चंद्रयान तीन के भेजे तापमान ग्राफ से वैज्ञानिक चकित, आश्चर्यजनक उतार चढ़ाव

Chandrayaan-3: Isro Chief Offers Prayers Lander Vikram Sent Surprising Record
चंद्रयान-3: इधर इसरो चीफ ने की प्रार्थना , उधर लैंडर विक्रम ने भेज दिया चौंकाने वाला रिकॉर्ड
रविवार को इसरो ने एक ग्राफ जारी किया। यह चांद की सतह के तापमान से जुड़ा था। इसमें चांद की सतह पर भारी भिन्‍नता देखने को मिली। अब तक की जानकारी से यह बिल्‍कुल अलग थी। इसी दिन इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने तिरुअनंतपुरम के एक मंदरि में पूजा-अर्चना की।
मुख्य बिंदु 
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने रविवार को जारी किया ग्राफ
चांद की सतह पर तापमान में भिन्‍नता से जुड़ी मिली जानकारी
इसरो चीफ सोमनाथ ने तिरुअनंतपुरम के मंदिर में की पूजा-अर्चना

नई दिल्‍ली 28 अगस्त: चंद्रयान-3 अपनी मंजिल पर पहुंच चुका है। चांद पर पहुंचकर विक्रम लैंडर ने अपना काम शुरू कर दिया है। रविवार को इसने ऐसा कुछ भेजा जिसने पूरे वैज्ञानिक समुदाय को चौंका दिया। उसने चांद की सतह पर तापमान में भिन्नता दर्ज की है। यहां उच्‍चतम तापमान 70 डिग्री सेंटीग्रेड दर्ज किया गया है। चांद को समझने के लिए यह बहुत बड़ी कड़ी है। चांद से ये चौंकाने वाले रिकॉर्ड उस दिन आए जब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने तिरुअनंतपुरम के एक मंदिर में पूजा-अर्चना की। बुधवार को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद से पूरी इसरो टीम उत्‍साहित है। इसने दुनिया में भारत का डंका बजा दिया है। बच्‍चे-बच्‍चे की जुबान पर आज चंद्रयान है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ जारी किया। अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान को लेकर आश्चर्य जताया। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, ‘चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (चेस्ट) ने चांद की सतह के तापीय व्यवहार समझने को दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख’ मापा।

इसरो ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ‘यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं। चंद्रमा की सतह का तापीय व्यवहार समझने को चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापा।’

वैज्ञान‍िकों की जानकारी से ब‍िल्‍कुल अलग ग्राफ

ग्राफिक के बारे में इसरो वैज्ञानिक बी. एच. एम. दारुकेशा ने कहा, ‘हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है। यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से ज्‍यादा है।’

अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है।
इसरो ने एक बयान में कहा, ‘इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं। प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराइयों पर चंद्र सतह/करीबी-सतह की तापमान भिन्नता दर्शाता है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए ये पहले ऐसे प्रालेख हैं। विस्तृत अवलोकन जारी है।’
चांद में लगातार पैदा हो रही है द‍िलचस्‍पी
वैज्ञानिक दारुकेशा ने कहा, ‘जब हम पृथ्वी के अंदर दो से तीन सेंटीमीटर जाते हैं, तो हमें मुश्किल से दो से तीन डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता दिखाई देती है, जबकि चंद्रमा यह लगभग 50 डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता है। यह रोचक बात है।’

वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रमा की सतह से नीचे तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। उन्होंने कहा कि भिन्नता 70 डिग्री सेल्सियस से शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक है।

इसरो ने कहा कि ‘चेस्ट’ पेलोड को भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद के सहयोग से इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल) के नेतृत्व वाली टीम ने विकसित किया था।
उधर, इसी दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने तिरुवनंतपुरम के पूर्णमिकवु मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्हें मंदिर में ध्‍यान लगाकर प्रार्थना करते देखा गया।

अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए 23 अगस्त को भारत का मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। इससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला और चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की थी कि चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल का नाम ‘शिवशक्ति’ प्वाइंट रखा जाएगा और 23 अगस्त का दिन ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री  कहा था कि चंद्रमा की सतह पर जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने 2019 में अपने पदचिह्न छोड़े थे, उसे ‘तिरंगा’ प्वाइंट के नाम से जाना जाएगा।

Chandrayaan-3 Pragyan Rover Passes First Obstacle 100mm Deep Moon Crater Isro Vikram Lander
चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर पहली चुनौती में पास, चांद पर बड़े से गड्ढे को किया पार
Chandrayaan-3 Rover Pragyan News: चंद्रयान-3 के रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चांद पर पहली बाधा पार कर ली है। प्रज्ञान के सामने 100mm का गड्ढा आया जिसे उसने आराम से नेगोशिएट कर लिया।

चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर पहली चुनौती में पास, चांद पर बड़े से गड्ढे को किया पार

