कुंभ:फलाहारी संत ,ऊद्धर्व बाहू योगी ,50 किग्रा रूद्राक्षधारी

मीडिया सेंटर कुम्भ मेला- 2021 नीलधारा, हरिद्वार
04- अप्रैल 2021
– कुम्भ के अनोखे सन्त
– सन्त चेतनपुरी: 20 साल से अन्न का दाना नहीं, और शरीर पर 30 किलो रूद्राक्ष
– राधेपुरी: दस साल से खड़े हाथ से कर रहे है तप
हरिद्वार 04 अप्रैल- हरिद्वार कुम्भ में आये है कई अनोखे प्रण लिए हुए कई तपस्वी संत, जिन्होंने जनकल्याण के लिए कठिन तप के प्रण लिए हुए है।
बाबा चेतनपुरी बचपन मे ही घर त्याग कर साधु सन्तो के साथ परम सत्य की खोज में निकल पड़े थे। उनको शान्तिकुंज के परमाध्यक्ष श्रीराम शर्मा के पंथ और धर्म मार्ग ने गहराईयो तक प्रभावित किया है।
बाबा चेतनपुरी का कहना है कि उन्होने आचार्य श्री राम के साथ अनेको धर्मस्थलो और ग्रामीण क्षेत्रो का भ्रमण किया है। उन्होंने उन्ही के साथ रहते हुए लोगो के असीमित दुख और कष्टों के अहसास से आहत होकर अन्न त्याग दिया। बाबा चेतनपुरी पिछले दो दशकों से केवल फलाहार पर जीवन-यापन करते हैं और अपनी तपस्या में लीन है। उन्होने अपने शरीर पर लगभग 30 किलो रूद्राक्ष धारण किया हुआ है। उनके अनुसार रूद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं का स्वरूप माना जाता है। शिव का अंश होने के कारण इनसे असीम शक्ति मिलती है। जो जगत के कल्याण की प्रार्थना में काम आती है।
जूना अखाड़ा के ऊध्र्वबाहु हठयोगी बाबा राधेपुरी भी 2011 से अपना एक हाथ उठाये हुए लोक कल्याण के लिए तपस्या कर रहे है। उनका कहना है कि हठयोग ईश्वर से दुखी लोगो के कल्याण के लिए हठपूर्वक किया जाने वाला तप है। वहीं आनन्द अखाड़े के बाबा दिगम्बर भारती भी ऊध्र्वबाहुु योगी है। लेकिन उनका कहना है कि ये हठयोग नही यह तो सत्ययोग है, वे लोगो के कल्याण के लिए तप कर रहे हैं। बाबा दिगम्बर भारती स्नातक है और संसारिक सुखो का त्याग कर सन्यास मार्ग पर अग्रसर है।
बाब अजयगिरी निरंजनी अखाड़े के रूद्राक्ष बाबा है। बाबा अजयगिरी ने पांच वर्ष की अवस्था में ही घर त्याग दिया था। 35 वर्षीय बाबा लगभग 50 किलो रूद्राक्ष धारण किये हुए है और उनका भी अन्न-जल से उनका कोई नाता नही है। रूद्राक्ष के भारी-भरकम वजन को वे ईश्वर का आशीर्वाद मानते है, इससे उन्हे किसी तरह की थकान भी नही होती है।
खास बात यह है कि ऐसे बाबाओं ने अपने भैतिक परिवारो से कोई नाता नही रखा है। वे केवल ईश्वर और संगी-सन्तो को ही अपना परिवार मानते है।

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