विपक्ष के सामने टेके घुटने? विशेषज्ञ दे रहे थे इसके खिलाफ राय

वैक्सीन पर अच्छी खबर:1 मई से 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोग कोरोना का टीका लगवा सकेंगे, कंपनियों से सीधे वैक्सीन खरीद सकेंगी राज्य सरकारें

नई दिल्ली 19 अप्रैल। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने वैक्सीनेशन पर बड़ा ऐलान किया है। 1 मई से 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोग वैक्सीन लगवा सकेंगे। सरकार ने यह भी फैसला लिया है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां अपनी 50% सप्लाई केंद्र को करेंगी। बाकी 50% सप्लाई वे राज्य सरकारों को दे सकेंगी या उसे ओपन मार्केट में बेच सकेंगी। वैक्सीनेशन के लिए कोविन के जरिए रजिस्ट्रेशन पहले की तरह जरूरी रहेगा। वैक्सीन की कमी न हो, इसके लिए राज्य सरकारों को कंपनियों से सीधे वैक्सीन खरीदने के अधिकार दे दिए गए हैं।

अब तक 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को देशभर में कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही थी। देशभर में 12.38 करोड़ लोग वैक्सीन का पहला या दूसरा डोज ले चुके हैं। सरकार की ओर से सोमवार शाम को जारी आदेश के मुताबिक, नई पॉलिसी 1 मई 2021 से लागू की जाएगी और इसे जरूरत के मुताबिक रिव्यू भी किया जाएगा।

कंपनियां 50% वैक्सीन केंद्र को सप्लाई करेंगी

सरकार ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों से कहा है कि फेज-3 में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां महीने में बनने वाली कुल वैक्सीन का 50% केंद्र को सप्लाई करेंगी। बाकी का 50% राज्य सरकारों और ओपन मार्केट में बेचने की छूट रहेगी।

बाजार में बिक्री के लिए टीके की कीमत पहले बतानी होगी

कंपनियों को तय कोटे के मुताबिक 50% वैक्सीन राज्यों और खुले बाजार में 1 मई से पहले पहुंचानी होगी। कंपनियों को इसकी कीमत पहले ही तय करनी होगी। इसके बाद राज्य सरकार, निजी अस्पताल, औद्योगिक इकाइयां कंपनियों से सीधे वैक्सीन खरीद सकेंगी। वैक्सीन लगाने वाले प्राइवेट संस्थानों को भी इसका चार्ज पहले से बताना होगा।

अभी चल रहा फ्री कोरोना वैक्सीनेशन जारी रहेगा

सरकार की तरफ से टीकाकरण अभियान पहले की तरह जारी रहेगा। इसके तहत प्राथमिकता वाले ग्रुप्स को फ्री में वैक्सीन लगाई जा रही है। इनमें हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 साल से ज्यादा उम्र के लोग शामिल है।

वैक्सीनेशन के लिए तय प्रोटोकॉल का पालन करना होगा

सरकारी और प्राइवेट सेंटर पर होने वाला वैक्सीनेशन राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल रहेगा। वैक्सीनेशन के लिए तय प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। पहले की तरह कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन होगा। साथ ही, वैक्सीन लगने के बाद इसके गंभीर साइड इफेक्ट्स (एडवर्स इवेंट) की जानकारी भी देनी होगी। सेंटर पर वैक्सीन के स्टॉक और कीमत की जानकारी भी रियल टाइम देनी होगी।

राज्य रेडी टू यूज वैक्सीन सीधे कंपनियों से खरीद सकेंगें

कंपनियों के लिए वैक्सीन सप्लाई को लेकर केंद्र और राज्य-ओपन मार्केट के लिए 50-50% वैक्सीन सप्लाई का कोटा तय किया गया है। वैक्सीन बनाने और बेचने वाली सभी कंपनियों को केंद्र सरकार के प्रोटोकाॅल और चैनल को फॉलो करना होगा। हालांकि, केंद्र सरकार ने राज्यों को विदेशों से रेडी टू यूज वैक्सीन इम्पोर्ट करने का अधिकार दे दिया है।

पहली डोज लेने वालों को टीका लगाने में प्राथमिकता

वैक्सीन का पहला डोज ले चुके हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दी जाएगी। वैक्सीन का पहला डोज लेने वाले 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को भी दूसरा डोज लेने के लिए तरजीह मिलेगी। ये पूरा काम तय रणनीति के साथ किया जाएगा।

