राहुल के नजदीकी जितिन प्रसाद भी भाजपा में,कहा-यही है राष्ट्रीय दल

 

जितिन प्रसाद की नई पारी:राहुल के करीबी जितिन भाजपा में शामिल; कहा- देशहित में काम करने वाली केवल BJP, बाकी व्यक्ति विशेष के नाम पर चलते हैं

जितिन प्रसाद को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने BJP की सदस्यता दिलाई।
लखनऊ 09जून।कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के कद्दावर नेता और राहुल गांधी के करीबी जितिन प्रसाद BJP में शामिल हो गए। दिल्ली स्थित BJP मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इससे पहले जितिन प्रसाद ने गृहमंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात भी की। पार्टी की सदस्यता लेने के बाद जितिन ने कांग्रेस पर तंज कसा। कहा, अब केवल BJP ही देशहित में काम करने वाली पार्टी है। बाकी दल व्यक्ति विशेष और क्षेत्र के हो गए हैं। राष्ट्रीय दल के नाम पर देश में अगर कोई पार्टी है तो वह सिर्फ BJP है।

मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू हो रहा

प्रसाद ने कहा, ‘मैं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सभी भाजपा नेताओं का धन्यवाद देता हूं। ये राजनीतिक जीवन का नया अध्याय शुरू हो रहा है। मेरा कांग्रेस से तीन पीढ़ियों का नाता है। ये अहम निर्णय विचार और मंथन के बाद लिया है। सवाल ये नहीं है कि मैं किस दल को छोड़कर आ रहा हूं। सवाल ये है कि किस दल में जा रहा हूं और क्यों जा रहा हूं। कुछ सालों से महूसस किया है कि आज देश में असली मायने में कोई राजनीतिक दल है तो भाजपा है। राष्ट्रीय दल तो भाजपा है।’

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जितिन प्रसाद का BJP में स्वागत किया।
गोयल ने कहा- पीएम मोदी से प्रभावित होकर पार्टी जॉइन की
पीयूष गोयल ने कहा, ‘आज जितिन प्रसाद हमारे बीच में है। ये उत्तर प्रदेश के नेता हैं। भाजपा की नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर हमारी पार्टी में आ रहे हैं। ये कांग्रेस संगठन में कई पदों पर काम कर चुके हैं। मंत्री भी रहे हैं।
पीयूष गोयल ने कहा- जितिन प्रसाद ने बहुत छोटी आयु से उत्तर प्रदेश की सेवा में अपना पूरा जीवन झोंक दिया है। अभी भी मुझे याद है कि इनकी उम्र 27 वर्ष की थी, जब अचानक इनके पिता जी का देहांत हो गया था। तब ये मुंबई में काम करते थे। दिल्ली के श्रीराम कॉलेज से ये पढ़ाई कर चुके हैं। छोटी ही उम्र में परिवार को झटका लगा। इन्होंने छोटी आयु में भी उत्तरप्रदेश में दौरा किया। अलग-अलग जिलों में जाकर अपनी प्रतिभा और काम से लोगों का दिल जीता। शाहजहांपुर से सांसद बने। इन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो भूमिका निभाई, वो हम सबने देखी है।

यूपी के बड़े नेताओं में शुमार हैं जितिन प्रसाद

कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद का नाम उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं में शुमार है। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भी कयास लगाए जा रहे थे कि जितिन कांग्रेस को छोड़कर BJP का दामन थाम सकते हैं, लेकिन तब ऐसा नहीं हो पाया था। जितिन प्रसाद धौरहरा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा उनके पास केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री की जिम्मेदारी थी।
राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि यूपी में प्रियंका गांधी के आने के बाद से जितिन प्रसाद को साइड लाइन कर दिया गया। पार्टी के कार्यक्रमों में भी उनको कम तवज्जो मिलती थी। हालांकि जितिन ने कभी खुलकर इसको जाहिर नहीं किया।

