आईआईटी रुड़की ने विकसित किए सस्ते, अधिक ताकतवर सोलर सेल

आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने अधिक कारगर और किफ़ायती सोलर सेल विकसित किए
 संस्थान में विकसित पेरोवस्काइट सोलर सेल में 17.05 प्रतिशत पावर कन्वर्जन की क्षमता
 सोलर सेल में बेजोड़ ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक गुण, संरचनात्मक विविधता और किसी भी परिवेश में अच्छी स्थिरता दिखी

रुड़की, 20 दिसंबर 2022: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) के शोधकर्ता उच्च गुणवत्ता के पेरोवस्काइट सोलर सेल विकसित करने में सफल रहे हैं। यह शोध भौतिकी विभाग के प्रोफेसर सौमित्र सतपथी के मार्गदर्शन में किया गया है।
इस प्रोटोटाइप में 17.05 प्रतिशत पावर कन्वर्जन की क्षमता देखी गई जो क्वाजी दो आयामी (2डी) पेरोवस्काइट के लिए दर्ज सर्वाधिक पीसीई में से एक है। संशोधित पेरोवस्काइट सोलर सेल के कई लाभ हैं जैसे वांछित फेज डिस्ट्रिब्यूशन, ग्रेन साइज का बड़ा आकार और बेहतर क्रिस्टल बनना। शोध के परिणामस्वरूप नए अवसर मिलेंगे और अधिक कारगर पेरोवस्काइट सोलर सेल बनेंगे जो लंबी अवधि तक काम करेंगे।
अक्षय ऊर्जा के सभी स्रोतों में सौर ऊर्जा सभी अधिक सस्टेनेबल माना जाता है क्योंकि यह पृथ्वी पर पर्याप्त मात्रा में मिलती है। और ठीक एक दशक पहले पेरोवस्काइट सोलर सेल्स नेक्स्ट जेनरेशन फोटोवोल्टिक टेक्नोलॉजी के रूप में स्थापित हुई क्योंकि इसमें सिलिकॉन सोलर सेल्स की तुलना में पीसीई अधिक है; यह सस्ती है और इसकी निर्माण प्रक्रिया भी आसान है। ये संभावनाएं देखते हुए उच्च गुणवत्ता के पेरोवस्काइट सोलर सेल बनाने की कई पद्धतियां और प्रक्रियाएं विकसित की गई हैं।
क्वाजी-2 डी लेयर के पेरोवस्काइट में असाधारण ऑप्टो इलेक्ट्रोनिक गुण, संरचनात्मक विविधता और किसी परिवेश में बेजोड़ स्थिरता होने के चलते इसमें काफी दिलचस्पी बढ़ी है। ये एडिटिटिव्स पेरोवस्काइट ग्रोथ काइनेटिक्स पर कारगर नियंत्रित कर सकते हैं और त्रुटि दूर करने में पैसिवेटिंग एजेंट की भूमिका सफलतापूर्वक निभा सकते हैं। इसलिए प्रोफेसर सतपथी और सुश्री युक्ता, रिसर्च स्कॉलर, आईआईटी रुड़की समेत उनकी टीम कम लागत पर और अधिक कुशलता के साथ पेरोवस्काइट सोलर सेल विकसित करने के लक्ष्य से इस शोध के लिए प्रेरित है।
शोध परिणाम का आलेख एक जर्नल एसीएस एप्लाइड एनर्जी मैटेरियल्स(डीओआई https://pubs.acs.org/doi/ 10.1021/acsaem.2c02398) में प्रकाशित है।
आईआईटी रुड़की के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर सौमित्र सतपथी ने पेरोवस्काइट सोलर सेल के महत्व और इसके भविष्य के बारे में बात करते हुए कहा,“पेरोवस्काइट सोलर सेल ने अपेक्षाकृत अधिक पावर कन्वर्ज़न क्षमता का प्रदर्शन किया है। इनमें उच्च प्रदर्शन की क्षमता भी है लेकिन इनकी स्थिरता प्रमुख विकल्पों की तुलना में सीमित है। हमारा मुख्य उद्देश्य पेरोवस्काइट सोलर सेल में अनुकूल सक्षमता प्राप्त करना और लागत भी यथासंभव कम करना है।
प्रोफेसर सौमित्र सतपथी ने इस सिलसिले में बताया,‘हम ने कम लागत पर पेरोवस्काइट सोलर सेल विकसित हैं और ये सिलिकॉन सोलर सेल के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। यह पहला प्रोटोटाइप सोलर सेल है जिसका आईआईटी रुड़की में विशेष रूप से विकास किया गया है।’’
प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी,डीन,स्पॉन्सर्ड रिसर्च एवं इंडस्ट्रियल कंसल्टेंसी,आईआईटी रुड़की ने अत्याधुनिक क्षेत्रों में आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं के टेक्नोलॉजी विकसित किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि पीएससी का वर्तमान बाजार 1 बिलियन यूएसडी से कम का है जो 2030 तक बढ़कर 7 बिलियन यूएसडी से अधिक होने की उम्मीद है। प्रोफेसर सतपथी के इस काम से उद्योग के विकास में मदद मिलेगी।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के.के. पंत ने कहा, ‘‘पूरी दुनिया में कार्बन-न्यूट्रल अर्थव्यवस्था में कदम रखने की मांग बढ़ रही है। पिछले दशक में पेरोवस्काइट सोलर सेल (पीएससी) अधिक संभावना के साथ-साथ कम लागत की फोटोवोल्टिक टेक्नोलॉजी बन कर उभरी है। आईआईटी रुड़की में विकसित पीएससी कारगर और स्टेबल सोलर सेल विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’
प्रोफेसर पंत ने कहा कि इस टेक्नोलॉजी के विकास से भारत अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अधिक आत्मनिर्भर बनेगा। उन्होंने बताया कि संस्थान ऐसी टेक्नोलॉजी के विकास को बढ़ावा देता है, जो न केवल व्यावसायिक रूप से सक्षम हो बल्कि देश की प्राथमिक जरूरतें पूरी करने में भी मदद करे।

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