंत्र्य संघ’ (Indian Independence League) तथा आज़ाद हिंद फौज़ (INA) की स्थापना करने वाले महान देशभक्त रासबिहारी बोस की आज 76वीं पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन। 25 मई, 1886 को क्रांतिकारी-भूमि बंगाल में पिता बिनोद बिहारी बोस तथा माता भुवनेश्वरी देवी के घर जन्मे रासबिहारी बोस महान क्रान्तिकारी श्रीश चन्द्र घोष के घनिष्ठ मित्र एवं सहपाठी थे। इन दोनों के प्रधानाचार्य चारु चन्द्र रॉय ने इन्हें प्रेरित कर क्रांतिकारी बनाने ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।🙏🙏🌷🌷🌷🌷

📝 प्रतिभा के धनी रासबिहारी बोस ने चिकित्सा विज्ञान (Medical) के साथ-साथ फ्रांस और जर्मनी से इंजीनियरिंग (Engineering) में भी डिग्री प्राप्त की। शिक्षा उपरांत रासबिहारी बोस ने ब्रिटिश सरकार के प्रेस में कार्य किया, बाद में देहरादून वन अनुसंधान संस्थान में कार्यरत रहे,ताकि कोई इनकी क्रांतिकारी गतिविधियों में संलग्नता पर शक ना कर सके। उन्होंने ही लॉर्ड हार्डिंग पर 23 दिसंबर, 1912 को हुए बम हमले की योजना बनाई थी। इस हमले के उपरांत जब उनकी धड़-पकड़ को गतिविधियां तेज हुई तो उन्होंने जापान जाकर विदेशी धरती से देश की आज़ादी के लिए योजनाएं बनाईं। रासबिहारी बोस के क्रांतिकारी कार्यों का एक प्रमुख केंद्र वाराणसी रहा है, जहाँ वें गुप्त रूप से रहकर देश के क्रांतिकारी आंदोलन का संचालन किया करते थे। वाराणसी से सिंगापुर तक क्रांतिकारियों को संघटित करने में उन्हें सफलता मिली थी। 21 फरवरी, 1915 का एक साथ सर्वत्र विद्रोह करने की तिथि निश्चित की गई थी, किंतु दल के एक व्यक्ति के भेद बता दिए जाने के कारण योजना सफल न हो सकी। 🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

📝जापान जाकर रासबिहारी बोस ने टोशिका सोमा (तोशिका बोस) से विवाह किया ताकि उन्हें जापान की नागरिकता मिल सके। उसके बाद ब्रिटिश सरकार के विदेश में नजरबंद/कैदी फौजियों को उन देशों से प्राप्त कर एक विशाल सेना बनाने की योजना पर कार्य करने लगे, जो उस समय ब्रिटिश सरकार के लिए लड़ते थे। उन्हे अब इसी ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार करने की बारी थी। भारतीय स्वातंत्र्य संघ की स्थापना से ही अब आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना संभव हुई। इस सेना के प्रधान मोहन सिंह थे। इसी संघटन के आधार पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने द्वितीय आज़ाद हिन्द फ़ौज तैयार की। देश की आज़ादी के लिए रासबिहारी बोस के बेहतरीन योगदानों में से आज़ादी हिंद फौज की स्थापना एक थी। रासबिहारी बोस भारत की विभिन्न राष्ट्रीय भाषाओं के अच्छे ज्ञाता थे। इसी कारण इन्हें देश में क्रांतिकारी संघटन करने में अभूतपूर्व सफलता मिली थी। जापान जाकर भी आपने भारतीय स्वतंत्रता के लिए ऐतिहासिक कार्य किए। यहाँ जापानी भाषा का अध्ययन कर उन्होंने इस भाषा में भारतीय स्वतंत्रता के संबंध में पाँच पुस्तकें लिखीं। इन पुस्तकों का जापान में व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ। संडरलैंड की ‘पराधीन भारत’ शीर्षक पुस्तक का उन्होने जापानी भाषा में अनुवाद किया। *मातृभूमि की सेवा में उनके महान योगदान हेतु ऋणी राष्ट्र रास बिहारी बोस को कोटिश: करता है।*
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✍️ राकेश कुमार
🇮🇳 *मातृभूमि सेवा संस्था 9891960477* 🇮🇳

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