भारत -नेपाल सीमा समाप्त कर दें रहे हैं मस्जिद, मजारें और मदरसे

भारत नेपाल सीमा की नो मेंस लैंड पर खड़े हो गए कई अवैध मदरसे, बस गईं नई बस्तियां, देखिए ये खास रिपोर्ट
Reported by योगेश भदौरिया

श्रावस्ती की भारत-नेपाल सीमा पर ककरदरी जैसे कई गांव हैं, जहां नो मेंस लैंड पर कई मदरसे संचालित हैं। जिनके गेट तो भारत में खुलते हैं, लेकिन खिड़कियां भारत-नेपाल के नो मेंस लैंड में खुलती हैं। यहां पर कुछ ऐसे मदरसे भी हैं, जहां कुछ बच्चे नेपाल से भी आकर मदरसे में दीनी तालीम लेते हैं।

हाइलाइट्स
1-नो मेंस लैंड पर बन गए हैं कई अवैध मदरसे और बस्तियां
2-यहां के कुछ बच्चे नेपाल के मदरसों में भी जाकर ले रहे हैं शिक्षा
3-वर्ष 2020 तक यहां झुग्गी झोपड़ियां थीं, आज पक्के मकान बन गए हैं

मदरसे की तस्वीर

श्रावस्ती 02 नवंबर: उत्तर प्रदेश में मदरसों के सर्वे के बीच श्रावस्ती से चौकाने वाली खबर सामने आयी है। भारत-नेपाल की खुली सीमा से श्रावस्ती जिले का 62 किलोमीटर लंबा क्षेत्रफल सटा हुआ है। सीमा के दोनों ओर बीते पांच सालों में मस्जिद, मदरसे और बस्तियों की बाढ़ सी आ गई है। इस सीमा पर नो मेंस लैंड पर भी बस्तियां बस चुकी हैं। यहां के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र भरथा, रोशन गढ़, ककरदरी जैसे कई गांव हैं, जहां नो मेंस लैंड पर मदरसे संचालित हैं। इन मदरसों के गेट तो भारत में खुलते है, लेकिन खिड़कियां भारत-नेपाल के नो मेंस लैंड में खुलती हैं।
यहां पर कुछ ऐसे मदरसे भी हैं, जहां कुछ बच्चे नेपाल से भी आकर दीनी तालीम लेते हैं। क्योंकि यहां पर किसी प्रकार की कोई रोक-टोक नहीं है। ऐसे में यहां एक कदम में भारत तो एक कदम में नेपाल में बड़ी आसानी से आ जा सकते हैं। अगर देखा जाए तो यहां के ज्यादातर मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं। यहां के मुस्लिम समुदाय के लोग खुद पैसे जमा करके मौलवियों को तनखा देते हैं, और अपने बच्चों को दीनी तालीम दिलवाते हैं।

मदरसों में तालीम लेते बच्चे

नो मेंस लैंड में खुले हैं कई मदरसे

इसी सिलसिले में आज नवभारत टाइम्स की टीम भारत नेपाल सीमा पर बसे गांव ककरदरी पहुंची। ककरदरी गांव पहुंचकर हम यहां के मदरसा दारुल उलूम गुलशने रजा पहुचें जो नो मेंस लैंड से सटा हुआ मदरसा है। इसका मेन गेट नो मेंस लैंड के पिलर नंबर 12/640 में खुलता है। यहां पर 80 से ज्यादा बच्चे दीनी तालीम हासिल करते हैं। इन बच्चों को कुरान, अरबी, उर्दू तालीम दी जाती है। लेकिन यहां के मौलवी नफीस बताते हैं कि हम बच्चों को हिंदी इंग्लिश की भी तालीम देते हैं। जबकि एक मौलवी 80 बच्चों को हर सब्जेक्ट की तालीम कैसे दे सकता है। ऐसे में जब हमने बच्चों से बात की तो उनके पास ना हिंदी की किताब नजर आई ना अंग्रेजी की, सिर्फ दीनी तालीम देने वाली उर्दू और अरबी की किताबें दिखाई दीं।

