हमास की 500 किमी सुरंगें नष्ट करना चाहता है इसराइल

हमास की जिन सुरंगों को इसराइल तबाह करना चाहता है, उनकी पूरी कहानी
ग़ज़ा की सुरंग
इसराइल का कहना है कि वो ग़ज़ा में ज़मीन के नीचे बिछे सुरंगों के जाल को निशाना बना रहा है जिसे हमास ने तैयार किया है.

शनिवार को इसराइल पर हुए हमास के हमले के जवाब में इसराइल लगातार ग़ज़ा को निशाना बना रहा है. लेकिन अब उसका टारगेट वो सुरंगें हैं जिनका इस्तेमाल हमास करता है.

गुरुवार को इसराइल सेना के प्रवक्ता ने कहा था, “ग़ज़ा की ऊपरी परत पर आम लोग रहते हैं. वहीं, इससे नीचे एक दूसरी परत है जिसका इस्तेमाल हमास करता है. हम इस वक़्त उस दूसरी परत को निशाना बना रहे हैं जो ग़ज़ा में ज़मीन के नीचे है.”

इसराइली प्रवक्ता का कहना है, “ये आम लोगों के लिए बने कोई बंकर नहीं है. ये सिर्फ़ हमास और अन्य आतंकवादी संगठनों के लिए हैं ताकि वे इसराइली रॉकेटों से बचे रहें और अपने ऑपरेशन की योजना बनाते रहें ताकि इसराइल पर हमले जारी रहें.”

ग़ज़ा में सुरंगों के नेटवर्क के साइज़ का आकलन बहुत मुश्किल काम है. इसराइल हमास की इन सुरंगों को ग़ज़ा मेट्रो बोलता है. ऐसा माना जाता है कि ये सुरंगे सारे ग़ज़ा में अटी पड़ी हैं.

कितनी गहरी हैं ये सुरंगें
ग़ज़ा सुरंग
साल 2021 में हुए संघर्ष के बाद इसराइली सेना कहा था कि उन्होंने ग़ज़ा में 100 किलोमीटर लंबी टेड़ी-मेढ़ी सुरंगें नष्ट कर दी हैं.

लेकिन हमास ने दावा किया था कि उन्होंने ग़ज़ा में 500 किलोमीटर लंबी सुरंगें बनाई हैं और इसराइली हमले में सिर्फ़ 5 प्रतिशत सुरंगें ही तबाह हुई हैं.

ग़ज़ा सुरंग
इन आंकड़ों को ऐसे समझिए कि पूरे लंदन शहर में फैली अंडरग्राउंड मेट्रो सिर्फ़ 400 किलोमीटर है. और उसमें से भी अधिकतर ज़मीन के ऊपर है.

साल 2005 में ग़ज़ा से इसराइली सेना और यहूदी बाशिंदें पीछे हट गए थे. उसके बाद वहां सुरंगों का निर्माण शुरु हो गया था.

लेकिन दो साल बाद हमास के हाथ में ग़ज़ा का नियंत्रण आ गया और फिर सुरंगों के इस जाल में बेतहाशा इज़ाफ़ा होने लगा.

हमास के सत्ता में आते ही इसराइल और मिस्र ने अपनी बॉर्डर क्रॉसिंग्स पर सामान और लोगों की आवाजाही को सीमित कर दिया था.

इस क़दम से जवाब में हमास ने सुरंगों पर ध्यान देना शुरू किया.

ग़ज़ा में कब से चली आ रही हैं सुरंगे
मिस्र की सीमा के नीचे बनी सुरंग जहां से सामान लाया जाता है
मिस्र से सामान लाने के लिए बनाई गई सुरंग

एक ज़माने में मिस्र और ग़ज़ा की सरहद के नीचे लगभगग 2,500 सुरंगें थीं. इन सुरंगों के रास्ते मिस्र ने सामान, ईंधन और हथियार हमास और अन्य चरमपंथी संगठनों के पास पहुँचते थे.

लेकिन साल 2010 में इसराइल ने मिस्र की क्रॉसिंग पर लगी पाबंदियां कम कीं तो ये तस्करी भी कम होने लगी. इसराइल ने क्रॉसिंग के रास्ते आयात में ढील दी.

इसके बाद मिस्र ने सरहद की नीचे बिछी ये सुरंगें नष्ट कर दी.

बाद में हमास और अन्य संगठनों ने ग़ज़ा के भीतर सुरंगें खोदीं ताकि इसराइली सेना पर हमले किए जा सकें.

हमास के नेता ने दावा किया है कि उनके पास 500 किलोमीटर की सुरंगें हैं

साल 2006 में चरमपंथियों ने इसराइल की सरहद को पार करने वाली एक सुरंग के ज़रिए इसराइल के भीतर घुसकर दो सैनिकों को मार डाला था.

गिलाड शालित नाम के एक सैनिक को अग़वा कर लिया था और उसे पांच साल तक बंदी बना कर रखा गया.

साल 2013 में इसराइली सेना ने ग़ज़ा पट्टी से अपने एक गांव तक 18 मीटर गहरी और 1.6 किलोमीटर लंबी सुरंग खोजी थी.

उसके अगले साल इसराइल ने इन सुरंगों को ग़ज़ा में घुस कर नष्ट करने का अभियान चलाया था.

सेना ने तब 30 सुरंगें नष्ट की थी. लेकिन चरमपंथियों के हमसे में चार सैनिक भी मारे गए थे.

