एमएसपी पर गेहूं खरीद को उत्तर प्रदेश में बदले कई नियम

उत्तर प्रदेश: एमएसपी पर गेहूं खरीद के बदले कई नियम, धांधली रोकने को पीओएस मशीन में लगाना होगा अंगूठा, किसानों को कुछ और बातों का रखना होगा ध्यान
उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद को किसानों के रजिस्ट्रेशन जारी हैं। तौल एक अप्रैल से शुरू होगी, लेकिन इस बार अगर आप सरकार को गेहूं बेचना चाहते हैं कुछ बदले नियमों के चलते कई बातों का ध्यान रखना होगा।

लखनऊ 11मार्च (अरविंद शुक्ल)। उत्तर प्रदेश में सरकार ने इस बार गेहूं खरीद में पारदर्शिता लाने को कई बदलाव किए हैं। खरीद केंद्र पर किसानों को इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ परचेज (पीओएस) मशीन में अंगूठा लगाना होगा। ये वही मशीन है, जिस पर अंगूठा लगाकर कोटे से राशन मिलता है। इसके अलावा 100 क्विंटल से ज्यादा गेहूं की मात्रा होने पर उपजिलाधिकारी द्वारा सत्यापन किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में रबी विपणन सीजन (RMS 2021-22 ) में गेहूं की एक अप्रैल से 15 जून तक खरीद की जाएगी। किसानों को बिक्री को पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिसके लिए प्रदेश की खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट पर एक मार्च से पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) जारी हैं। पंजीकरण के बाद टोकन मिलेगा, इसके बाद एक अप्रैल से पूरे प्रदेश में खरीदारी शुरू होगी। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है जो किसानों को सीधे बैंक खातों में ही सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) से भेजा जाएगा।
उत्तर प्रदेश के खाद्य आयुक्त मनीष चौहान बताते हैं, “गेहूं खरीद को खाद्य विभाग व अन्य क्रय एजेंसियों के कुल 6,000 क्रय केन्द्र प्रस्तावित हैं। किसानों की सुविधा को ऑनलाइन टोकन की भी व्यवस्था की गई है। किसान अपनी सुविधानुसार खरीद केंद्र पर जाकर टोकन ले सकेंगे। इसके साथ ही पारदर्शी खरीद के उद्देश्य से खरीद इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ परचेज (पीओएस) से की जायेगी। इसमें किसानों का अंगूठा लगाकर आधार प्रमाणीकरण करते हुए खरीद की जायेगी।”
उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा जहां किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल बेचने को खरीद केंद्र पर अपना अंगूठा लगाकर सत्यापन करना होगा। जिन किसानों ने बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन में किसी को नॉमिनी बनाया होगा वो खरीद केंद्र पर जाकर तौल करवा सकेंगे। इसके अलावा कोई दूसरा व्यक्ति किसान के नाम और कागजात पर फसल नहीं बेच पाएगा।
खाद्य एवं रसद उपायुक्त उदय प्रताप सिसोदिया बताते हैं, “एमएसपी पर खरीद में अक्सर शिकायतें मिलती थीं,लेकिन अब ऐसा होना संभव नहीं होगा। पहले किसान रजिस्ट्रेशन करेगा तो वहां पेपर लगेंगे, मोबाइल पर ओटीपी आएगी, फिर जब किसान खरीद केंद्र पर पहुंचेगा तो वहां पीओएस मशीन में अंगूठा लगाकर सत्यापन करना होगा। ऐसे में कोई बाहरी फायदा नहीं उठा पाएगा। एमएसपी का फायदा किसान को मिलेगा।’
उपायुक्त के मुताबिक उत्तर प्रदेश एमएसपी पर खरीद में प्रयोग में लाई जा रही नई विधियां समझने को दूसरे राज्यों के अधिकारी भी आ रहे हैं। खाद्य एवं रसद विभाग के अनुसार गेहूं खरीद को बनाए जाने वाले सभी 6,000 केंद्रों की रिमोट सेसिंग एप्लीकेशन सेंटर से जियो टैगिंग की जा रही है,इससे किसानों को क्रय केन्द्र की लोकेशन व पते की जानकारी प्राप्त करने में सुविधा होगी।
उदय प्रताप सिसोदिया बताते हैं, “100 क्विंटल तक खरीद को सरकार ने सत्यापन से मुक्त रखा है लेकिन इससे ज्यादा गेहूं होने पर उसे एसडीएम से सत्यापन कराना होगा। इसके अलावा प्रदेश के जिन गांवों में चकबंदी चल रही है,वहां ऑनलाइन खतौनी नहीं निकल पाएगी ऐसे किसानों को भी एसडीएम से सत्यापन कराना होगा। इसके अलावा जो किसान धान के समय पहले ही अपना पंजीकरण करवा चुके हैं उन्हें अपनी धान खरीद की आईडी डालकर सिर्फ संशोधन कर लॉक करना होगा।”
उत्तर प्रदेश में 8 खरीद एजेंसियां 6,000 केंद्रों से गेहूं की खरीद करेंगी। इनमें से सबसे ज्यादा खरीद केंद्र उत्तर प्रदेश सहकारी संघ (PCF) 3500 होंगे, जबकि 1100 खरीद केंद्र खुद खाद्य विभाग की विपणन शाखा के होंगे। उत्तर प्रदेश के राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद के 300 केंद्र, उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य आवश्यक वस्तु निगम (SFC) के 200, उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव यूनियन ( UPPCU), के 500, उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ (UPSS) के 250 केंद्र के साथ ही भारतीय खाद्य निगम (FCI) के 150 क्रय केंद्र बनाए जाएंगे।
फसल बेचने को किसानों को इस वर्ष से दो प्रमुख सुविधाएं दी जा रही हैं। पहला किसान रजिस्ट्रेशन के दौरान ही अपना नॉमिनी तय कर सकते हैं। खाद्य विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन में नॉमिनी की सुविधा मिलेगी। हालांकि नामित सदस्य आधार प्रमाणीकरण जरूर होगा।
अपने बयान में खाद्य आयुक्त मनीष चौहान ने कहा, “जो किसान खुद खरीद केंद्र आने में असमर्थ हैं, वह अपने परिवार के किसी सदस्य को नामित कर सकते हैं।” धान खरीद में पीलीभीत समेत कई जिलों में ये सुविधा लागू की गई लेकिन कुछ किसानों ने इस पर एतराज जताया था कि अक्सर जमीन किसी के नाम होती है लेकिन उसके घर के लोग खरीद बिक्री करते हैं, जो किसान गांव से बाहर हैं वो कैसे अपनी उपज बेचेंगे। ऐसे में विभाग का कहना है कि ऐसे सभी किसानों की सुविधा को नॉमिनी व्यवस्था है।

