चीन आया लंबी चलने वाली मंदी की चपेट में,

China’s Gdp Deflator Fell In Q4 2023 Longest Decline Since 1999
चीन में 24 साल में पहली बार हुआ ऐसा, क्या मंदी में फंस चुकी है ड्रैगन की इकॉनमी?
चीन की इकॉनमी कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। पूरी दुनिया जहां महंगाई से त्रस्त है, वहीं चीन में उल्टी गंगा बह रही है। लगातार तीसरी तिमाही वहां डिफ्लेशन की स्थिति है। साल 1999 के बाद पहली बार चीन में ऐसा हुआ है। जानकारों का कहना है कि चीन मंदी की चपेट में आ चुका है।
मुख्य बिंदु
चीन में लगातार तीसरी तिमाही डिफ्लेशन की स्थिति
साल 1999 के बाद पहली बार देश की यह हालत हुई है
देश को कई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है

नई दिल्ली19 जनवरी: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। फाइनेंशियल ईयर 2023 की चौथी तिमाही में जीडीपी डिफ्लेटर में 1.5 फीसदी गिरावट आई। यह देशभर में कीमतों को मापने का पैमाना है। दुनिया जहां महंगाई की समस्या से जूझ रही है, वहीं चीन लंबे समय से डिफ्लेशन की स्थिति से जूझ रहा है। देश में लगातार तीसरे तिमाही में जीडीपी डिफ्लेटर में गिरावट आई है। यह साल 1999 के बाद इसमें सबसे लंबी गिरावट है। यहां तक कि 2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस के दौर में भी चीन में सामान की कीमतों में केवल दो तिमाही गिरावट आई थी। लेकिन इस बार स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। कमजोर कंज्यूमर कॉन्फिडेंस और हाउसिंग मार्केट के संकट को इसकी मुख्य वजह माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि चीन मंदी में फंस चुका है।

देश में लंबे समय तक डिफ्लेशन की स्थिति रहने की आशंका है जो इकॉनमी के लिए शुभ संकेत नहीं है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी हाल में माना कि देश की इकॉनमी फिसल रही है। देश की इकॉनमी कोरोना महामारी के असर से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है। उसे कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। रियल एस्टेट गहरे संकट में है, बेरोजगारी चरम पर है, विदेशी कंपनियां अपना बोरिया-बिस्तर समेट रही हैं और अमेरिका के साथ तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। विदेशी निवेशक चीन में अपना निवेश घटा रहे हैं। साल 2021 से चीन के शेयर बाजार से निवेशकों को चार ट्रिलियन डॉलर से अधिक झटका लगा है। पिछले साल चीन के शेयर बाजार ने दुनिया में सबसे खराब प्रदर्शन किया और इस साल भी हालात में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है।

क्या पैदा हुई यह स्थिति
हालत यह हो गई है कि एक अहम एमर्जिंग मार्केट इक्विटी बेंचमार्क में चीन की हिस्सेदारी रेकॉर्ड लो पर पहुंच गई है। 31 दिसंबर को एमएससीआई एमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स में चीन के स्टॉक मार्केट की हिस्सेदारी 23.77 परसेट रह गई जो जून 2017 में 23.84 परसेंट थी। अमेरिकी की कंपनी ने जून 2017 में चीन के स्टॉक्स को अपने इंडेक्स में शामिल करने का फैसला किया था। सितंबर 2020 में इस इंडेक्स में चीन की हिस्सेदारी 38.5 परसेंट के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन उसके बाद इसमें करीब 15 फीसदी गिरावट आई है।

चीन में डिफ्लेशन के लंबे समय तक बने रहने की आशंका है। वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में गिरावट को डिफ्लेशन कहते हैं। आम तौर पर इकॉनमी में फंड की सप्लाई और क्रेडिट में गिरावट के कारण ऐसी स्थिति पैदा होती है। इससे चीन की इकॉनमी में जापान की तरह ठहराव आने की आशंका जताई जा रही है। एक जमाने में जापान की इकॉनमी रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रही थी और माना जा रहा था कि अमेरिका को पीछे छोड़ देगा। लेकिन डिफ्लेशन के कारण 1990 के दशक में जापान की इकॉनमी में ठहराव आ गया था। यही वजह है कि चीन में डिफ्लेशन पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक है।

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