इसराइल की राइख़मेन यूनिवर्सिटी में पढ़ा रही  अंडरग्राउंड युद्धों की एक्सपर्ट डाफ़्ने रिशेमंड-बराक  कहती हैं कि,” क्रॉस बॉर्डर सुरंगें काफ़ी बेसिक सी होती हैं. उनमें कोई किलेबंदी नहीं होती. इनमें से अधिकतर सिर्फ़ एक बार इस्तेमाल के लिए खोदी जाती है. और मकसद होता है इसराइली सैनिकों पर हमला करना.”

“लेकिन ग़ज़ा के भीतर सुरंगों का उद्देश्य अलग है. हमास वहां लंबे समय तक रहना चाहता है. उनमें व्यवस्थाएं मौजूद रहती हैं ताकि वहां जीवन जिया जा सके.”

“वहां उनके नेता छिपे रहते हैं. उनका कमांड और कंट्रोल सिस्टम भी वहीं है. इन सुरंगों का इस्तेमाल ट्रांसपोर्ट के अलावा कम्यूनिकेशन को भी किया जाता है. इनमें बिजली, लाइट और रेल ट्रैक्स तक की सुविधा होती है. आप इनमें चल फिर सकते हैं.”

वे कहती हैं कि हमास ने सुरंगें खोदने में महारथ हासिल कर ली है. उन्होंने सीरिया में विद्रोही लड़ाकों से इस कला को सीखा है.

कहा जाता है कि ग़ज़ा में सुरंगें ज़मीन से 30 मीटर नीचे हैं. और उनमें घुसने को घरों के बेसमेंट से रास्ते जाते हैं.सुरंगों में मस्जिदों, स्कूलों और अन्य सार्वजनिक जगहों से भी प्रवेश किया जा सकता है.सुरंगों के इस नेटवर्क के निर्माण का खामियाजा स्थानीय लोगों ने भी भुगता है.

अंतरराष्ट्रीय मदद से बनाईं सुरंगें?

इसराइल का आरोप है कि हमास ने ग़ज़ा के लोगों की मदद को दी जाने वाली करोड़ों की अंतरराष्ट्रीय मदद का इस्तेमाल अपने फ़ायदे में किया है. संभव है कि शनिवार को हुए हमास के हमले में इन्हीं में से कुछ सुरंगों का इस्तेमाल किया गया होगा. ख़बरें है कि कफ़ार अज़ा में भी एक सुरंग निकली थी जहां दर्जनों इसराइल नागरिक मारे गए थे.

अगर इस बात की पुष्टि हुई तो ये सुरंग इसराइल के बनाए गए ज़मीन के नीचे सुरंग-रोधी डिटेक्शन सेंसर्स से भी गहरी होगी.

इसराइल ने ये डिटेक्शन सेंसर 2021 में बनाए थे.

इसराइल की सीमा

डॉक्टर रिशेमंड-बराक कहती हैं कि अगर ऐसा हुआ तो ये चौंकाने वाली बात होगी. लेकिन ये भी सच है कि कोई भी टनल डिटेक्शन सेंसर फुल-प्रूफ़ नहीं हो सकता.

वे कहती हैं, “कुछ ऐसी सुरंगें होंगी जहां आमलोगों की पहुँच नहीं होगी. इस अंडरग्राउंड नेटवर्क के कुछ हिस्सों के बारे में किसी को जानकारी नहीं है.”

सुरंगें नष्ट करने के क्रम में आम लोगों की जाने भीं जाएंगी. इनमें इसराइली सैनिक भी शामिल हो सकते हैं.

शनिवार को शुरू हुए इसराइली सेना के हवाई हमलों में अब तक 1500 फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं.

डॉक्टर रिशेमंड-बराक कहती हैं, “हमास लोगों को ढाल बनाने में निपुण है. जैसे ही उन्हें लगेगा कि हमला होने वाला है, वे जनता को ढाल बना लेंगे. इस कारण कई बार इसराइल को हमला रोकना पड़ा है.”

“इस बार हमास इसराइल और अमेरिकी होस्टेज को भी ढाल बना सकते हैं.”

ग़ज़ा की सुरंग में एक फ़लस्तीनी जन

साल 2021 में हुए संघर्ष के दौरान ग़ज़ा शहर में तीन रिहाइशी इमारतें इसराइली हमले में गिरी थीं और वहां 42 लोगों की जान गई थी.

तब इसराइली सेना ने कहा था कि उनके निशाने पर अंडरग्राउंड सुरंगें थीं.

सुरंगों के नेटवर्क की वजह से इसराइली सेना की तकनीक और ख़ुफ़िया तंत्र की मज़बूती भी कम हो जाएगी. शहरी युद्ध एक अलग ही चुनौती होता है.

डॉक्टर रिशेमंड-बराक, “हमास के पास इन सुरंगों के नेटवर्क में बारुद भरने का पूरा मौक़ा है. वे इसराइली सैनिकों को सुरंगों में घुसने देंगे और भी धमाका कर देंगे. इसकी संभावना है.”

“हमास अचानक हमला कर इसराइली सैनिकों को किडनैप भी सकते हैं.”

इसराइली वायु सेना सुरंगों की पहचान हो जाने की स्थिति में उन पर बमबारी कर सकती है. बंकर को उड़ाने वाले ये बम ज़मीन में गहराई तक चले जाते हैं.हालांकि, इससे कुछ निर्दोष लोग भी मारे जा सकते हैं.

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