12 महीने में 3 बार खुलकर सामने आए

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान लिस्ट में देरी पर भी जितिन प्रसाद नाराज हो गए थे। तब वह कांग्रेस के राज्य प्रभारी थे।
सचिन पायलट जब कांग्रेस से नाराज थे तब जितिन प्रसाद ने उनका समर्थन किया था। जितिन ने ट्वीट किया था, “सचिन पायलट सिर्फ मेरे साथ काम करने वाले नहीं बल्कि मेरे दोस्त भी हैं। इस बात को कोई नकार नहीं सकता कि उन्होंने पूरे समर्पण के साथ पार्टी के लिए काम किया है। उम्मीद करता हूं कि ये स्थिति जल्द सही हो जाएगी। ऐसी नौबत आई इससे दुखी भी हूं।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव और पार्टी को ज्यादा सजीव बनाने के लिए पत्र लिखा था। यूपी में इसको लेकर कुछ नेताओं ने विरोध भी किया था।
ब्राह्म चेतना संवाद से भी कांग्रेस ने किया था किनारा
बीते काफी समय से जितिन प्रसाद ब्राह्मणों के हक में आवाज उठा रहे हैं। हालांकि, प्रदेश नेतृत्व से उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा था। यही वजह थी कि जब जितिन ने ब्रह्म चेतना संवाद कार्यक्रम की घोषणा की तो पार्टी ने इससे किनारा कर लिया। कई नेताओं ने यह तक कहा कि वह उनका अपना निजी मसला है, इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है।

लगातार तीन चुनाव हार चुके हैं जितिन प्रसाद

प्रसाद ने 2004 में शाहजहांपुर से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। जीत कर मंत्री भी बने फिर 2009 में धौरहरा सीट से चुनाव जीते और UPA-2 में मंत्री भी बने। फिर जितिन 2014 में लोकसभा चुनाव हार गए। 2017 में तिलहर विधानसभा से चुनाव लड़े, लेकिन यह चुनाव भी नहीं जीते। 2019 में धौरहरा से फिर लोकसभा चुनाव लड़े और फिर हार का सामना करना पड़ा

प्रियंका की एंट्री से थे साइड लाइन

प्रियंका गांधी का उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ने के बाद साइड लाइन थे जितिन प्रसाद, अब थामा BJP का दामन
राहुल गांधी की करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं. उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान प्रियंका गांधी के के हाथों में आने के बाद सूबे की राजनीति में जितिन प्रसाद साइड लाइन चल रहे थे, जिसके चलते उन्होंने अब 2022 के चुनाव से ठीक पहले पार्टी को अलविदा कह दिया है. यह कांग्रेस के लिए यूपी में बड़ा झटका माना जा रहा हैै

जितिन प्रसाद पूर्व मंत्री जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं
राहुल गांधी के करीबी नेता माने जाते थे जितिन

2001 में सियासत में कदम रखा और दो बार मंत्री बने
पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जितिन प्रसाद को बीजेपी की सदस्यता दिलाई. राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं. उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान प्रियंका गांधी के के हाथों में आने के बाद सूबे की राजनीति में जितिन प्रसाद साइड लाइन चल रहे थे, जिसके चलते उन्होंने अब 2022 के चुनाव से ठीक पहले पार्टी को अलविदा कह दिया है. यह कांग्रेस के लिए यूपी में बड़ा झटका माना जा रहा है.

जितिन प्रसाद की साल 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने चर्चाएं थीं, लेकिन उस वक्त उन्होंने पार्टी को नहीं छोड़ा था. हालांकि, यह चर्चा इतनी ज्यादा हो गई थी कि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को सामने आकर सफाई देनी पड़ी थी कि जितिन पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं. हालांकि, जितिन प्रसाद उसके बाद भी सामने नहीं आए थे, लेकिन अब दो साल के बाद उन्होंने आखिर कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का कदम उठा ही लिया.

