निगार शाजी जिनकी आठ साल की तपस्या ने पहुंचा दिया भारत को सूरज पर

Aditya L1 Mission Who Is Nigar Shaji Project Director Of Mission In Isro
मंजिल पर पहुंचा आदित्य एल.1, जानिए कौन हैं निगार शाजी जिनकी टीम की 8 साल की तपस्या लाई रंग
भारत का अंतरिक्ष मिशन यान आदित्य एल-1 अंतरिक्ष में 126 दिन तक 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद शनिवार को सफलतापूर्वक अपने अंतिम गंतव्य पर पहुंच चुका है। आदित्य-एल1 यान दो सितंबर को प्रक्षेपित हुआ था और यह ‘लैग्रेंजियन पॉइंट 1’ पर पहुंच गया है, जहां से यह सूर्य की परिक्रमा करके उसका अध्ययन करेगा।
मुख्य बिंदु
निगार शाजी की टीम ने साल 2016 में शुरू किया था काम
इसरो के कई मिशन में जिम्मेदारी निभा चुकी हैं निगार शाजी
आदित्य एल1 की सफलता से लाखों लड़कियों को प्रेरणा

नई दिल्ली सात जनवरी 2024: इसरो ने अंतरिक्ष में एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। देश की पहली सोलर ऑबजर्वेटरी आदित्य-एल1 लैंगरंग प्वाइंट एल1 पर स्थापित हो चुकी है। यहां से अब अंतरिक्ष यान सूर्य को ‘आकाशीय सूर्य नमस्कार’ करेगा। विशेष बात है कि इसरो के इस जटिल मिशन को एक महिला लीड कर रही है। प्रोजक्ट डायरेक्ट निगार शाजी वो नाम है जिसे अब हर कोई जानता  हैं। एक सौम्य और मुस्कुराती महिला जिन्होंने इस मिशन को सफल बनाने को अपनी टीम के साथ आठ वर्षों तक अथक परिश्रम किया। इसरो के कई मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही 59 वर्षीया शाजी अब उन कई महिलाओं के लिए आदर्श हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान में अपना करियर बनाना चाहती हैं।

37 साल पहले इसरो किया था जॉइन

निगार शाजी ने 1987 में विशिष्ट अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को जॉइन किया था। उन्होंने इसरो में अपना कार्यकाल आंध्र तट के पास श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष बंदरगाह पर काम के साथ शुरू किया। बाद में उन्हें बेंगलुरु के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर भेजा  गया, जो उपग्रहों के विकास का प्रमुख केंद्र है। शाजी ने इसरो के साथ कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सफलतापूर्वक पूरी की। शाजी इसरो में भरोसे का प्रतीक बन गईं। इसके बाद उन्हें भारत के पहले सौर मिशन का परियोजना निदेशक बनाया गया। शाजी पहले रिसोर्ससैट-2ए के सहयोगी परियोजना निदेशक भी रह चुकी हैं। यह प्रोजेक्ट अभी भी चालू है। शाजी सभी निचली कक्षा और ग्रहीय मिशनों की प्रोग्राम डायरेक्टर भी हैं।

2016 में शुरू हुआ था मिशन पर काम

शाजी और उनकी टीम ने 2016 में आदित्य एल1 परियोजना पर काम करना शुरू किया। हालांकि 2020 के आसपास कोविड महामारी ने उनके काम को रोक दिया। उस समय इसरो की गतिविधियां लगभग रुक गईं, लेकिन प्रोजेक्ट का काम कभी नहीं रुका। उन्होंने और उनकी टीम ने सात वैज्ञानिक उपकरणों वाली सोलर ऑब्जर्वेटरी पर काम करना जारी रखा। मिशन आदित्य एल1 को पिछले साल 2 सितंबर को लॉन्च किया गया था। शाजी और उनकी टीम ने कई अभ्यासों के बाद पृथ्वी से L1 बिंदु की ओर अपनी पूरी यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यान पर कड़ी नजर रखी। उनकी कड़ी मेहनत के कारण, आदित्य-एल1 अंततः अपने गंतव्य, हेलो कक्षा तक पहुंच गया है। यहां से अंतरिक्ष यान बिना किसी बाधा या रुकावट के सूर्य का निरीक्षण करेगा।

पिता की प्रेरणा से बढ़ीं आगे

शाजी का जन्म तमिलनाडु के तेनकासी जिले के सेनगोट्टई में एक मुस्लिम तमिल परिवार में हुआ। शाजी की स्कूली शिक्षा सेनगोट्टई में ही हुई। उन्होंने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय में तिरुनेलवेली के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने यहां से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। बाद में, उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मिसरा से इलेक्ट्रॉनिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। शाजी के पिता शेख मीरान भी मैथ में ग्रेजुएट थे। हालांकि, उन्होंने अपनी पसंद से खेती की ओर रुख किया। हाल ही में एक इंटरव्यू में शाजी ने बताया था कि मेरे पिता ने मुझे हमेशा जीवन में कुछ बड़ा करने को प्रेरित किया। मेरे माता-पिता दोनों ने मेरे पूरे बचपन में बहुत सहयोग किया। उनके निरंतर समर्थन के कारण, मैं इतनी ऊंचाइयों तक पहुंची।

महिला के रूप में भेदभाव नहीं

अंतरिक्ष एजेंसी में लैंगिक भेदभाव के बारे में किसी भी गलतफहमी को दूर करते हुए शाजी ने कहा कि उन्हें इसरो में कभी भी लैंगिक भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा। उनका कहना है कि अपने सीनियर्स के लगातार सहयोग से ही वह आज इस उपलब्धि तक पहुंच पाई हैं। शाजी कहती हैं कि टीम लीडर होने से, अब कई लोग मेरे अधीन काम करते हैं। इसलिए, मैं उसी तरह तैयार होती हूं जैसे मेरे सीनियर्स ने मुझे तैयार किया।

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