कई बार खरीद केंद्रों पर किसानों का गेहूं अस्वीकृत कर दिया जाता है। ऐसे किसान अब गेहूं रिजेक्ट (अस्वीकृत) किए जाने पर तहसील स्तर पर कार्यरत क्षेत्रीय विपणन अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति के समक्ष अपील कर सकेंगे।
केंद्रीय उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के बयान के अनुसार रबी विपणन सीजन (RMS) 2021-22 के दौरान कुल 427.363 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का अनुमान लगाया गया है। जो रबी विपणन सीजन 2020-21 के दौरान हुई 389.93 लाख मीट्रिक टन से 9.56 प्रतिशत अधिक है। उत्तर प्रदेश में 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जबकि सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में 135 लाख मीट्रिक टन, दूसरे नंबर पर पंजाब 130 लाख मीट्रिक टन और हरियाणा से 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का अनुमान है।

उत्तर प्रदेश में एक अप्रैल से शुरू होगी खरीदी। (फोटो- pixabay)

साल 2020 में (खरीद वर्ष 2020-21) में यूपी सरकार ने 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था, जबकि 35.67 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी। केंद्र सरकार ने हालांकि यूपी के लिए 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का अनुमानित लक्ष्य तय किया है लेकिन यूपी के खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जितना गेहूं आएगा पूरा खरीदा जाएगा। “ये जो 55 लाख मीट्रिक टन की बात है ये हमारी आंतरिक तैयारियों के लिए है लेकिन सरकार ने कहा है जितना गेहूं आएगा किसानों का उसे खरीदा जाएगा।” उद्य प्रताप सिसौदिया कहते हैं। प्रदेश के कृषि विभाग में अपर निदेशक राजेश गुप्ता ने गांव कनेक्शन को बताया कि साल 2020 के लिए गेहूं का रकबा 99.10 लाख हेक्टेयर (लक्ष्य) था।

ध्यान देने वाली बातें

अगर आप किसान खुद खरीद केंद्र तक नहीं जा सकते हैं तो रजिस्ट्रेशन के दौरान ही अपने परिवार में किसी व्यक्ति को नामित कर दें, जिसके पास आधार हो।
जो बंटाईदार किसान हैं अगर वो अपना गेहूं सरकार को बेचना चाहते हैं या फिर जिन गांवों में राजस्व विभाग की चकबंदी चल रही है उन्हें अपना संपूर्ण उपज का सत्यापन कराना होगा जबकि सामान्य किसानों के लिए 100 क्विंटल के ऊपर ही सत्यापन अनिवार्य है।
गेहूं क्रय केंद्र पर जाते वक्त अपने साथ कंप्यूटराइज्ड खतौनी (लैंड रिकॉर्ड),फोटो युक्त पहचान पत्र, बैंक पासबुक की फोटो कॉपी और आधार कार्ड साथ ले जाएं।
खाद्य एवं रसद विभाग की अधिकृत वेबसाइट जहां पर किसानों को फसल बिक्री के लिए पंजीकरण कराना है। ये पंजीकरण किसान खुद से या जन सुविधा केंद्र से जाकर करा सकते हैं।
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देश में पिछले कुछ वर्षों में फल-सब्जियों की खेती का रकबा तेजी से बढ़ा है। किसान धान, गेहूं गन्ना जैसी परंपरागत फसलों की जगह केला, आलू, गोभी, तरबूज, खीरा, मशरूम जैसी नकदी फसलें उगाने लगे हैं। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ें भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं।

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