मैट्रोमैन ई श्रीधरन भी केरल में लय जिहाद मुद्दा आजमाने को तैयार

ई. श्रीधरन (E. Sreedharan) के बीजेपी ज्वाइन करने से पहले ही योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) केरल में लव जिहाद (Love Jihad) की नींव रख आये हैं – क्या श्रीधरन को भी चुनावी वैतरणी पार करने के लिए विकास के एजेंडे में यकीन नहीं?
मेट्रो मैन ई. श्रीधरन (E. Sreedharan) अब बीजेपी नेता बन गये हैं – और खुद ही बता चुके हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो वो मुख्यमंत्री बनने के लिए भी तैयार हैं. ये भी बता चुके हैं कि बीजेपी ज्वाइन करने का उनका मकसद केरल में बीजेपी को सत्ता में लाना है. अब इसे उनका बीजेपी ज्वाइन करना समझा जाये या फिर राजनीति में आना.

राजनीति में आने से पहले ई. श्रीधरन की पूरी उम्र विकास के काम कराते ही गुजरी है और उसके लिए देश ही नहीं दुनिया भर में सम्मान के साथ नाम लिया जाता है – लेकिन हैरानी तब होती है जब श्रीधरन जैसी शख्सियत भी चुनावी राजनीति के लिए विकास के एजेंडे को नाकाफी पाता है. ऐसा तो नहीं कि श्रीधरन विकास की बातें नहीं करते, लेकिन विकास के एजेंडे में उनका पक्का यकीन नहीं नजर आता.

जब ई. श्रीधरन जैसी शख्सियत को भी ‘लव जिहाद’ की चुनावी चाशनी के बिना विकास का एजेंडा फीका लगे तो क्या कहें – क्या समझें?

वैसे उनका काम आसान करने के लिए बीजेपी में लव जिहाद (Love Jihad) मुहिम के पथप्रदर्शक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) केरल जाकर चुनावी एजेंडे को स्थापित कर आये हैं – और उसका असर भी नजर आने लगा है.

विकास का एजेंडा और श्रीधरन की राजनीतिक राह
जैसे 2014 में बीजेपी विकास के गुजरात मॉडल के साथ आयी लेकिन बाद में मंदिर-मस्जिद और श्मशान-कब्रिस्तान पर फोकस हो गयी, श्रीधरन भी उसी रास्ते पर चल रहे हैं.

श्रीधरन भी वैसे ही विकास की बातें भी करते हैं. कहते हैं, अगर बीजेपी को विधानसभा चुनाव में जीत हासिल होती है तो फोकस बड़े स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास और केरल को कर्ज के जाल से निकालना होगा. फिर आरोप लगाते हैं, 15-20 साल में केरल में या तो LDF या DF की सरकार रही, लेकिन राज्य में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखने को मिला – 20 साल में एक भी इंडस्ट्री केरल में नहीं लगी और भ्रष्टाचार भी चरम पर है.

श्रीधरन राजनीतिक विरोधियों पर हमला भी बोलते हैं और डबल इंजन की सरकार की पैरवी भी. कहते हैं, ‘DF और LDF केरल के विकास के बजाय अपनी स्वार्थपूर्ति को लेकर ज्यादा चिंतित हैं – और फिर केंद्र के साथ तकरार सूबे कि विकास में रोड़ा बन जाता है. विकास के लिए हमें केंद्र के साथ मिलकर चलना चाहिए और अब केवल बीजेपी ही ऐसा कर सकती है.’

श्रीधरन तो विकास के काम कराने को लेकर ही रोल मॉडल हैं – आखिर उनको लव जिहाद की जरूरत क्यों पड़ रही है – बड़ा सवाल यही है.

श्रीधरन की लव जिहाद मुहिम
केरल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ई. श्रीधरन की पॉलिटिकल एंट्री असर दिखाने लगी है – और केरल में LDF की पी. विजयन सरकार के फैसले भी प्रभावित होने लगे हैं.

खुद के इंट्रोडक्शन से ही सही, लेकिन ई. श्रीधरन तो पी. विजयन के मुकाबले बीजेपी के मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर पेश हो ही चुके हैं. कांग्रेस की तरफ से वायनाड सांसद राहुल गांधी स्वयं ही मोर्चे पर तैनात हैं. कांग्रेस की चुनावी गतिविधियों को पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ही लीड कर रहे हैं और उसमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर को भी अहम जिम्मेदारियां मिली हुई हैं.