केंद्र क्राइटेरिया तय कर राज्यों को वैक्सीन देगा

केंद्र सरकार वैक्सीन के अपने 50% फीसदी कोटे से क्राइटेरिया तय करेगी। सबसे पहले ज्यादा प्रभावित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैक्सीन सप्लाई की जाएगी। वैक्सीन के वेस्टेज पर राज्यों की निगेटिव मार्किंग भी की जाएगी। इसके लिए सभी राज्यों को पहले से जानकारी दी जाएगी।

मोदी ने कोरोना पर काबू पाने के लिए डॉक्टरों की तारीफ की

डॉक्टरों के साथ वर्चुअल मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी ने डॉक्टरों की तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘पिछले साल इसी समय हमारे डॉक्टरों की कड़ी मेहनत और देश की रणनीति ने कोरोना पर काबू पाया था। अब देश संक्रमण की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। ऐसे में सभी डॉक्टर और फ्रंटलाइन वर्कर्स पूरी ताकत से इसका मुकाबला करने में जुटे हैं। वे लाखों लोगों की जान बचा रहे हैं।’

18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका लगाने का आइडिया क्यों है घातक? एम्स डायरेक्टर से जानिये

एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर. रणदीप गुलेरिया ने हफ्ताभर पहले एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में कोरोना वायरस की नई लहर को लेकर कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दिए। उन्होंने इस सवाल का बड़ा तार्किक जवाब दिया कि आखिर सभी को टीका लगाने का आइडिया कितना घातक साबित हो सकता है।

हाइलाइट्स:
देश में कोविड-19 महामारी के खिलाफ टीकाकण अभियान की रफ्तार सही है: गुलेरिया
एम्स डायरेक्टर ने कहा कि अभी हर व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं है
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि वैक्सीन लेने के बाद भी मास्क लगाने, दूरी बनाए रखने की जरूरत है

कोराना की पहले से भी जोरदार लहर के बीच देश में टीकाकरण अभियान के लिए तय उम्र सीमा को हटाने की मांग की जा रही है। इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) के अलावा कई एक्सपर्ट्स और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जैसे कुछ नेता भी केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका दिए जाने की मांग कर चुके हैं। लेकिन, यह आइडिया कितना घातक साबित हो सकता है, इसे उजागर किया है दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने।

अब उम्र सीमा खत्म करके सभी को टीका देना चाहिए?

उन्होंने एक निजी न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कहा कि सभी के टीकाकरण का आइडिया ठीक नहीं है क्योंकि इससे जरूरतमंद वर्ग को वैक्सीन का अभाव हो जाएगा जिससे देश में महामारी से मरने वालों की तादाद में भारी इजाफा हो सकता है। गुलेरिया ने कहा, “अभी ऐसा वक्त नहीं आया है। इसके कई कारण हैं। पहला कारण है कि अगर कोविड बुजुर्गों को दबोचने लगा तो महामारी से मौतों की दर बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी। अगर हमें लोगों को कोविड के कारण मरने से बचाना है तो हमें सभी बुजुर्गों को इम्यून करना होगा।”

तब दुनियाभर की वैक्सीन भी कम पड़ जाएगी: गुलेरिया

उन्होंने आगे कहा, “दूसरा, अगर हम कहेंगे कि सभी को यानी 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका लगाएं तो हमें अपने आंकड़े भी देखने होंगे। हमारे देश में 18 साल से ऊपर की करीब 97 करोड़ आबादी है। चूंकि हर व्यक्ति को दो-दो डोज देना पड़ता है तो हमें करीब 2 अरब डोज चाहिए। अगर हम दुनियाभर से वैक्सीन मंगाकर जमा कर लें तो भी 2 अरब डोज नहीं हो पाएगी। अगर हमने प्रायॉरिटी तय करनी छोड़ दी तो कोविड बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अपनी चपेट में लेने लगेगा और फिर मौतों का सिलसिला बढ़ जाएगा।”

“दुनिया ने अपनाई प्राथमिकता सूची तय करने की रणनीति”

उन्होंने कहा, “विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अमेरिका, यूरोप- सभी ने यही रणनीति अपनाई है कि प्राथमिकता निर्धारित करो क्योंकि किसी देश के पास इतनी वैक्सीन नहीं है। यूरोप के मुकाबले देखें तो हमने जर्मनी की आबादी के बराबर वैक्सीनेशन कर दी है। यूरोप के कई देशों की आबादी से ज्यादा टीकाकरण कर सके हैं। इस कारण ज्यादा से ज्यादा उम्रदराज लोग कवर हो रहे हैं।” उन्होंने कहा कि अगर हम सबको टीका लागने लगेंगे तो कई लोगों को वैक्सीन नहीं मिल पाएगी। तब डेथ रेट बढ़ सकता है।”

टीकाकरण अभियान की रफ्तार सही है?