मदरसे में तालीम लेते बच्चे

नेपाल के मदरसों में भी तालीम ले रहे यहां के बच्चे
लोगों से बात करते हुए जानकारी हुई कि यहां के कुछ बच्चे नेपाल के मदरसों में जाकर भी शिक्षा ले रहे हैं। मदरसा दारुल उलूम गुलशने रजा में कुछ दिन पहले तक नेपाल का एक मौलवी संचालन कर रहा था। अब वह मौलवी फिर नेपाल में जाकर लोगों को दीनी तालीम दे रहा है। गांव के ही लोग मौलवी को अपने पास से तनख्वाह देते हैं।

यहां कोई सरकारी मदद नहीं है। मौलवी नफीस बताते हैं कि 20 साल पहले ही इस मदरसे का रजिस्ट्रेशन कराया गया था। कागज मांगा तो वह रजिस्ट्रेशन का कोई कागजात न दिखा पाया। यहां तक कि मौलवी साहब को यह भी नहीं पता कि मान्यता कहां से कराई जाती है। अब बड़ा सवाल ये है कि आखिर मदरसों में पढ़ने वाले इन बच्चों का मुस्तकबिल क्या होगा।

गायब कर दिए शिलापट

ककरदरी, रोशनगढ़, तुरम्मा, असनहरिया और कुंडवा जैसे कई गांव में नो मेंस लैंड पर बस्ती बनने का नजारा साफ नजर आता है। जैसे-जैसे बस्तियां बंटती जा रही हैं, दोनों देशों को अलग करने वाले शिलापट भी गायब होते जा रहे हैं। सिर्फ दो साल में ही चार फुट ऊंचा शिलापट महज नौ इंच बचा है। पूरे इलाके को पाटकर सघन आबादी बस गई है। वर्ष 2020 तक यहां झुग्गी झोपड़ियां थीं, आज पक्के मकान बन गए हैं। यहां मस्जिद के साथ-साथ 22 से अधिक मदरसे बन चुके हैं। एक मदरसे की मान्यता का भी दावा किया जा रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय के इन लोगों के पास नेपाल की नागरिकता है तो भारत का आधार कार्ड भी ये दोनों देशों में बेखौफ घूमते हैं।

क्या बोले अधिकारी

इस मामले पर जब हमने जिला अल्पसंख्यक अधिकारी देवेंद्र राम से बात की तो उन्होंने कहा कि श्रावस्ती के अलावा प्रदेश भर में मदरसों की जांच कराई गई है। सब की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है, जो भी कार्रवाई होगी शासन के द्वारा तय की जाएगी।
रिपोर्ट-आलोक मिश्रा

‘मस्जिद-मदरसे-मजार हैं ठिकाने, बाहरी लोगों से भरे पड़े’ : भारत-नेपाल बॉर्डर के 5 Km दोनों तरफ साजिश की पट्टी – Ground Report

राहुल पाण्डेय |

भारत नेपाल सीमा

RSS के सीमा जागरण मंच के मुताबिक भारत नेपाल सीमा पर अवैध निर्माण एक षड्यंत्र

हाल में कई रिपोर्टें आई हैं जो बताती हैं कि नेपाल भारत बॉर्डर पर तेजी से डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है। मस्जिद-मदरसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए 20 से 27 अगस्त 2022 तक हमारी टीम ने सीमा से सटे इलाकों का दौरा किया। हमने जो कुछ देखा, वह सिलसिलेवार तरीके से आपको बता रहे हैं। इस कड़ी की 21वीं रिपोर्ट:

भारत नेपाल बॉर्डर पर हमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सीमा जागरण मंच शाखा से जुड़े कुछ लोग मिले। हमने उनसे बॉर्डर के इस पार और उस पार के हालातों पर बात की। डेमोग्राफी बदलाव और इससे उपजी समस्याओं के विभिन्न मुद्दों पर हमने प्रान्त युवा प्रमुख विद्याभूषण और बलरामपुर जिलाध्यक्ष ओम प्रकाश से बात की।

विद्याभूषण और ओम प्रकाश दोनों ने सामूहिक रूप से स्वीकार किया कि नेपाल-भारत सीमा पर न सिर्फ मस्जिद, मदरसे और इबादतगाहों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है बल्कि एकतरफा मुस्लिम जनसंख्या भी तेजी से बढ़ी है।

नेपाल बॉर्डर पर अधिकतर गाँव मुस्लिम बहुल
प्रान्त युवा प्रमुख विद्याभूषण ने हमसे बात करते हुए कहा कि नेपाल बॉर्डर पर अधिकतर गाँव मुस्लिम बहुल हैं। इस लिस्ट में उन्होंने टंडवा, बालापुर, कनईडीह, रनियापुर, मोहकमपुर, चैनपुर का नाम लिया।

हवाला से आ रहे पैसे

विद्याभूषण ने बताया कि बॉर्डर इलाकों में हवाला के जरिए पैसे आ रहे हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा अपराध में लग रहा। उन्होंने बताया कि इससे जो हिस्सा बच जाता है, वो नल (UAE के मुहर लगी हुई) लगवाने जैसे समाजिक कार्यों में अपराधों को दबाने और छिपाने के लिए किया जा रहा है। विद्याभूषण के मुताबिक इस इलाके के लोग सऊदी ही नहीं बल्कि ईराक और ईरान में भी कमाने गए हैं।

5 KM भारत और इतने ही नेपाल के अंदर साजिश की पट्टी
भारत की सीमा से 5 किलोमीटर अंदर और इतना ही नेपाल का इलाका एक खास साजिश का शिकार हो रहा है – विद्याभूषण ने ही हमें इसके बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इसी 10 किलोमीटर में मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। मदरसों, मस्जिदों और मज़ारों को विद्याभूषण ने ठिकानों के तौर पर सम्बोधित किया। उन्होंने ये माना कि यहाँ के मदरसों में बाहरी लोग भी भरे पड़े हैं।

बॉर्डर पर साजिश, प्रशासन मौन
विद्याभूषण के अनुसार जब कोई बाहरी व्यक्ति यहाँ आता है, तो बाकायदा साजिश के साथ उनके ID और अन्य कागजात बनवा दिए जाते हैं। उन्होंने इसको साजिश करार देते हुए ऐसे मामलों में प्रशासन की भूमिका मौन रहने वाली बताई।

विद्याभूषण के अनुसार प्रशासन तभी जागता है, जब कोई घटना घट जाती है। उन्होंने बताया कि अगर कोई प्रशासनिक अधिकारी बॉर्डर पर सब सही और सामान्य होना बता रहा, इसका मतलब है कि वो सच नहीं बोल रहा।

देश भर के अपराधियों का शेल्टर
विद्याभूषण ने हमें बताया कि देश के किसी भी हिस्से में अपराध करने वालों को नेपाल सीमा पर अक्सर शरण मिल जाती है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए भी होता है कि विषम हालात में वो सीमा पार करके नेपाल में घुस जाते हैं। विद्याभूषण ने दावा किया कि दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में अपराध करने वाले कई अपराधी नेपाल सीमा पर शरण लिए हुए हैं।

सरकार एक्टिव न हो इसलिए ख़ामोशी
नेपाल सीमा पर साम्प्रदायिक तनाव न के बराबर होने का कारण विद्याभूषण ने एजेंसियों को उस तरफ से दूर रखने की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि बॉर्डर पर छिपे असामाजिक तत्व इसलिए ख़ामोशी से पड़े हैं क्योंकि वो नहीं चाहते कि उन पर किसी सुरक्षा एजेंसी की नजर जाए। विद्याभूषण ने कहा कि वो जानते हैं कि जैसे ही कोई बड़ा कांड करेंगे, वैसे ही इस तरफ सरकार की नजर चली जाएगी और उनका भांडा फूट जाएगा।

