कश्मीरी पंडितों के हत्यारे बिट्टा कराटे से निकाह किया था सरकारी अफसर ने

जिस बिट्टा ने कश्मीरी पंडितों का किया कत्ल, उससे J&K की क्लास-I ऑफिसर ने किया था निकाह, कहा था- ‘मेरे लिए गर्व की बात’


बिट्टा कराटे ने कश्मीर की प्रशासनिक अधिकारी से निकाह किया था (फोटो साभार: इंडिया टीवी)

‘द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files)’ के कारण फिर से चर्चा में आए 1990 के दशक के कश्मीरी पंडितों का हत्यारा और कभी खूंखार आतंकी रहे फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे (Farooq Ahmed Dar alias Bitta Karate) को लेकर एक बेहद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिट्टा ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा (KAS) की अधिकारी से निकाह (इस्लामिक वैवाहिक अनुबंध) किया था। प्रशासनिक अधिकारी का पद बेहद शक्तिशाली और संवेदनशील होता है।

इस अधिकारी का नाम है असाबा अर्जुमंद खान। दोनों की जान-पहचान 1990 के दशक में हुई थी, जब घाटी में आतंकवाद अपने चरम पर था और बिट्टा कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार में शामिल था। बिट्टा को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे भेज दिया गया। लगभग 16 साल जेल में रहने के बाद TADA कोर्ट ने उसे साल 2006 में जमानत पर रिहा कर था।

असाबा खान ने 1999 में कश्मीर विश्वविद्यालय से जन संचार और पत्रकारिता में एमए किया। इसके बाद उन्हें कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में संपादक के रूप में नियुक्ति मिल गई। साल 2003 से 2007 तक इस पद पर रहीं। इसके बाद जर्मनी से ‘पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट स्टडीज’ का कोर्स भी किया। साल 2009 में खान ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) परीक्षा उत्तीर्ण की और सामान्य प्रशासनिक विभाग में तैनात हुईं।

दोनों ने साल 2011 में निकाह की घोषणा की थी और मार्च 2015 में निकाह किया था। तब असाबा ने कहा था, “उनसे (कराटे से) शादी करना मेरे लिए सम्मान की बात है। मेरे नजदीकी लोगों को जब पता चला कि मैं एक अलगाववादी के साथ निकाह कर रही हूँ तो उन्होंने चिंता जाहिर की थी, लेकिन मैंने उन्हें समझा दिया कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है।”

बिट्टा कराटे ने निकाह से पहले कहा था, “सरकारी सेवा में लगे सभी लोग आजादी के समर्थक हैं। आजादी मेरा पहला और आखिरी प्यार है और यह शादी उससे कोई समझौता नहीं करेगी।” उसने उदाहरण देते हुए कहा था, “मेरे दोस्त जावेद मीर (जेकेएलएफ आतंकी) की पत्नी एक सरकारी वकील है। इसी तरह, नईम खान (एक आतंकी) ने विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर से शादी की है।”

बिट्टा कराटे ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने उसे रिहा करने से पहले सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था। कराटे ने कहा था, “मुझे आंदोलन में शामिल होने का कोई पछतावा नहीं है। मैंने अपनी युवावस्था का एक प्रमुख कारण एक कारण के लिए जेल में बिताया और मुझे इस पर गर्व है। सुप्रीम कोर्ट ने मुझे उन सभी आरोपों से बरी कर दिया, जो दुनिया को दिखाने के लिए मेरे खिलाफ लगाए गए थे कि कश्मीरी लड़ाके अपराधी हैं।”

2008 में अमरनाथ भूमि आंदोलन के दौरान उन्हें भी कराटे को गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा साल 2019 में टेरर फंडिंग के मामले में भी NIA ने गिरफ्तार किया था। यह भी कहा जाता है कि कश्मीर के पुलिस अधिकारी इम्तियाज हुसैन ने बिट्टा कराटे को आतंकवाद से दूर रहने के लिए उसकी पत्नी असाबा से संपर्क किया था।

