धर्म छिपाकर विवाह,बेटी हुई तो इस्लामी नाम, धर्म परिवर्तन को दबाव

भोपाल में कथित लव जिहाद का मामला, धर्म छुपाकर किया विवाह अब धर्म परिवर्तन का दबाब
भोपाल 27नवंबर । मध्य प्रदेश सरकार लव जिहाद जैसे मामलों पर काबू पाने के लिए कानून लाने की तैयारी में है। इसके लिए मसौदा तैयार हो चुका है और विधानसभा सत्र में इसे पेश किया जाएगा। इस बीच राजधानी भोपाल में लव जिहाद का मामला सामने आया है। यहां इस्लाम धर्म अपना चुके एक मुस्लिम युवक ने खुद को हिन्दू बताकर महिला से शादी की और बेटी होने के बाद अब उस पर मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव बना रहा है। महिला ने इसकी लिखित शिकायत भोपाल के सूखी सेवनियां थाने में की है। महिला के आवेदन पर पुलिस ने कार्यवाही करते हुए आरोपित के खिलाफ एफआईआर दर्ज की कर ली है। वही मामले पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश के गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने मामले की गंभीरता से जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर की रहने वाली मधुमिता की शादी 2003 में हुई थी। लेकिन पति की असमय मौत हो गई। कुछ दिन बाद महिला ने दूसरी शादी के लिए मैरिज साइट पर अपना प्रोफाइल डाला था। वेबसाइट के जरिए ही भोपाल के अमित विश्वास नाम के युवक से रिश्ता हुआ। हिन्दू रीति रिवाज से मधुमिता ने शादी की। दूसरी शादी से एक बेटी होने के बाद पति ने महिला से बताया कि वो हिन्दू नहीं बल्कि मुस्लिम है। पति ने बेटी का नाम इस्लामिक रीति के अनुसार रखने और पत्नी पर इस्लाम धर्म अपनाने के लिए दबाव बनाना शुरू किया। पति का सच सामने आने के बाद महिला ने हिम्मत जुटाकर आरोपी युवक के खिलाफ भोपाल में मामला दर्ज कराया है। पीड़ित महिला ने गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से इंसाफ की गुहार लगाई। मधुमिता का आरोप है कि अमित बनकर शादी करने वाले अमीन ने उसे मारने और पागल घोषित करने की भी कोशिश की है तथा उसे और उसके पहले पति के बेटे को इस्लाम अपनाने का दबाब बना रहा है।

वही लव जिहाद के एक दूसरी मामले पर गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि भोपाल की एक युवती ने डरा-धमकाकर शादी करने और धर्मांतरण के लिए विवश किए जाने की शिकायत की है। पीड़ित युवती की फरियाद सुनने के बाद डीआईजी भोपाल को मामले की गंभीरता से जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पीड़ित युवती के परिजनों ने डरा-धमकाकर और धर्म छुपाकर शादी कराए जाने की शिकायत प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के शासन में भी की थी लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब भाजपा की सरकार में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक की चर्चा होने पर डरे-सहमे लोग सामने आने का साहस कर रहे हैं।

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