मुस्लिम बाहुल्य होने की कगार पर बलरामपुर
विद्याभूषण के अनुसार जनसंख्या के पुराने रिकॉर्ड चेक किए जा सकते हैं कि कैसे इस पूरे इलाके में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है। पड़ोसी जिले सिद्धार्थ नगर को विद्याभूषण ने मुस्लिम बाहुल्य बताया। इसी के साथ उन्होंने कहा कि जिला बलरामपुर भी लगभग मुस्लिम बाहुल्य होने की कगार पर हैं।

विद्याभूषण
20 वर्षों से नगर निगम चुनाव का विजेता मुस्लिम
विद्याभूषण ने हमें आगे बताया कि अगर किसी को जमीनी स्तर पर मुस्लिम आबादी बढ़ने की जानकारी लेनी हो तो वो बलरामपुर नगर निगम के चुनावों से ले सकता है। उन्होंने 20 वर्ष पहले का उदाहरण देते हुए बताया कि कभी यहाँ हिन्दू विजेता हुआ करता था लेकिन पिछले 20 वर्षों से यहाँ नगर निगम का चुनाव केवल मुस्लिम ही जीत रहा।

लव जिहाद और मानव तस्करी
विद्याभूषण ने हमें बताया कि अगर सुरक्षा और ख़ुफ़िया एजेंसियाँ ठीक से जाँच करेंगी तो बॉर्डर इलाकों से बहुत कुछ निकल कर सामने आएगा। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं और ख़ास कर सीमा पर बसे थारू समुदाय की लड़कियों के साथ मानव तस्करी का अपराध चल रहा है।

विद्याभूषण के अनुसार तस्करी की शिकार होने वाली अधिकतर लड़कियाँ लव जिहाद से तस्करों के हाथों में फँस कर बाहरी देशों में बिक रहीं हैं। उन्होंने जानकारी दी कि इसके अलावा पशुओं को नेपाल के रास्ते बांग्लादेश तक कटाई के लिए भेजा जा रहा है।

SSB के दम पर रुके सीमापार के कई अपराध

विद्याभूषण और एक अन्य स्थानीय नागरिक ने हमें बताया कि SSB और स्थानीय पुलिस की कार्यशैली में जमीन-आसमान का अंतर है। उन्होंने कहा कि SSB की तैनाती के बाद से सीमापार के कई अपराध रुके हैं। इसी के साथ उन सभी ने SSB का अपने प्रति व्यवहार मिलनसार और पारिवारिक जैसा बताया।

अधिकतर इबादतगाहें मानकों के विपरीत

विद्याभूषण ने हमें बताया कि बॉर्डर पर बन रहीं तमाम नई इबादतगाहें प्रशासनिक अधिकारियों की नजर में हैं लेकिन वो उन पर कोई कार्रवाई नहीं करते। उनका दावा है कि अधिकतर इबादतगाहें मानकों के विपरीत हैं और उनका नक्शा आदि पास ही नहीं हुआ है। विद्याभूषण ने सरकार से अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलने की आशा जताई।

संकट काल के लिए साजिश हैं इबादतगाहें

विद्याभूषण ने दावा किया कि बॉर्डर पर बन रहीं नई इबादतगाहों के पीछे भविष्य की बहुत बड़ी साजिश है। उन्होंने कहा कि साजिशकर्ताओं को भविष्य में देश के अंदर किसी गृहयुद्ध की उम्मीद है। उन्होंने ये भी बताया कि रेलवे स्टेशन के पास तक बनी मज़ारों से ये साजिशकर्ता भविष्य में किसी संकट काल में यातायात के संसाधनों पर हमला कर सकते हैं, जिसमें रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने जैसी साजिश भी हो सकती है।

इसी के साथ उन्होंने रोडवेज बस अड्डे के पास भी ऐसे साजिशकर्ताओं को सक्रिय बताया। विद्याभूषण के मुताबिक हाइवे के पुलों के पास बने अवैध इबादतगाह भविष्य में संकट काल में आवागमन रोकने की साजिश हैं।

