गोमती किनारे टीले वाली मस्जिद में है मंदिर – मूर्तियां? सुनवाई तय

टीले वाली मस्जिद विवाद पर सुनवाई 12 अप्रैल को होगी:हिंदू पक्ष के वकील ने सर्वे कराए जाने की मांग की, लखनऊ में सिविल कोर्ट सुनाएगा ऑर्डर

गोमती नदी किनारे स्थित टीला वाली मस्जिद।
लखनऊ 4 अप्रैल।  लखनऊ में लक्ष्मण टीला स्थित मंदिर और मस्जिद मामले में सुनवाई के लिए 12 अप्रैल की तारीख लगाई गई है। लक्ष्मण टीले के लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर और टीले वाली मस्जिद के विवादित स्थल का सर्वे कराए जाने की मांग है। इसकी याचिका वकील वीके श्रीवास्तव की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में विवादित स्थल का सर्वे कमीशन सिविल कोर्ट के अमीन से कराने की मांग की गई है। लखनऊ में सिविल जज साउथ में अर्जी पर आज यानी मंगलवार को सुनवाई होनी थी, मगर वकीलों के वॉक आउट की वजह से सुनवाई नहीं हो सकी।

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का दाखिल होना है जवाब

वीके श्रीवास्तव की याचिका में विवादित स्थल का सर्वे कमीशन सिविल कोर्ट के अमीन से कराने की मांग है। कोर्ट में सुनवाई की गई तो उस समय सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से कोई भी कोर्ट में नहीं था। जबकि हिंदू पक्ष की ओर से राघवेंद्र हिंदू, अधिवक्ता शेखर निगम और प्रियंका राव उपस्थित रहे। वहीं सरकार के वकील को उनका पक्ष दाखिल करने के लिए अर्जी की कॉपी दी थी। आज सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का जवाब दाखिल हो सकता है।

क्या है पूरा विवाद?

याचिकाकर्ता का दावा है कि टीले वाली मस्जिद के अंदर लार्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर है, जिसे नष्ट किया जा रहा है। हिंदू पक्ष के मुताबिक, औरंगजेब ने अपने शासन के दौरान लक्ष्मण टीला पर स्थित मंदिर को तोड़ दिया था। मंदिर के आधे हिस्से की जमीन पर मस्जिद बना दी। दावा है कि इसकी बाउंड्री के बाहर अब भी शेषनाग पटल कूप, शेषनागेष्ट टीलेश्वर महादेव मंदिर और पुराने हिंदू मंदिर आज भी हैं। मस्जिद में स्थित भगवान की प्राचीन मूर्तियों को नष्ट किया जा रहा है। हिंदू पक्ष चाहता है कि इस मस्जिद का भी सर्वे किया जाए ताकि पूरी स्थिति साफ हो सके।

लखनऊ की टीले वाली मस्जिद का भगवान लक्ष्मण से कनेक्शन:खिलजी ने टीला तोड़ा, औरंगजेब ने मस्जिद बनवाई, अब लक्ष्मण की मूर्ति लगाने पर विवाद
10 महीने पहले लेखक: रक्षा सिंह

खिलजी ने टीला तोड़ा, औरंगजेब ने मस्जिद बनवाई, अब लक्ष्मण की मूर्ति लगाने पर विवाद|

लखनऊ के लाल पुल से सटी हुई गोमती नदी के ठीक किनारे एक टीले पर मस्जिद बनी हुई है। हिंदू महासभा ने इसे लक्ष्मण टीला बताने का दावा किया है। 2013 और 2018 में भी मस्जिद को लेकर याचिका दाखिल की गई। 31 मई को लखनऊ की जिला अदालत में इस पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। अब अगली सुनवाई 2 जुलाई को होगी। ये विवाद तो 9 साल पुराना है, लेकिन इसका इतिहास 1296 ई. से चला आ रहा है। चलिए एक-एक करके उससे गुजरते हैं।
इसके तीन हिस्से हैं। पहला, टीले वाली मस्जिद का इतिहास। दूसरा, मस्जिद का ढांचा और तीसरा, मस्जिद से जुड़े विवाद।