मुख्य बिंदु
चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर गड्ढे को पार किया
100mm गहरा था गड्ढा, ISRO के वैज्ञानिकों ने ली राहत की सांस
रोवर के हर मूवमेंट के बीच 5 घंटे का टर्नअराउंड टाइम: ISRO
चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर पहली चुनौती से निपटने में सफल रहा। उसके सामने चांद की सतह पर 100mm का क्रेटर (गड्ढा) आया। प्रज्ञान ने बड़ी सावधानी से उसे पार किया और ISRO कंट्रोल रूम में बैठे वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली। अभी प्रज्ञान रोवर को ऐसी कई चुनौतियों से निपटना है। हमारे सहयोगी ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने चंद्रयान-3 के प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर, पी वीरमुथुवेल से खास बातचीत की। यह चांद पर लैंडर विक्रम की सटीक लैंडिंग और रोवर की तैनाती के बाद उनका पहला डीटेल्‍ड इंटरव्यू है। वीरमुथुवेल ने टीओआई को बताया कि अभी तक के साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स से अच्छे नतीजों की उम्मीद का भरोसा बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘इसरो के सैकड़ों सहयोगियों के अथक प्रयास के बिना इसमें से कुछ भी संभव नहीं होता। खासतौर से नेविगेशन-गाइडेंस-एंड-कंट्रोल, प्रपल्शन, सेंसर्स और सभी मेनफ्रेम सबसिस्टम्स के सहयोगियों के बिना।’ वीरमुथुवेल ने कहा कि प्रज्ञान के मूवमेंट पूरी तरह ऑटोमेटिक नहीं थे। उन्होंने कहा कि उसके सामने कई चुनौतियां हैं जिनमें से हर एक को ग्राउंड टीमों की भागीदारी के साथ दूर करना होगा।

चांद की सतह पर कैसे चलता है चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर, पूरा प्रोसेस समझ‍िए

चंद्रयान-3 के प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर ने बताया कि प्रज्ञान को चांद की सतह पर पॉइंट A से B तक मूव कराने में कई स्‍टेप्‍स होते हैं।
हर रास्ते की प्लानिंग के लिए, ऑनबोर्ड कैमरा का डेटा बेंगलुरु के ISRO कंट्रोल सेंटर में डाउनलोड किया जाना चाहिए।
इस डेटा से डिजिटल एलिवेशन मॉडल (DEM) बनाया जाता है। फिर ग्राउंड और मैकेनिज्म टीम तय करती है कि कौन सा रास्ता लेना है और रोवर को फॉलो करने के लिए कमांड देता है।
वीरमुथुवेल ने कहा कि रोवर मूवमेंट की कुछ सीमाएं हैं। हर बार नेविगेशन कैमरा जो तस्वीर भेजता है, उनसे अधिकतम पांच मीटर तक का DEM बनाया जा सकता है।
इसका मतलब यह कि जब भी रोवर को चलने का कमांड दिया जाता है, तो वह अधिकतम पांच मीटर की दूरी ही तय कर सकता है।
वीरमुथुवेल ने बताया कि रोवर के सामने तमाम बाधाओं आदि की चुनौतियां हैं। उन्‍होंने कहा, ‘हम पहले क्रेटर को लेकर बहुत चिंतित थे, लेकिन उस बाधा को दूर कर लिया गया है।’

  ‘रोवर के हर मूवमेंट ऑपरेशन के बीच 5 घंटे का टर्नअराउंड टाइम’
इसरो पहले ही कई रोवर मूवमेंट कर चुका है। वीरमुथुवेल ने कहा कि ‘यह (प्रज्ञान) किसी बड़े रोवर जैसा नहीं है। सीमित संसाधनों के भीतर, हमने मिनिएचर सिस्टम स्थापित किए हैं जो अत्याधुनिक हैं। लेकिन कुछ सीमाएं हैं जैसे टेलीमेट्री और टेलीकम्युनिकेशंस की 24×7 अनुपलब्धता, सूर्य को लगातार ट्रैक करने की जरूरत और इसलिए, (रोवर के) हर मूवमेंट ऑपरेशन के बीच का समय लगभग 5 घंटे है।’

इसरो चीफ सोमनाथ ने दिया चंद्रयान 3 पर बड़ा अपडेट

प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर ने बताया, ‘वहां सूरज स्थिर नहीं है। हर दिन 12° का रोटेशन होता है जिसे ध्यान में रखना जरूरी है क्योंकि लैंडर के तीन तरफ सोलर पैनल लगे हैं। रोवर में तैनाती योग्य सोलर पैनल है, जहां एक तरफ पूरी तरह से सोलर सेल हैं और दूसरी तरफ केवल आधी जगह उपलब्ध है।’ रोवर से डेटा रेट भी लिमिटेड है क्योंकि यह केवल विक्रम लैंडर से बात कर सकता है। फिर लैंडर से ISRO कंट्रोल रूम डेटा डाउनलोड करता है। इसमें समय लगता है क्योंकि वैज्ञानिक साइंटिफिक डेटा का एनालिसिस करके अगले कदम का फैसला करते हैं।

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