जेकेएलएफ प्रमुख और आतंकी यासीन मलिक की पत्नी मुशाल भी एक कलाकार हैं, जो अपनी नग्न पेंटिंग के लिए जानी जाती हैं। मुशाल पाकिस्तान के एक प्रतिष्ठित परिवार से आती हैं। मुशाल के पिता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और माँ पाकिस्तान मुस्लिम लीग की नेता थीं।

‘सतीश को मारा, पंडित था वो.. RSS से जुड़ा था’: जब ‘कश्मीरी पंडितों का कसाई’ ने कबूली हत्याएँ


फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे (दाएँ), सतीश टिक्कू की तस्वीर के साथ उसके परिजन (साभार: द कश्मीर, @rahulpandita)

महीना जनवरी का ही था। साल था 1990। घाटी में धार्मिक नरसंहार का दौर चला था, जिसने तीन से आठ लाख कश्मीरी हिन्दुओं को पलायन के लिए मजबूर किया। कश्मीरी पंडितों को किस तरह निशाना बनाया गया इसे फारूक अहमद डार (Farooq Ahmed Dar) उर्फ बिट्टा कराटे के एक पुराने इंटरव्यू से समझा जा सकता है। जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का यह आतंकी ‘कश्मीरी पंडितों का कसाई (Butcher of Kashmiri Pandits)’ भी कहा जाता है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी और मेहबूबा मुफ्ती की बहन रुबिया सईद के अपहरण से भी जुड़ा था। उस समय सईद केंद्र सरकार में गृह मंत्री हुआ करते थे और इस घटना के बाद सरकार ने घुटने टेकते हुए रुबिया की रिहाई के लिए आतंकियों को छोड़ दिया था।

बिट्टा कराटे (Bitta Karate) ने कैमरे पर 20 कश्मीरी पंडितों की हत्या की बात कबूली थी। उसने दावा किया था कि उसका निशाना कभी नहीं चूकता था। अब अपने टारगेट के सिर या दिल में ही गोली मारता था। पत्रकार राहुल पंडिता ने एक लेख में उसका जिक्र करते हुए लिखा था: जेकेएलएफ का हत्यारा पिस्तौल लेकर श्रीनगर में घूमता और पंडितों की गंध (बट्ट-ए-मुश्क) खोजता था ताकि उन्हें खोज कर मार सके।

बिट्टा ने एक इंटरव्यू पत्रकार मनोज रघुवंशी को दिया था। इसमें उसने बताया था कि सबसे पहले उसने सतीश कुमार टिक्कू को मारा था क्योंकि वह आरएसएस से जुड़े थे। रघुवंशी ने उससे पूछा था: सबसे पहला व्यक्ति, जिसे मारा वो कौन था? बिट्टा ने कुछ देर सोचने के बाद जबाव दिया​: सतीश कुमार टिक्कू, पंडित था वो। मैंने उसे इसलिए मारा क्योंकि वो आरएसएस से जुड़ा हुआ था। ऊपर से उसे मारने का ऑर्डर मिला था। इस इंटरव्यू के दौरान ही बिट्टा ने कहा था कि उसे मारने के ऑर्डर ऊपर से मिलते थे। साथ ही बताया था कि वह पिस्टल से हत्या करता था। एके-47 के इस्तेमाल को लेकर पूछे जाने पर कहा था कि इससे जवानों पर फायरिंग करता था। उसने यह भी बताया था कि वह अकेले ही हत्याएँ करता था और वो भी बिना नकाब के। रघुवंशी को दिया गया बिट्टा का इंटरव्यू आप नीचे सुन सकते हैं;

कभी बिट्टा कराटे और यासीन मलिक की गहरी जमती थी। बाद में दोनों के बीच विवाद हो गया और जेकेएलएफ भी दो हिस्सों में बँट गया। फिलहाल दोनों दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं।

 

 

 कराटे बिट्टा क्यों कहलाता था कश्मीरी पंडितों का कसाई फारुख अहमद डार?