पिछली सरकारों में तेजी से हुआ असंतुलन

सीमा जागरण मंच के जिलाध्यक्ष ओम प्रकाश ने कहा कि पिछली सरकारों की नीतियाँ काफी हद तक जिम्मेदार रहीं हैं सीमा के वर्तमान हालातों के लिए। उन्होंने कहा कि सीमा जागरण मंच का दायित्व देखते हुए वो प्रयास कर रहे हैं कि नेपाल सीमा पर मौजूद हिन्दू समाज को और सशक्त और सामर्थ्यवान बनाया जाए।

ओम प्रकाश ने हमें आगे बताया कि वो लोग सीमा पर रहने वाली थारू जनजाति को सेना और पुलिस में भर्ती करवाने के लिए विशेष ट्रेनिंग भी दिला रहे हैं।

ओम प्रकाश
ओम प्रकाश और विद्याभूषण ने कहा कि सरकार को नेपाल बॉर्डर पर हो रही हरकतों पर विशेष चौकसी बरतनी चाहिए। उन्होंने इतिहास के कुछ उदारहण दिए कि कैसे वहाँ पर मिर्जा दिलशाद बेग और रिज़वान ज़हीर जैसे अपराधी पनप गए थे और मंगरे सिंह जैसे हिंदूवादी नेता कत्ल कर दिए गए।

दोनों ने हालाँकि यह भी माना कि योगी सरकार के आने के बाद काफी कुछ बदला है लेकिन उन्होंने सुरक्षा के लिहाज से और अधिक सक्रियता की आशा जताई। इन दोनों के अलावे इनके आस-पास मौजूद स्थानीय लोगों ने भी कहा कि वर्तमान सरकार में चीजें बदली हैं लेकिन और सुधार की जरूरत है।

नेपाल सीमा के आसपास 257 मस्जिदों और मदरसों पर सरकार की नजर, टेरर फंडिंग की आशंका को लेकर खुफिया निगरानी

3 वर्ष पहले की है ये रिपोर्ट

सूत्रों के अनुसार खुफिया एजेंसियां अपने हिसाब से पड़ताल में जुटी हैं तो पुलिस मस्जिद, मदरसों में आने वाले फंड, लोगों की कुंडली तैयार कर रही हैं
6 जिलों कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती की सीमा नेपाल से सटी हैं, यहां बनी मस्जिदों की गतिविधियों की जांच हुई है।
नेपाल सीमा के आसपास के जिलों में एकाएक तैयार हुईं 257 मस्जिदों और मदरसों की पुलिस ने खुफिया निगरानी शुरू कर दी है। यहां टेरर फंडिंग की आशंका जताई जा रही है। खुफिया रिपोर्ट आने के बाद एडीजी जोन दावा शेरपा ने सीमा के आसपास के जिलों की पुलिस को सक्रिय कर दिया है। पुलिस को एक-एक मस्जिद, मदरसे की निगरानी करने को कहा गया है और कुछ भी संदिग्ध मिलने पर एडीजी को तत्काल सूचना भेजने का आदेश दिया गया है।

गोरखपुर जोन के 11 में से 6 जिलों कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती की सीमा नेपाल से सटी हैं। इन्हीं जिलों में अचानक से बड़ी संख्या में मस्जिद, मदरसे सामने आए हैं। खुफिया रिपोर्ट आने के बाद एसएसबी और पुलिस ने सक्रियता बढ़ा दी है।

मस्जिदों एवं मदरसों में आने वालों पर निगरानी शुरू
इन इलाकों में संदिग्ध लोगों और उनकी गतिविधियों पर भी निगरानी रखी जा रही है। सूत्रों के अनुसार खुफिया एजेंसियां अपने हिसाब से पड़ताल में जुटी हैं तो पुलिस मस्जिद, मदरसों में आने वाले फंड व लोगों की कुंडली तैयार कर रही है।

एडीजी जोन दावा शेरपा के मुताबिक, पुलिस को 257 मस्जिद, मदरसों के बारे में जानकारी मिली है। इनसे जुड़े लोगों के गतिविधियों की जांच का आदेश दिया गया है। पुलिस निगरानी कर रही है।

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