यहां पर लक्ष्मण टीला और टीले वाली मस्जिद का इतिहास पूरा होता है। आगे की बात मस्जिद के ढांचे और डिजाइन पर…


यहां पर इसकी बनावट की कहानी खत्म होती है। आगे बात टीले वाली मस्जिद से 10 साल पुराने विवाद की जिसका फैसला अब भी आना बाकी है…

सोर्स:
1. बीजेपी नेता लालजी टंडन की किताब ‘अनकहा लखनऊ’
2. MASR-UL-KARAM by Ghulam Ali Azad Bilgrami
3. 1877 में प्रॉविन्स ऑफ अवध आर्कियोलॉजिकल सर्वे
4. 1904 ग्रेटर ऑफ लखनऊ आर्कियोलॉजिकल सर्वे

ग्राफिक डिजाइनर: तरुण शर्मा

अयोध्या में ‘राम’, तो लखनऊ में ‘लक्ष्मण’ आए हैं… CM योगी ने किया मूर्ति का अनावरण, 18 फीट है ऊंचाई

लखनऊ के रास्ते अयोध्या जाने वाले श्रद्धालु पहले प्रभु राम के छोटे भाई लक्ष्मण के दर्शन करेंगे और फिर अयोध्या में प्रभु राम के। ये मूर्ति लखनऊ एयरपोर्ट के बाहर लगी है। ब्रॉन्ज से बनी ये मूर्ति 12 फिट की है जो छह फीट ऊंचे पेडस्टल पर लगाई गई है।

लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लक्ष्मण की मूर्ति का अनावरण किया है। अब जब आप लखनऊ जाएंगे तो लक्ष्मणजी की मूर्ति भी दिखेगी। लखनऊ के रास्ते अयोध्या जाने वाले श्रद्धालु पहले प्रभु राम के छोटे भाई लक्ष्मण के दर्शन करेंगे और फिर अयोध्या में प्रभु राम के। ये मूर्ति लखनऊ एयरपोर्ट के बाहर लगी है। ब्रॉन्ज से बनी ये मूर्ति 12 फिट की है जो छह फीट ऊंचे पेडस्टल पर लगाई गई है यानि जमीन से करीब 18 फिट ऊंची दिखाई देगी।

लक्ष्मण ने बसाया था लखनऊ

मान्यता है कि भगवान राम ने ये इलाका लक्ष्मण जी को उपहार में दिया था। लक्ष्मण ने ही लखनऊ बसाया था इसलिए पहले शहर का नाम लक्ष्मणपुर या लखनपुर था। मूर्ति में धनुष बाण के साथ लक्ष्मण रौद्र रूप में दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार ने बनाई है, इसे तैयार करने के लिए ब्रॉन्ज (कांस्य) का उपयोग किया गया है। प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार ने कई बड़े महापुरुषों की मूर्तियां बनाई हैं। उन्हें सबसे अधिक लोकप्रियता स्टैचू ऑफ यूनिटी से मिली जो कि विश्व की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है। राम सुतार 96 साल के हैं और लगभग 50 साल से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं।

लखनऊ की पहचान बदलेगी…वोट भी मिलेगा?

वहीं, आपको बता दें कि प्रतापगढ़ से भाजपा के सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी तीनों को खत लिखकर लखनऊ का नाम लखनपुर करने की मांग की। भाजपा सांसद के इस लेटर के बाद बहस छिड़ गई कि क्या लखनऊ का नाम लखनपुर किया जा सकता है? हालांकि, ये पहली बार नहीं है। बल्कि हर काल खंड में लखनऊ के नाम को बदलने को लेकर आवाज उठती रही है।

नाम बदलने पर फैसला अभी नहीं हुआ है लेकिन दोनों उपमुख्यमंत्री इस खत से अपनी सहमति रखते है। लेकिन सवाल यह है कि क्या अयोध्या में राम और लखनऊ में लक्ष्मण दोनों मिलकर 2024 के लिए भाजपा का माहौल बनाएंगे। क्या लखनऊ अब लखनपुर या लक्ष्मणपुरी कहा जाएगा और क्या अयोध्या में राम और लखनऊ में लक्ष्मण बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित होंगें?

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