Farooq Ahmed Dar (Bitta Karate): फारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे ने टीवी इंटरव्‍यू में ’30-40 से ज्‍यादा कश्‍मीरी पंडितों की हत्‍या’ की बात कबूली थी। घाटी में उसे ‘पंडितों का कसाई’ कहा जाता था।
हाइलाइट्स
‘द कश्‍मीर फाइल्‍स’ रिलीज होने के बाद चर्चा में बिट्टा कराटे
बिट्टा का असली नाम फारुख अहमद डार, JKLF का मुखिया
1990 में कश्‍मीरी हिंदुओं को घाटी से मारे भगाने में शामिल
एक टीवी इंटरव्‍यू में बिट्टा ने कबूली थी कई हत्‍याओं की बात
क़्ट्लिि

Bitta-Kashmir-Files_Farooq Ahmed Dar

‘द कश्‍मीर फाइल्‍स’ में चिन्‍मय मांडलेकर (ऊपर बाएं) और नीचे दांंयें नेे फारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटेेेे का किरदार निभाया है।.

‘द कश्‍मीर फाइल्‍स’ फिल्‍म देखकर निकलने वालों के जेहन में एक सवाल कौंधता है, ‘बिट्टा कराटे का क्‍या हुआ?’ क्‍या सुरक्षा बलों ने उसका एनकाउंटर कर दिया था या वह पाकिस्‍तान भाग गया? या फिर वह जेल में अपने गुनाहों की सजा काट रहा है? बिट्टा कराटे यानी फारुख अहमद डार वह शख्‍स है जिसे ‘कश्‍मीरी पंडितों का कसाई’ कहा जाता था। बाद में बिट्टा ने राजनीति की राह पकड़ी और शांति की बातें करने लगा। कश्‍मीर घाटी में हथियार उठाने वालों की शुरुआती लिस्‍ट में बिट्टा का नाम आता है। जम्‍मू कश्‍मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का हिस्‍सा बनने के बाद बिट्टा कराटे ने कश्‍मीरी पंडितों का जमकर खून बहाया। उसे पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाली कश्‍मीर (PoK) जाकर आतंकी ट्रेनिंग ली। 1990 में जब घाटी से पलायन शुरू हुआ तो उसके पीछे बिट्टा का खौफ बड़ी वजह थी। उसने कैमरे पर कबूला कि कैसे उसने कश्‍मीरी पंडितों की हत्‍या की और ऐसा करने के लिए उसे टॉप कमांडर्स से ऑर्डर मिले थे।

बिट्टा कराटे क्‍यों पड़ा नाम?

फारुख अहमद डार को उसके दोस्‍त बिट्टा बुलाते थे। आतंकी बनने से पहले बिट्टा कराटे का खिलाड़ी था। इसलिए जब वह आतंक की दुनिया में आया तो साथियों ने उसे बिट्टा कराटे बुलाना शुरू कर दिया। पहले पुश्‍तैनी काम में हाथ बंटाया फिर रेडिकलाइज होकर आतंकियों के साथ मिल गया। कश्‍मीर में अपने नाम का खौफ पैदा करने में बिट्टा को ज्‍यादा वक्‍त नहीं लगा। उसे 1988 में LoC पार कराके PoK भेजा गया ताकि आतंकी ट्रेनिंग ले सके। वापस लौटा तो कश्‍मीर में हिंदुओं के खिलाफ माहौल बिगड़ चुका था। बिट्टा ने एक-एक करके प्रमुख कश्‍मीरी पंडितों को निशाना शुरू किया। जिस समय घाटी में हिंदुओं का नरसंहार हो रहा था, बिट्टा JKLF का एरिया कमांडर था।

घाटी में खौफ का दूसरा नाम

बिट्टा ने सबसे पहले अपने दोस्‍त और नौजवान कारोबारी सतीश कुमार टिक्‍कू को मौत के घाट उतारा। टिक्‍कू को उसके घर के सामने गोलियों से भून दिया गया था। कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि बिट्टा श्रीनगर की सड़कों पर घूमा करता था और कश्‍मीरी हिंदू नजर आते ही पिस्‍टल निकालकर मार देता था। 1991 के एक टीवी इंटरव्‍यू में उसने ’20 से ज्‍यादा कश्‍मीरी हिंदुओं की हत्‍या’ की बात कबूली। उसने यह भी कहा था कि ‘हो सकता है 30-40 से ज्‍यादा पंडित मारे हों।’