गुलेरिया ने देश में टीकाकरण अभियान की रफ्तार पर भी संतोष जताया। उन्होंने कहा, “टीकाकारण अभियान ठीक रफ्तार से चल रही है। वैक्सीन लगाने का दो मकसद था कि बुजुर्ग और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को इम्यून कर सकें। साथ ही, यह भी मकसद था कि स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी जाए ताकि वो बीमार नहीं हों। अगर वो बीमार हो जाएंगे तो कोविड के खिलाफ लड़ाई कैसे लड़ी जाएगी। ये दोनों मकसद पूरा हो रहे हैं। इसलिए टीकाकरण की रफ्तार ठीक है।

क्या इस बार बदल गए कोविड के लक्षण?

एम्स डायरेक्टर से जब पूछा गया कि देश में कोरोना के नए वैरियंट की नई लहर चल रही है, ऐसे में बीमारी के लक्षण भी बदल तो नहीं गए हैं तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि इस बार पहले के मुकाबले अभी पेट खराब होने, जी मिचलने, उल्टी होने, डायरिया होने के लक्षण ज्यादा देखने में आ रहे हैं। गुलेरिया ने कहा, “इस बार भी ज्यादातर वही लक्षण देखने को आ रहे हैं- जुकाम, नजला, बुखार, गले में खरास, शरीर दर्द। कुछ लोगों को इस बार पेट खराब होने, जी मिचलने, उल्टी होने, डायरिया होने के लक्षण बढ़े हैं। ये पहले भी थे, लेकिन इस बार इनकी ज्यादा शिकायत आ रही है। अगर आपको बुखार, जुकाम, नजला हो या फिर बुखार हो और जी भी मिचला रहा हो, उल्टी हो रही है या डायरिया हो तो आपको तुरंत जांच करवाना चाहिए ताकि संक्रमण होने की स्थिति में यह आपके पूरे परिवार तक नहीं पहुंच सके।”

क्या फिर लॉकडाउन लगाने की जरूरत है?

गुलेरिया ने इस सवाल के जवाब में कहा कि थोड़ी सी जिम्मेदारी दिखाकर संक्रमण के सिलसिले को तोड़ा जा सकता है जिससे लॉकडाउन की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने कहा, लोगों को लगने लगा कि अब कोरोना वायरस खत्म हो गया है। मास्क लगाना छोड़ दिया, दो गज की दूरी का पालन करना छोड़ दिया।” उन्होंने कहा, “सख्ती करनी पड़ोगी, टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर जोर देना होगा। कंटेनमेंट जोन बनाकर संक्रमित लोगों को आइसोलेट करना होगा ताकि एक एरिया से दूसरे एरियाज में संक्रमण नहीं पहुंचे।”
उन्होंने कहा कि युवाओं में कोरोना का डर खत्म हो गया। उन्हें लगता है कि हम तो स्वस्थ हैं, बीमारी होगी भी तो गंभीर नहीं, कोई सामान्य बीमारी होगी। लेकिन वो यह नहीं समझते कि आप भले ही संक्रमित होने के बाद भी परेशान नहीं हों, लेकिन आप वायरस को अपने घर ले जा रहे हैं।

तो फिर टीका लगाने का क्या फायदा है?

गुलेरिया ने इस सवाल पर कहा कि टीकाकरण एक माध्यम है जिससे कोविड पर नियंत्रण पाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि यह कोविड के खिलाफ पूरी तरह सुरक्षित कर देता है। उन्होंने कहा, “वैक्सीन आपको इम्यूनिटी देती है, आपको संक्रमण से नहीं बचाती है। हमें यह भी समझना चाहिए कि एफिकेसी ट्रायल के पैमाने पर भी वैक्सीन 70 से 80 प्रतिशत ही खरा उतरा था। इसका मतलब है कि 20 से 30 प्रतिशत लोग ऐसे भी होंगे जो वैक्सीन लेने के बाद भी बहुत ज्यादा सुरक्षित नहीं हो पाएंगे।” एम्स के डायरेक्टर ने लोगों से अपील की, “मास्क लगाएं, दो गज की दूरी का नियम मानें, भीड़ इकट्ठा नहीं करें, गैर-जरूरी यात्रा नहीं करें, बेवजह घर से नहीं निकलें या कुल मिलाकर कहें कि थोड़ी जिम्मेदारी का इजहार करें तो संक्रमण का सिलसिला थम सकता हौ तब लॉकडाउन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *