इतिहास:जब रामलला को डीएम टकराये नेहरू से

*रामलला और गुलाब चच्चा*🌹🤔

*1949 में अयोध्या के ज़िला मजिस्ट्रेट के के नायर के नेहरू की हिन्दू विरोधी नीतियों के निडर विरोध की गाथा सुन कर आपकी आँखें भर 😢 आएगी ।*

*अयोध्या में हमें श्रीराम की भूमि दिलाने वाले नायक ICS/ IAS के.के.नायर, का जन्म 7 सितंबर 1907 को केरल में हुआ था। भारत की आजादी से पहले, वह इंग्लैंड गए और 21 साल की उम्र में बैरिस्टर बन गए और फिर आईसीएस परीक्षा में सफल हुए।1 जून 1949 को उन्हें फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट तैनात किया गया था।*

*रामलला की प्रतिमा को अचानक अयोध्या मंदिर में रखे जाने की शिकायत के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने राज्य सरकार को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। राज्य के मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत ने ज़िला मजिस्ट्रेट के.के.नायर से पूछताछ करने का अनुरोध किया।*

*के के नायर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हिंदू अयोध्या को भगवान राम (राम लला) के जन्मस्थान के रूप में पूजते हैं। लेकिन मुसलमान वहां मस्जिद होने का दावा करके समस्याएँ पैदा कर रहे थे। उन्होंने सुझाव दिया कि वहां एक बड़ा मंदिर बनाया जाना चाहिए। उनकी रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार को इसके लिए ज़मीन आवंटित करनी चाहिए। ज़िला मजिस्ट्रेट नायर में मुसलमानों को मंदिर के 500 मीटर के दायरे में जाने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया. (गौरतलब है कि आज तक न तो सरकार और न ही कोर्ट इस प्रतिबंध को हटा पाई है)।*

*यह सुनकर नेहरू क्रोधित हो गये। वह चाहते थे कि राज्य सरकार इलाके से हिंदुओं को तत्काल बाहर निकाल रामलला को हटाने का आदेश दे। मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत ने ज़िला प्रशासन को तुरंत हिंदुओं को बाहर निकाल रामलला की मूर्ति हटाने का आदेश दिया। लेकिन नायर ने आदेश लागू करने से इनकार कर दिया। उल्टे, उन्होंने एक और आदेश जारी किया कि प्रतिदिन रामलला की पूजा की जाए। आदेश में यह भी कहा गया कि सरकार को पूजा का खर्च और पूजा कराने वाले पुजारी का वेतन वहन करना चाहिए।*

*इस आदेश से घबराकर नेहरू ने तुरंत नायर को नौकरी से हटाने का आदेश दे दिया। बर्खास्त किये जाने पर नायर इलाहाबाद अदालत में गये और स्वयं नेहरू के विरुद्ध सफलतापूर्वक बहस की।कोर्ट ने आदेश दिया कि नायर को बहाल किया जाए और उसी स्थान पर काम करने दिया जाए। कोर्ट के आदेश ने जैसे नेहरू के चेहरे पर कालिख पोत दी। यह आदेश सुनकर अयोध्यावासियों ने नायर से चुनाव लड़ने का आग्रह किया।*

*लेकिन नायर ने बताया कि एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते वह चुनाव में खड़े नहीं हो सकते। अयोध्यावासी चाहते थे कि नायर की पत्नी चुनाव लड़े। जनता के अनुरोध को स्वीकार करते हुए श्रीमती शकुन्तला नायर उत्तर प्रदेश के प्रथम विधान सभा चुनाव के दौरान अयोध्या में प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरीं। उस समय पूरे देश में कांग्रेस के उम्मीदवारों की जीत हुई थी। अकेले अयोध्या में, नायर की पत्नी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस उम्मीदवार कई हजार के अंतर से हार गए। श्रीमती शकुंतला नायर 1952 में जनसंघ में शामिल हुईं और संगठन का विकास करना शुरू किया।*

*इस फ़ैसले से हैरान नेहरू ने नायर पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। नायर ने नेहरू के अनैतिक हथकंडों से परेशान होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में काम करना शुरू कर दिया।*

*वर्ष 1962 में जब संसद के चुनावों की घोषणा हुई तो लोग नायर और उनकी पत्नी को चुनाव लड़ने को मनाने में सफल रहे। वे चाहते थे कि वे नेहरू के सामने अयोध्या के बारे में बोलें। जनता ने नायर दंपत्ति को बहराइच और कैसरगंज दोनों सीटों पर जिता कर सांसद बनवाया और एक सुखद आश्चर्य के रूप में, उनके ड्राइवर भी फैसलाबाद से विधायक चुने गये थे।*

*बाद में, इंदिरा शासन ने देश में आपातकाल लागू कर दिया और दंपति को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया 😢। लेकिन उनकी गिरफ़्तारी से अयोध्या में भारी हंगामा हुआ और डरी हुई सरकार ने उन्हें जेल से रिहा कर दिया। दंपति अयोध्या लौट आए और अपना सार्वजनिक कार्य जारी रखा। आजतक हिंदू विरोधी तत्व नायर के जारी आदेश बदल नहीं पाए हैं। नायर के जारी आदेश के आधार पर पूजा और रामलला के दर्शन अब भी जारी हैं.*

*आपातकाल की गिरफ़्तारी में नायर का 7 सितंबर 1977 को केरल में निधन हो गया। उनकी मृत्यु की खबर सुनने के बाद अयोध्या के निवासियों ने आँसू बहाये। उनकी अस्थियां लेने एक समूह केरल गया। अस्थियों का बड़े आदर के साथ स्वागत किया गया। उन्हें एक सुसज्जित रथ में ले जाया गया और अयोध्या के पास सरयू नदी में विसर्जित कर दिया गया।*

*नायर के प्रयासों के कारण ही हम अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि पर पूजा कर पाये। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अयोध्या के लोग उन्हें एक दिव्य व्यक्ति मानते हैं। यदि नायर न होते तो क्या आज राम का जन्मस्थान हमारे पास होता? यह एक प्रश्न चिन्ह है! विश्व हिंदू परिषद ने उनके पैतृक गांव में जमीन खरीद उनके लिए एक स्मारक बनाया है। उल्लेखनीय है कि के.के. नायर के नाम से शुरू किया गया ट्रस्ट सिविल सेवा परीक्षा में बैठने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति और प्रशिक्षण देता है।*

*आज सब प्रयास करे कि हमें श्री राम की जन्मभूमि देने वाले श्री के.के.नायर की महिमा चारों और जोरों से गूंजे।*

*https://hindi.news18.com/amp/news/delhi-ncr/ayodhya-verdict-soon-role-of-kk-nayar-dm-of-1949-ram-mandir-babri-masjid-dispute-supreme-court-jawahar-lal-nehru-dlop-2587531.html*

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *