चीनी सैन्य सैटेलाइट नेटवर्क से पाक ने बनाया था ‘किल चेन’, भारतीय विमान कैसे गिरा, गलती कैसे सुधार रहा भारत?

How Chinese Pla Satellite Network Helped Pakistan To Create Kill Chain To Shoot Down Indian Fighter Jet
चीनी सैन्य सैटेलाइट नेटवर्क से पाकिस्तान ने बनाया था ‘किल चेन’, भारतीय विमान कैसे गिरा, गलती कैसे सुधार रहा भारत?
भारत ने साल 2019 में रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी की स्थापना की, जिसे पूर्ण विकसित अंतरिक्ष कमान के रूप में विकसित किया जाना है। भारतीय वायुसेना ने निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के साथ अगले सात से आठ वर्षों के भीतर 100 से ज्यादा बड़े और छोटे सैन्य उपग्रह लॉन्च करने का प्लान तैयार किया है।

बीजिंग/इस्लामाबाद/नई दिल्ली 08 जून 2025 : ऑपरेशन सिंदूर में भारत के खिलाफ सैन्य हमले में चीन की सैन्य सैटेलाइट ने पाकिस्तान को मदद दी थी। हालांकि भारत ने तमाम हमले विफल  कर दिये थे, फिर भी भारत में इस बात की चर्चा कम हुई है कि चीनी खुफिया, निगरानी और टोही (ISR) सैटेलाइट ने कैसे पाकिस्तान की मदद की और कैसे भारत ने स्पेस में अपनी सैन्य और नागरिक प्रॉपर्टी से इसका मुकाबला किया था। लेकिन अब भविष्य की तैयारियों में भारत ने अगले 5 सालों में 52 सैटेलाइट का एक नेटवर्क बनाने का फैसला किया है, ताकि भारत की जासूसी क्षमता नेक्स्ट लेवल पर ले जाई जा सके। हालांकि थोड़ी दिक्कतें आईं हैं, क्योंकि भारत का NVS-02 सैटेलाइट अपनी तय कक्षा में स्थापित नहीं हो पाया, क्योंकि सैटेलाइट के ऑनबोर्ड थ्रस्टर्स में खराबी आ गई थी।
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चीनी सेना के सैटेलाइट ने पाकिस्तान को की थी हमले में मदद 

भारत ने इस साल 29 जनवरी को अपना GSLV-Mk 2 रॉकेट लॉन्च किया था और यह मिशन श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से ISRO का 100वां प्रक्षेपण था। NVS-02 सैटेलाइट, भारत के नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) सिस्टम का एक महत्वपूर्ण कंपोनेंट है, जो पूरे भारत में सटीक स्थिति निर्धारण सेवाएं देगा और इसकी सीमाओं से 1500 किलोमीटर आगे तक विस्तार करेगा। यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार मामले से परिचित एक सूत्र ने भारत पाकिस्तान संघर्ष में चीनी सैटेलाइट की मदद पर कहा कि “”हमने सभी संसाधन (नागरिक और सैन्य अंतरिक्ष संपत्ति) खींचकर सशस्त्र बलों को दे दिये। हम हर समय एक-दूसरे को देख रहे थे। हमारे बीच कमियां जरूर थीं, लेकिन हम बहुत बेहतर थे।”

कमियां दूर करने क्या कर रहा भारत?
भारतीय सूत्र ने स्वीकार किया कि भारत की अंतरिक्ष  सर्विलांस क्षमतायें चीन की तुलना में अपर्याप्त हैं। दरअसल, भारत ने स्वीकार किया है कि ऑपरेशन सिंदूर में, सूत्रों के मुताबिक भारत का एक विमान गिरा। हालांकि सेना ने बताया नही है कि भारत का कौन सा विमान गिरा है, लेकिन भारत ने गलती से सबक सीखते हुए भविष्य की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यूरेशियन टाइम्स के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान को अपनी सैटेलाइट से किल चेन नेटवर्क बनाने में मदद की थी। भारतीय अधिकारी ने स्वीकार किया है कि अंतरिक्ष संपत्तियों के मामले में चीन, भारत से काफी आगे है। अधिकारी के मुताबिक, “भारत के मुकाबले चीन के पास 5 से 5 गुना ज्यादा अंतरिक्ष संपत्तियां हैं। चीन के पास 7 जियो-स्टेशनरी सैटेलाइट हैं और वो हर समय देखते रहते हैं। हालांकि उनका रिजॉल्यूशन कम है, फिर भी वो उनकी समुद्री सुरक्षा को काफी महत्वपूर्ण हैं।”

दरअसल चीन ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स का एक बेहतरीन जाल नेटवर्क तैयार किया हुआ है जिनमें लो-ऑर्बिट सैटेलाइट से लेकर ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन शामिल हैं और इनसे चीन ने एक लचीला नेटवर्क तैयार किया हुआ है। भारतीय अधिकारी ने कहा कि “चीन के साथ दिक्कत ये है कि उनके सैटेलाइट में बैंडविड्थ, ड्यूटी साइकिल और ऑर्बिट कन्फ्युगरेशन की सीमाएं हैं। जिससे चीन, पाकिस्तान को एस-400 लॉन्ग रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम जैसी प्रमुख भारतीय संपत्तियों को ट्रैक करने में विफल रहा।

चीन ने अंतरिक्ष में कैसे सैटेलाइट जाल बनाया है?
कीप ट्रैक की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने लोअर ऑर्बिट और स्पेस में अलग अलग प्वाइंट्स पर करीब 5 हजार 330 सैटेलाइट्स का एक नेटवर्क तैयार कर लिया है। जबकि अमेरिका के पास ऐसे सैटेलाइट्स की संख्या 11 हजार 655 है और वो सबसे आगे हैं। इसके अलावा रूस के पास 7 हजार 187 सैटेलाइट का नेटवर्क है। इसमें कॉमर्शियल सैटेलाइट, वैज्ञानिक, सैन्य और संयुक्त अंतरराष्ट्रीय सैटेलाइट भी शामिल हैं। जबकि भारत के पास सिर्फ 218 सैटेलाइट हैं। चीन की Yaogan सीरिज के सैटेलाइट, खासकर Yaogan-33, 34, और 39 को हाई-रिजॉल्यूशन इमेजिंग, सिग्नल इंटेलिजेंस और रडार से डेटा प्राप्त करने के लिए लॉन्च किया गया है। ये सैटेलाइट्स लो ऑर्बिट (LEO) से ऑपरेट होते हैं और वास्तविक समय में युद्धक्षेत्र की तस्वीरें, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस और मिसाइल मूवमेंट का डेटा जमा कर सकते हैं। पश्चिमी देशों का मानना है कि चीनी सैटेलाइट नेटवर्क इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सड़क पर चलती कार को भी देख सकता है।

माना जा रहा है कि चीन ने पाकिस्तान को अपने इस नेटवर्क से मदद दी है और संघर्ष विराम के बाद जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार चीन गये थे तो चीन की सेना ने इस नेटवर्क सिस्टम का पूरे पाकिस्तान में विस्तार करने के लिए समझौता कर लिया। संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को भारतीय सेना की तैनाती, मूवमेंट की रीयल टाइम जानकारी, एयरबेस की लोकेशन, स्ट्राइक प्वाइंट्स की जियो-लोकेशन और भारतीय राडार नेटवर्क की स्थिति की सटीक जानकारी दे रहा था।

स्पेस में सैन्य क्षमता का विस्तार कैसे कर रहा भारत?
भारत ने साल 2019 में जाकर रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी की स्थापना की, जिसे पूर्ण विकसित अंतरिक्ष कमान के रूप में विकसित किया जाना है। भारतीय वायुसेना ने निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के साथ अगले सात से आठ वर्षों के भीतर भारत के पास 100 से ज्यादा बड़े और छोटे सैन्य उपग्रह लॉन्च करने का प्लान तैयार किया है। भारतीय वायुसेना ने कौटिल्य (स्वदेशी रूप से विकसित इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम) का नेटवर्क तैयार करना शुरू किया है। DRDO की कौटिल्य प्रोजेक्ट ने भारत की अंतरिक्ष निगरानी क्षमता में इजाफा किया है। इसके अलावा भारत के प्रमुख खुफिया जानकारी जुटाने वाले उपग्रह EMISAT ने तिब्बत में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की स्थिति पर नजर रखनी शुरू कर दी है और ये सब काम पिछले कुछ सालों में ही हुए हैं। भारत ने 2019 में ELINT सैटेलाइट लॉन्च किया था, जो अरूणाचल प्रदेश के पास तिब्बत में चीनी सेना की हरकतों पर नजर रखता है। इसके अलावा ISRO ने पिछले कुछ सालों में अमेरिका, लिथुआनिया, स्पेन और स्विटजरलैंड से EMISAT सहित 29 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं। यह पहली बार था जब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इन उपग्रहों को तीन अलग-अलग कक्षाओं में प्रक्षेपित किया है।

भारत ने कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन चीन की शक्ति को देखते हुए ये कदम काफी छोटे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जैसे अमेरिका के पास यूएस स्पेस फोर्स और चीन के पास स्पेस के लिए अलग सैन्य एजेंसी है, उसी तरह से भारत को भी स्पेस को लेकर अलग से सैन्य एजेंसी का निर्माण करनी चाहिए। इसके लिए अलग से बजट देना चाहिए। भारत-पाकिस्तान संघर्ष में चीन ने जिस तरह से पाकिस्तान को टेक्नोलॉजी में मदद दी है, वो भारत के लिए चेतावनी है, कि अगर हम जल्द ही अपने अंतरिक्ष सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए काम नहीं करेंगे, तो हम रणनीतिक रूप से कमजोर हो सकते हैं। आज के युद्ध सिर्फ मिसाइलों और टैंकों से नहीं जीते जाते, बल्कि उपग्रहों की आंखों और डेटा की बुद्धि से तय होते हैं कि कौन विजेता होगा और कौन हारेगा।
@अभिजात शेखर आजाद

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