1990 में ही अरेस्‍ट कर लिया गया था बिट्टा

कश्‍मीरी पंडितों के घाटी छोड़कर भागने के बाद, 22 जनवरी 1990 को सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने फारुख अहमद डार को श्रीनगर से अरेस्‍ट किया। उस वक्‍त उसपर 20 मुकदमे चलाए गए। अगले 16 साल बिट्टा ने हिरासत में ही गुजारे। 2006 में उसे TADA कोर्ट से जमानत मिल गई। बिट्टा को रिहा करते समय अदालत ने टिप्‍पणी की थी कि अभियोजन पक्ष पर्याप्‍त सबूत देने में नाकामयाब रहा।

बिट्टा जब रिहा होकर गुरु बाजार पहुंचा तो उसका जोरदार स्‍वागत हुआ था। उसपर फूलों की बारिश की गई। बिट्टा ने अब रास्‍ता बदल लिया। उसने राजनीति में कदम रखा। मुंह पर अब भारत-पाकिस्‍तान के बीच बातचीत का समर्थन था। घाटी में खून बहाने वाला कश्‍मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों देशों से अपीलें करने लगा। कुछ साल में वह JKLF का चीफ बन गया।

NIA के रडार पर आया बिट्टा

2019 में पुलवामा हमले के बाद, एजेंसियों ने आतंकियों की फंडिंग पर तेजी से चोट करना शुरू किया। JKLK को बैन कर दिया गया। बिट्टा कैमरे पर यह कबूलते पकड़ा गया कि उसे और बड़े अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से अच्‍छी-खासी रकम मिली ताकि वे घाटी में आतंक फैला सकें। बिट्टा नैशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के रडार पर आ गया। मार्च में NIA ने बिट्टा कराटे समेत कई अलगाववादियों को गिरफ्तार कर लिया। तब से वह जेल में है।

जालिम बिट्टा ने असली इंटरव्यू में बताया था- किस बेरहमी से मासूमों की हत्या करता था हैवान, ‘कश्मीर फाइल्स’ में भी चर्चा

Bitta Karate In The Kashmir Files : खूंखार कश्मीरी आतंकी बिट्टा कराटे को द कश्मीर फाइल्स में दिखाया गया है। फिल्म के कारण बिट्टा कराटे का एक पुराना इंटरव्यू वायरल हो रहा है। इस इंटरव्यू में बिट्टा कराटे एक-एक सवाल का जवाब देते हुए बेहिचक बताता है कि उसने कैसी-कैसी हैवानियत को अंजाम दिया था।

हाइलाइट्स
वायरल इंटरव्यू में बिट्टा कराटे ने कई राज खोले और अपनी हैवानियत बताई
बिट्टा ने बताया कि कैसे उसने पहली हत्या एक कश्मीरी पंडित की की थी
उसने इंटरव्यू में बताया कि कैसे पाकिस्तान कश्मीरियों को बहका रहा है

फिल्म द कश्मीर फाइल्स से चर्चा में आए खूंखार आतंकी फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे का एक पुराना इंटरव्यू वायरल हो रहा है। उस इंटरव्यू में बिट्टा बेहिचक बता रहा है कि उस पर भारत से कश्मीर की आजादी का पागलपन कुछ इस तरह सवार हो गया कि हैवानियत की सारी हदें पार करने को तैयार था। एक सवाल के जवाब में बिट्टा कहता है कि अगर उसे अपनी मां का कत्ल करने का आदेश भी आता तो वह मां की भी हत्या करने से बिल्कुल नहीं हिचकता। बिट्टा ने इस इंटरव्यू में बताया है कि उसने कैसे 22 वर्षीय कश्मीरी पंडित सतीश कुमार टिक्कू की हत्या से मासूमों के कत्लेआम का सिलिसला शुरू किया।

कश्मीर पंडित की हत्या और चल पड़ा हैवानियत का सिलसिला

बिट्टा कराटे कहता है, ‘मुझे आदेश मिला था और मैंने सतीश को मार दिया।’ कश्मीरी पत्रकार राहुल पंडिता के मुताबिक, बिट्टा ने 22 वर्षीय उस कश्मीरी पंडित को 8 फरवरी 1990 को मारा था। बिट्टा सुबह 8 बजे ही सतीश के घर पहुंचा और दरवाजा खटखटाया। सतीश की बड़ी बहन ने दरवाजा खोला तो बिट्टा ने उससे पूछा कि सतीश कहां है। बहन को कुछ आशंका हुई और उसने झूठ बोल दिया कि सतीश घर में नहीं है। जब सतीश अपने पिता की दवा दुकान जा रहा था, तभी इंतजार कर रहे बिट्टा ने उस पर गोली चला दी। प्रत्यक्षदर्शियों ने सतीश के पिता को बताया था कि बिट्टा की पहली गोली सतीश के जबड़े को चीरते हुए निकल गई और जब सतीश जमीन पर गिर गया तो बिट्टा ने उस पर दनादन कई गोलियां दाग दीं। सतीश के पिता बताते हैं कि बिट्टा कई बार सतीश के स्कूटर पर साथ-साथ इधर-उधर घूमा करता था।

पाकिस्तान जाकर ली थी ट्रेनिंग

बिट्टा से जब पूछा गया कि उसने हैवानियत का रास्ता क्यों चुना तो उसने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने कश्मीरियों पर बहुत जुल्म किया जिससे आक्रोशित होकर उसने आतंकवाद का रास्ता चुना। उसने बताया कि कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (KLF) का एरिया कमांडर इशफाक मजीद वानी उसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) ले गया जहां उसकी 32 दिनों की ट्रेनिंग हुई। वहां से लौटने के बाद वह वानी के इशारों पर मासूम लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतारने लगा। उसने बताया कि आम लोगों को मारने के लिए वह हमेशा पिस्टल का इस्तेमाल करता जबकि एक-47 से सुरक्षा बलों पर हमले किया करता था।

कश्मीरी लड़कियों का रेप कर रहे हैं आतंकवादी: बिट्टा
बिट्टा ने कहा कि उसे पाकिस्तान ने धोखा दिया क्योंकि उससे कहा गया था कि जब आतंकवादी कश्मीर में विद्रोह करके उसे अंदर से कमजोर करेंगे तो पाकिस्तान हमला करके आजाद करवा लेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उसने कहा कि गोली-बारूद और खून-खराबे से सरकार को झुका पाना नामुमकिन है, इसलिए आतंकियों को समर्पण करके सरकार से बात करनी चाहिए। बिट्टा ने कहा कि वैसे भी आतंकवादी कश्मीरी लड़कियों का बलात्कार कर रहे हैं और बंदूक की नोंक पर वसूली कर रहे हैं। बिट्टा से जब पूछा गया कि उसे कैसी सजा मिल सकती है तो उसने कहा कि उम्रकैद या फांसी हो सकती है। जब पूछा गया कि ज्यादा क्या चांस है तो उसने कहा, ‘मेरे हिसाब से मुझे फांसी होगी जो मुझे मंजूर है।’

कश्मीर फाइल्स में दिखी कश्मीरी पंडितों पर की गई बर्बरता

कश्मीरी पंडितों को किस बर्बरता के साथ मारा गया और उन्हें अपने ही आशियानों को छोड़कर रातोंरात भागना पड़ा, नई फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ देखकर हर कोई समझ सकता है। फिल्म में इंसानियत का गला घोंटने वाले आतंकियों की करतूतें उजागर की गई हैं। इन्हीं में एक जालिम फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे भी है। दिल को झकझोर देने वाली इस फिल्म में बिट्टा की चर्चा से उसका असली इंटरव्यू वायरल हो गया है।

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