विधानसभा बैक डोर भर्तियां निरस्तीकरण फैसला सही: नैनीताल हाको डबल बैंच

Uttarakhand Vidhansabha Recruitment Scam High Court Said Speaker Order Is Correct  विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, स्पीकर के आदेश को बताया सही
देहरादून 24 नवंबर। उत्तराखंड विधानसभा में हुईं भर्तियों की जांच के लिए बनी तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति की रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं छह तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां निरस्त की गई थी।

हाईकोर्ट में उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों को एकलपीठ के बहाल किए जाने के आदेश को चुनौती देती विधान सभा की ओर से नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की डबल बैंच में दायर विशेष अपीलों पर सुनवाई की गई। इसके बाद एकलपीठ के आदेश को निरस्त करते हुए विधान सभा सचिवालय के आदेश को हाईकोर्ट ने सही ठहराया।

उत्तराखंड विधानसभा में पूर्व में विधानसभा अध्यक्षों के नियुक्त कर्मचारियों को सेवा से निकाले जाने के सरकार के निर्णय पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। बता दें, उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने विधानसभा में बैकडोर से हुईं 250 भर्तियां रद्द कर दी थी। इनमें 228 तदर्थ और 22 उपनल के माध्यम से हुईं नियुक्तियां शामिल हैं।

उत्तराखंड विधानसभा भर्ती घोटाले मामले में विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करते हुए उनके खिलाफ जांच बैठा दी गई थी। विधानसभा में हुईं भर्तियों की जांच के लिए बनी तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट दे थी। इस रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं छह तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द की गई।

बैकडोर भर्ती मामले में HC के फैसले का ऋतु खंडूरी ने किया स्वागत, कांग्रेस ने उठाए सवाल

उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से भर्तियों को लेकर काफी बवाल हुआ था. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए सभी 228 भर्तियों को निरस्त कर दिया था.

उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से भर्ती मामले में हाईकोर्ट (High Court) की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त हुए विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को सही ठहराया है और सभी बर्खास्त 228 कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश को जारी रखने को कहा है. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी (Ritu Khanduri) ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं कांग्रेस इससे असंतुष्ट नजर आई. कांग्रेस (Congress) प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा (Karam Mahara) ने कहा कि जिन नेताओं का इसमें हाथ था उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए थी.

दरअसल उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से हुई भर्तियों को लेकर काफी बवाल हुआ था. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही ऋतु खंडूरी ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए बैक डोर की सभी 228 भर्तियों को निरस्त कर दिया था. जिसके बाद ये मामला हाईकोर्ट पहुंच गया. हालांकि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सचिवालय से बर्खास्त 228 कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद इस आदेश को विधान द्वारा खंडपीठ में चुनोती दी गई. लिहाजा आज खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया और विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को सही ठहराया.

 

विधानसभा अध्यक्ष ने किया फैसले का स्वागत

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने हाईकोर्ट की डबल बेंच के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि ये न्याय की जीत है. उन्होंने प्रदेश के युवाओं से वादा करते हुए कहा कि किसी भी तरह का छलावा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. न्याय के लिए वो किसी भी स्थिति तक जाने को तैयार हैं. अगर जरुरत पड़ी तो वो सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएंगे.

 

अदालत के फैसले से कांग्रेस असंतुष्ट

इधर हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले से कांग्रेस संतुष्ट नजर नहीं आ रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस करन माहरा ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से की गई 228 कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की कार्रवाई को आधा-अधूरा बताया है. उन्होंने कहा कि राज्य की पहली विधानसभा से जांच होनी चाहिए. यहीं नहीं, इस कार्रवाई से जिन नेताओं ने अपने परिजनों की नौकरी लगवाई है वो सभी बच गए है. हालांकि, किसी की नौकरी चले जाने से कांग्रेस खुश नहीं है लेकिन जिन नेताओं ने नैतिकता को ताक पर रख कर नौकरियां लगवाई है उनपर भी कार्रवाई होनी चाहिए थी.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *