IMA पासिंग आउट परेड: उत्तराखंड का कोई मुकाबला नहीं

Indian Military Academy: भारतीय सेना को मिले 341 युवा अधिकारी, 84 विदेशी कैडेट भी हुए पास आउट
आज भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में अंतिम पग भरते ही 341 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए।
आज भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में अंतिम पग भरते ही 341 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। इसके साथ ही 84 विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए। पश्चिमी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह ने परेड की सलामी ली।

देहरादून12 जून। भारत माता तेरी कसम तेरे रक्षक बनेंगे हम, आइएमए गीत पर कदमताल करते जेंटलमैन कैडेट ड्रिल स्क्वायर पर पहुंचे तो लगा कि विशाल सागर उमड़ आया है। एक साथ उठते कदम और गर्व से तने सीने दर्शक दीर्घा में बैठे हरेक उपस्थित जन के भीतर ऊर्जा का संचार कर रहे थे। आज भारतीय सैन्य अकादमी (आइएम ए) में अंतिम पग भरते ही 341 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। इसके साथ ही 84 विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए। पश्चिमी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह ने परेड की सलामी ली। हालांकि, देहरादून में खराब मौसम के कारण आइएमए पासिंग आउट परेड करीब दो घंटे देरी से शुरू हुई।

शनिवार सुबह 7 बजकर 57 मिनट पर मार्कर्स कॉल के साथ परेड का शुभारंभ हुआ। कंपनी सार्जेट मेजर जयदीप सिंह, शिवजीत सिंह संधु, पीडी शेरपा, राहुल थापा, सक्षम गोस्वामी व जीतेंद्र सिंह शेखावत ने ड्रिल स्क्वायर पर अपनी-अपनी जगह ली। 8 बजकर 01 मिनट पर एडवांस कॉल के साथ ही छाती ताने देश के भावी कर्णधार असीम हिम्मत और हौसले के साथ कदम बढ़ाते परेड के लिए पहुंचे। इसके बाद परेड कमांडर दीपक सिंह ने ड्रिल स्क्वायर पर जगह ली। कैडेट्स के शानदार मार्चपास्ट से दर्शक दीर्घा में बैठा हर एक उपस्थित जन मंत्रमुग्ध हो गया।

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कैडेटों को ओवरऑल बेस्ट परफॉर्मेंस व अन्य उत्कृष्ट सम्मान से सम्मानित किया ।मुकेश कुमार को स्वार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया, जबकि दीपक सिंह को स्वर्ण, मुकेश कुमार को रजत व लवनीत सिंह को कांस्य पदक मिला। दक्ष कुमार पंत ने सिल्वर मेडल (टीजी) हासिल किया। किन्ले नोरबू सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट चुने गए। चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ बैनर डोगराई कंपनी को मिला। इस दौरान आइएमए कमान्डेंट लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह,डिप्टी कमान्डेंट मेजर जनरल जगजीत सिंह मंगत समेत कई सैन्य अधिकारी मौजूद थे।

कोरोना का असर

कोरोना संकट के चलते पासिंग आउट परेड में तमाम स्तर पर एहतियात बरती गई। न केवल दर्शक दीर्घा बल्कि परेड के दौरान भी शारीरिक दूरी के नियमों का पूरा पालन किया गया। हरेक मार्चिंग दस्ते में सामान्य रूप से 10 कैडेट एक लाइन में होते हैं। पर इनकी संख्या आठ रखी गई। ताकि कैडेटों के बीच रहने वाली 0.5 मीटर की दूरी के बजाए दो मीटर की दूरी बनी रहे। इसके अलावा जेंटलमैन कैडेटों के साथ ही सभी सैन्य अधिकारी भी मास्क पहने रहे।

वीरभूमि उत्तराखंड का नहीं कोई मुकाबला, जानिए किस राज्य से कितने कैडेट।

बात जब भी देश के सीमा सुरक्षा की होती है तो इसमें उत्तराखंड का नाम सबसे पहले आता है। मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करना देवभूमि की पुरानी परंपरा रही है। सेना में सिपाही हो या फिर अधिकारी उत्तराखंड का दबदबा कायम है। मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करना देवभूमि की पुरानी परंपरा रही है। सेना में सिपाही हो या फिर अधिकारी, उत्तराखंड का दबदबा कायम है। भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर पास आउट होने वाले जेंटलमैन कैडेट की संख्या भी इस सच्चाई की पुष्टि करते है। जनसंख्या घनत्व के हिसाब से देखें तो उत्तराखंड देश को सबसे अधिक जांबाज देने वाले राज्यों में  है। दशकों पूर्व से ही यह परंपरा निरंतर चली आ रही है।

इस बात में भी कोई अतिश्योक्ति नहीं कि उत्तराखंडी युवाओं में देशभक्ति भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। सैन्य अकादमी में साल में दो बार यानी जून और दिसंबर में आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड में इसकी झलक देखने को मिलती है। पिछले एक दशक के दौरान शायद ही ऐसी कोई पासिंग आउट परेड हो, जिसमें कदमताल करने वाले युवाओं में उत्तराखंडियों की संख्या अधिक न रही हो। यहां यह बात गौर करने वाली है कि राज्य की जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या का कुल 0.84 प्रतिशत है। यदि इसकी तुलना सैन्य अकादमी से शनिवार को पासआउट 341 भारतीय कैडेटों से करें तो इसमें राज्य के सहयोग का स्तर 37 कैडेटों के साथ करीब 11 % है। इस मुकाबले अधिक जनसंख्या वाले राज्य भी उत्तराखंड के सामने कहीं ठहरते नहीं हैं।

पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के कैडेटों की संख्या भले ही सबसे अधिक 66 है, मगर इसकी तुलना वहां की आबादी के हिसाब से करें तो भारतीय सेना को जांबाज देने में अपना उत्तराखंड ही अव्वल नजर आता है, क्योंकि उप्र की आबादी का प्रतिशत देश की कुल आबादी का 16 फीसद है, जो उत्तराखंड से कई गुणा अधिक है। बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र जैसे राज्य भी संख्या बल (पासिंग आउट कैडेट) में उत्तराखंड से पीछे हैं। सेना को अफसर देने के मामले में पंजाब व हरियाणा का भी दबदबा बना हुआ है।

कहां के कितने कैडेट

उत्तर प्रदेश-66

हरियाणा-38

उत्तराखंड-37

पंजाब-32

बिहार-29

दिल्ली-18

जम्मू-कश्मीर-18

महाराष्ट्र-16

हिमाचल प्रदेश-16

राजस्थान-16

मध्य प्रदेश-14

बंगाल-10

केरल-07

झारखंड-05

मणिपुर-05

तेलांगना-02

-दो नेपाली मूल के गोरखा।

-असम, चंडीगढ़, गुजरात, गोवा, कर्नाटक, लद्दाख, ओडिसा, तमिलनाडु और त्रिपुरा के एक-एक कैडट

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