बजट घाटा सरकार की चिंता में नहीं, भारी-भरकम खर्च की तैयारी

रफ्तार देने की योजना:अर्थव्यवस्था में भारी-भरकम खर्च करेंगे, बजट घाटे के लक्ष्य की चिंता नहीं है- वित्तमंत्री

वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि फिलहाल मैं राजकोषीय घाटे के आंकड़े को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं हूं क्योंकि मेरे लिए पैसा खर्च करना एक बड़ी जरूरत है
सितंबर में समाप्त तिमाही में भारत की GDP में 7.5% से कम की गिरावट आई
जिस गति से अभी देश की अर्थव्यवस्था चल रही है उसमें निरंतरता होनी चाहिए

मुम्बई 08 दिसंबर। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत अपने बजट घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के बारे में चिंता नहीं करेगा क्योंकि वह अर्थव्यवस्था की निरंतरता के लिए खर्च करना चाहता है। एक टीवी इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा कि राहत पैकेज जल्दबाजी में खाया हुआ कोई घाव साबित नहीं होगा। साथ ही, सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सरकारी कंपनियां पूंजीगत खर्चों को जारी रखें।

पैसा खर्च करना एक बड़ी जरूरत है

सीतारमण ने कहा कि फिलहाल मैं राजकोषीय घाटे के आंकड़े को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं हूं। क्योंकि मेरे लिए पैसा खर्च करना एक बड़ी जरूरत है। पिछले महीने भारत सरकार ने कंपनियों को उबारने और कोरोनावायरस महामारी के कारण खोई हुई नौकरियों को बचाने के लिए अर्थव्यवस्था की तुलना में 15% का राहत पैकेज दिया। हालांकि इसे कई चरणों में दिया गया। इससे बजट गैप सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की तुलना में मार्च तक 8% तक पूरा किया जा सकता है, जो कि 3.5% के लक्ष्य से दोगुना है।

आंकलन करने की जरूरत

1 फरवरी को पेश होने वाले बजट से पहले उन्होंने कहा कि जहां तक आने वाले वर्ष का संबंध है, हमें इसका ऑकलन करने की जरूरत है। मैं यकीन के साथ नहीं कह सकती हूं कि तुरंत खर्च में कटौती की जा सकती है। यह एक सावधानी भरा कदम होना चाहिए। क्योंकि जिस गति से अर्थव्यवस्था चल रही है उसमें निरंतरता होनी चाहिए।

राहत पैकेज फूंक रहा है जान

वित्त मंत्री ने कहा कि राहत पैकेज पहले से ही एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में एक जान फूंकने का काम कर रहा था। वित्त वर्ष की पहली तिमाही की तुलना में यह बहुत बेहतर है। पहली तिमाही में यह 23.9% गिरी थी। कई हाई फ्रीक्वेंसी संकेतकों से भी सेवाओं और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों की गतिविधियों में सुधार का पता चला है। यही क्षेत्र अर्थ व्यवस्था के प्रमुख इंजन हैं। यह फिलहाल मंदी की चपेट में हैं।

आरबीआई ने नजरिए में किया बदलाव

उन्होंने कहा कि इसने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस महीने अर्थव्यवस्था के लिए अपने वार्षिक दृष्टिकोण (annual outlook) में बदलाव किया। इस बदलाव में अक्टूबर में 9.5% की गिरावट के अनुमान की तुलना में दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.5% की गिरावट दर्ज की गई। सीतारमण ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और RBI दोनों बहुत स्पष्ट रूप से रिकवरी देख रहे हैं। मैं नए साल में इससे अच्छी, निरंतर और सकारात्मक रिकवरी देख रही हूं।

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