ये श्रीधरन प्रभाव नहीं तो और क्या है कि केरल की लेफ्ट सरकार ने सबरीमला और CAA को लेकर विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने का फैसला हुआ है. एक सरकारी बयान में बताया गया, ‘कैबिनेट ने सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे और नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के मामले में दर्ज ऐसे सभी केस वापस लेने का फैसला लिया है जो गंभीर आपराधिक प्रकृति के नहीं है.’

आम चुनाव से महीनों पहले 2018-19 के दौरान सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मसले पर विरोध प्रदर्शन से जुड़े करीब 2000 केस राज्य भर में दर्ज किये गये थे. ये विरोध प्रदर्शन सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र वाली महिलाओं को प्रवेश देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन खिलाफ हुए थे.

ई. श्रीधरन के इरादे को देखते हुए तो ऐसा लगता है जैसे कदम कदम पर उनको योगी आदित्यनाथ की जरूरत पड़ेगी

कांग्रेस की अगुवाई वाले DF ने तो केरल सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन बीजेपी ने भगवान अयप्पा के भक्तों के खिलाफ केस दर्ज करने को लेकर मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन के माफी मांगने की डिमांड रख दी है. साथ ही, बीजेपी को सबरीमाला और सीएए प्रदर्शनकारियों के साथ एक जैसे व्यवहार पर भी आपत्ति है.

आपको याद होगा सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का तब बीजेपी अध्यक्ष रहे अमित शाह ने भी कड़ा विरोध जताया था. तभी केरल पहुंच कर अमित शाह ने कहा था कि अदालत को भी अव्यावहारिक फैसले से बचना चाहिये. अमित शाह को ऐतराज रहा कि अदालत ऐसे फैसले देती ही क्यों है जिसका अनुपालन व्यावहारिक न हो सके.

श्रीधरन के शुरुआती बयानों से ही साफ हो गया था कि वो भी अमित शाह के स्टैंड को ही आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं – और लव जिहाद की बातें उसे वजनदार बनाने के लिए ही हैं. वैसे आम चुनाव में अमित शाह के बयान का भी कोई असर नहीं देखने को मिला क्योंकि राज्य में बीजेपी का खाता भी नहीं खुल सका. फिलहाल केरल में बीजेपी के सिर्फ एक विधायक हैं ओ. राजगोपाल.

लव जिहाद का एजेंडा आगे बढ़ाने में श्रीधरन को कोई दिक्कत न हो इसलिए योगी आदित्यनाथ बीजेपी की विजय यात्रा के मौके पर कासरगोड़ पहुंचे थे. पहले खबर आयी थी कि श्रीधरन कासरगोड़ृ में ही बीजेपी का भगवा धारण करेंगे, लेकिन किसी खास वजह से उसे यात्रा के समापन पर मलप्पुरम के लिए टाल दिया गया. योगी आदित्यनाथ ने केरल दौरे से पहले ही ट्विटर पर मलयालम में अपने दौरे की जानकारी शेयर करते हुए लिखा था – नमस्कार केरल, जगद्गुरु आदि शकराचार्य जी और श्री नारायण गुरु जी की पावन धरती को नमन करने का सौभाग्य फिर प्राप्त हो रहा है.

और कासरगोड़ पहुंचते ही वो अपने पसंदीदा मुद्दे पर आ गये. बोले, 11 साल पहले केरल के हाईकोर्ट ने सरकार को लव जिहाद को लेकर आगाह किया था, लेकिन आज तक यहां की सरकार यह कानून नहीं बना सकी. योगी आदित्यनाथ ने याद दिलाया कि उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाया जा चुका है और केरल को भी सख्त कानून बनाने के लिए बीजेपी सरकार की जरूरत है. अदालत का जिक्र करते हुए योगी आदित्यनाथ ने समझाया कि कैसे केरल को इस्लामिक स्टेट का हिस्सा बनाने की साजिश है और सरकार को कोई चिंता नहीं है.

योगी आदित्यनाथ आम चुनाव से पहले भी केरल गये थे और बीजेपी नेताओं के साथ संघ कार्यकर्ताओं पर हमलों को लेकर वाम मोर्चा सरकार को जीभर भला बुरा सुनाया था. आम चुनाव में तो कोई फायदा मिला नहीं, अब ये दारोमदार श्रीधरन पर आ गया है.

केरल चुनाव को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी पूरी ताकत झोंक चुके हैं. कांग्रेस और लेफ्ट की लड़ाई को बीजेपी की कोशिश त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की है – आगे जो भी हो, फिलहाल मेट्रो मैन की मौजूदगी का असर थोड़ा थोड़ा तो होने ही लगा है.

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