नैनीताल हाईकोर्ट ने निराश्रित पशुओं पर सरकार से मांगा जवाब

HEARING ON PETITION FILED REGARDING STRAY ANIMALS IN NAINITAL HIGH COURT
आवारा पशुओं पर हो रहे अमानवीय अत्याचार का मामला, हाईकोर्ट ने सरकार से किए जवाब तलब

Nainital High Court नैनीताल हाईकोर्ट में आज आवारा पशुओं पर हो रहे मानवीय अत्याचार के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की गई. मामले में कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं.

नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने आवारा पशुओं पर हो रहे मानवीय अत्याचार के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस मामले में चार सप्ताह के भीतर शपथ पत्र पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर की तारीख निर्धारित की गई है.

मामले में आज पशु कल्याण बोर्ड ने शपथ पत्र देकर कहा कि बोर्ड ने आवारा पशुओं के उत्थान के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रखी हैं. कई एनजीओ भी इस पर कार्य कर रहे हैं. बोर्ड ने बजट भी जारी किया है. वहीं, इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि जो डेटा शपथ पत्र में पेश किया गया है. वह कागजों तक ही सीमित है. हर गली मोहल्ले, सड़कों और नालियों में आवारा पशु विचरण करने को मजबूर हैं.

अगर उनके कल्याण के लिए धरातल पर कोई कार्य किया होता तो, आवारा पशु सड़क, गलियों और नालों में विचरण नहीं करते. मामले के अनुसार भोटिया पडाव हल्द्वानी निवासी निरुपमा भट्ट तलवार ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि इंसानों द्वारा अपने पालतू पशु गाय, घोड़ा, कुत्ता,बिल्ली और भैंस आदि को सड़कों, गलियों,जंगलों और नालों में आवारा छोड़ा जा रहा है. जिसकी वजह से उनके उपर अमानवीय अत्याचार बढ़ रहे हैं.

लोग इनसे निजात पाने के लिए इनके ऊपर कई तरह के अत्याचार कर रहे हैं. जैसे गलियों से इनको भगाने के लिए इनके ऊपर गर्म पानी डालना, खेतों से भगाने के लिए करंट छोड़ना, लाठी डंडों से मारना आदि. अभी तक सरकार के पास पशु क्रूरता के मामलों के आंकड़े तक उपलब्ध नहीं हैं, जबकि पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की रिपोर्ट 2012-15 के मुताबिक भारत में 24000 हजार पशु क्रूरता के मामले दर्ज थे. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि आवारा पशुओं के रहने के लिए सेल्टर, चिकित्सा, पानी और चारे की व्यवस्था करने के आदेश सरकार को दिए जाएं और इन पर हो रहे अत्याचार पर रोक लगाई जाए.

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