धर्म परिवर्तन मामला: उमर गौतम और जहांगीर कासमी की सात दिन की रिमांड

धर्मांतरण मामला: यूपी एटीएस को मिली मौलाना उमर गौतम और जहांगीर कासमी की सात दिन की रिमांड
लखनऊ
एटीएस दोनों आरोपितों को 23 जून की सुबह 11 बजे से 30 जून की सुबह 11 बजे तक रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकेगी।

गरीब, असहाय व मजबूर लोगों को प्रलोभन और धोखा देकर हजारों लोगों का धर्मांतरण कराने वाले दोनों आरोपियों की रिमांड यूपी एटीएस को मिल गई है। उत्तर प्रदेश एटीएस ने सोमवार को मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को गिरफ्तार किया था।

एटीएस के प्रभारी विशेष एसीजेएम ने दोनों को 7 दिन के लिए पुलिस कस्टडी रिमांड पर दिए जाने का आदेश दिया है। एटीएस दोनों आरोपियो को 23 जून की सुबह 11 बजे से 30 जून की सुबह 11 बजे तक रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकेगी।
हालांकि एसटीएफ ने दोनों आरोपियों की 10 दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड मांगी थी। एसटीएफ ने कहा था कि यह एक बहुत बड़ा रैकेट है इसकी तह तक जाना बहुत ही जरूरी है।

एसटीएफ ने कहा कि आरोपितों के पास से पासपोर्ट, मोहर, साहित्य, धर्म और नाम बदलने वाले पुरुष, महिला व बच्चों की सूची, मोबाइल, लाइसेंस, पहचान पत्र, आधार, पैन, मैरिज सर्टिफिकेट और कंवर्जन रजिस्टर बरामद हुए हैं।
आरोपित देश विरोधी संस्थाओं के निर्देश पर लोगों का धर्म परिवर्तन करके जनसंख्या संतुलन को बदलने के साथ ही उनको अपने मूल धर्म के विरुद्ध करके वैमनस्यता फैला रहे है।

एसटीएफ ने कहा कि आरोपितों को रिमांड पर लेकर मोबाइल डेटा, जिन लोगों का धर्मांतरण कराया गया, आईडीसी, बैंक खाते की जानकारी करनी है साथ ही पूरे रैकेट के विषय में विस्तृत जानकारी भी जुटानी है।

कोर्ट में एटीएस ने बताया कि प्रदेश में विभिन्न धर्मों के लोगों का प्रलोभन और धोखा देकर धर्मांतरण कराए जाने के आरोपों को लेकर दोनों आरोपियों को एटीएस द्वारा गिरफ्तार किया गया था।

आरोपितों पर आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी करते हुए एक षड्यंत्र में दो समुदायों में वैमनस्यता पैदा करने एवं धार्मिक उन्माद के अलावा उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम का अपराध किया है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद आरोपितों को रिमांड पर दिए जाने का आदेश दिया।

धर्मांतरण के आरोपित उमर गौतम के परिवार का दावा- इस्लाम कबूलते ही तोड़ लिए थे संबंध

उमर गौतम (Umar Gautam) के बड़े भाई उदय प्रताप सिंह ने बताया कि वर्ष 1980 में नैनीताल में बी.एससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई के दौरान श्याम प्रताप ने धर्म परिवर्तन कर लिया था. उसके मुस्लिम बनने के बाद परिवार ने उससे संबंध खत्म कर लिए थे. उन्होंने बताया कि परिवार ने उमर गौतम को काफी समझाया-बुझाया था कि वो इस्लाम से वापस हिंदू बन जाए लेकिन उसने सबकी बात अनसुनी कर दी।
धर्म परिवर्तन के आरोप में दिल्ली के जामिया नगर (Jamia Nagar) से गिरफ्तार मोहम्मद उमर गौतम (Mohammad Umar Gautam) के बड़े भाई उदय प्रताप सिंह का कहना है कि करीब 40 साल पहले उनके छोटे भाई श्याम प्रताप सिंह गौतम ने इस्लाम (Islam) कबूल कर लिया था, और अपना नाम उमर गौतम रख लिया था. उन्होंने कहा कि उसने अपनी पत्नी राजेश्वरी को भी इस्लाम धर्म कबूल करवा कर रज़िया बना दिया था. 65 वर्षीय उदय प्रताप उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) के ग्रामीण सिंचाई विभाग से रिटायर हुए हैं. उदय प्रताप उमर गौतम से उम्र में दो साल बड़े हैं.

उदय प्रताप ने बताया कि वो लंबे समय से अपने भाई के संपर्क में नहीं हैं. काफी कुरेदने पर वो कहते हैं हमें उससे कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने बताया कि 1980 के दशक के शुरुआती वर्षों में नैनीताल में बी.एससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई के दौरान श्याम प्रताप ने धर्म परिवर्तन कर लिया था. उसके मुस्लिम बनने के बाद परिवार ने उससे संबंध खत्म कर लिए थे. उन्होंने बताया कि परिवार ने उमर गौतम को काफी समझाया-बुझाया था कि वो इस्लाम से वापस हिंदू बन जाए लेकिन उसने सबकी बात अनसुनी कर दी.

वहीं, गिरफ्तारी के बाद आरोपी उमर गौतम का संदिग्ध ट्विटर अकाउंट सामने आया है. इस ट्विटर अकाउंट में उमर ने खुद को पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह का भतीजा बताया है. अपने बारे में जानकारी देते उमर ने 20 साल की उम्र में इस्लाम धर्म अपनाने का जिक्र भी किया है. ट्विटर पर ही उमर ने अपने को इस्लामिक दावा सेंटर का चेयरमैन बताया है.हालांकि यह ट्विटर अकाउंट उमर गौतम का ही है इस बात की पुष्टि नहीं हुई है.

UP ATS ने दोनों को दिल्ली के जामिया नगर से किया था गिरफ्तार

बता दें कि यूपी एटीएस ने सोमवार को दिल्ली के जामिया नगर इलाके से मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को गिरफ्तार किया है. यह दोनों गरीब और अनपढ़ हिंदुओं को बरगलाकर और लालच देकर उनका धर्मांतरण करवाते थे. यूपी पुलिस के मुताबिक आरोपी सुनियोजित तरीके से एक हजार से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन करवा चुके हैं. इसके लिए उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से फंडिंग मिलने की भी बात कही जा रही है.

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