यूपी की सियासत में जितिन प्रसाद कद्दावर नेता माने जाते हैं, लेकिन जबसे सूबे में प्रियंका गांधी का सियासी दखल बढ़ा है तब से उन्हें कांग्रेस में वह महत्व नहीं मिल रहा है जैसा राहुल गांधी के समय मिला करता था. कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए-2 में जिस तरह से सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया का सियासी वर्चस्व कायम था, उसी तरह जितिन प्रसाद की तूती बोलती थी.

जितिन प्रसाद को गांधी परिवार का करीबी माना जाता था और यूपी के तमाम राजनीतिक फैसलों में उनका बकायदा दखल हुआ करता था. 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए राज बब्बर ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद जितिन प्रसाद के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चाएं तेज हो गई थीं. लेकिन प्रियंका गांधी ने जितिन की जगह अजय लल्लू को पार्टी की कमान सौंप दी थी. इतना ही नहीं उन्हें यूपी फैसलों से दूर रखा जा रहा था और उनके करीबी नेताओं को भी जिला संगठन से हटा दिया गया था.

कांग्रेस के इसी फैसला के बाद से जितिन प्रसाद पार्टी से नाराज चल रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें साधे रखने के लिए यूपी से बाहर बंगाल का पार्टी प्रभारी बनाकर भेज दिया था. हालांकि, बंगाल में चुनाव के बाद से कांग्रेस से उनका मोह भंग हो गया था और अपने सियासी भविष्य को देखते हुए बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली.

जितिन प्रसाद की राजनीतिक यात्रा

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राजनीतिक सलाहकार जितेन्द्र प्रसाद के पुत्र जितिन प्रसाद का सियासी सफर करीब 20 वर्ष पुराना है. जितिन प्रसाद ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत साल 2001 में की थी. इस दौरान वो यूथ कांग्रेस में सचिव बने थे. इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में वह अपनी गृह लोकसभा सीट शाहजहांपुर से जीतकर संसद पहुंचे. साल 2008 में अखिलेश दास को हटाकर कांग्रेस हाईकमान ने पहली बार जितिन प्रसाद केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया.

इसके बाद 2009 में जितिन प्रसाद ने धौरहरा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वह 2009-11 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री रहे, इसके बाद 2011-12 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और 2012-14 तक मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय का कार्यभार संभाला, लेकिन इसके बाद से वो दोबारा चुनाव नहीं जीत सके.

कांग्रेस ने जितिन प्रसाद को 2014 में धौरहरा सीट से एक बार फिर मैदान में उतारा, लेकिन जीत नहीं दर्ज कर सके. 2017 में तिलहर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े, लेकिन यह चुनाव भी नहीं जीते जबकि उनको तब सपा का समर्थन हासिल था. इसके बाद 2019 में धौरहरा से फिर लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन हार गए. इसके बाद प्रियंका गांधी ने जितिन प्रसाद को महत्व नहीं दिया, जिसके चलते वह नाराज चल रहे थे.

जितिन को सियासत विरासत में मिली

जितिन प्रसाद का जन्म 29 नवंबर 1973 को यूपी के शाहजहांपुर में हुआ. उन्होंने अपनी पढ़ाई देहरादून के दून स्कूल से की. फिर वह दिल्ली चले गए और श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीकॉम ऑनर्स किया. इसके बाद उन्होंने दिल्ली से एमबीए किया. फरवरी 2010 में जितिन प्रसाद ने पूर्व पत्रकार नेहा सेठ से शादी की.

जितिन प्रसाद के दादा ज्योति प्रसाद कांग्रेस के नेता थे और उनकी दादी पामेला प्रसाद कपूरथला के रॉयल सिख परिवार से थीं. जितेंद्र प्रसाद भारत के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं. जितेंद्र प्रसाद यूपी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. इतना ही नहीं सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव भी जितेंद्र प्रसाद लड़ थे. इस तरह जितिन प्रसाद को सियासत विरासत में मिली है. वो कांग्रेस में रहते हुए दो बार एमपी और मनमोहन सिंह की दोनों सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे और अब अपनी सियासी पारी बीजेपी के पिच पर खेलेंगे.

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