गोपेश्वर: सुरंग में जीवन बचाने युद्धस्तरीय उद्यम , अब ड्रिल कर प्रवेश की कोशिश

उत्तराखंड मुख्यमंत्री से मिले उत्तर प्रदेश के तीन मंत्री, 74 लापता लोगों की दी जानकारी

सोमवार को चमोली जिला प्रशासन ने आपदा में लापता हुए 94 लोगों की सूची जारी की थी, जिसमें 35 यूपी के है. वहीं यूपी के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को 74 लोग की लिस्ट दी है, जो चमोली आपदा में लापता हैं.

देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ में आई आपदा के बाद पिछले तीन दिनों से लगातार राहत और बचाव कार्य जारी है. जोशीमठ में चल रहे राहत बचाव कार्य की जानकारी लेने को लेकर उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, राज्यमंत्री डॉ धर्म सिंह सैनी और विजय कश्यप ने सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की. इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने राज्य सरकार को चमोली के रैणी क्षेत्र में आयी आपदा में लापता उत्तर प्रदेश के लोगों की सूची भी सौंपी. सोमवार को चमोली जिला प्रशासन ने जोशीमठ आपदा में लापता हुए 94 लोगों की सूची जारी की थी, जिसमें से 35 उत्तर प्रदेश के हैं..

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हुई बैठक में यह भी तय किया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री अब हरिद्वार में ही कैंप करेंगे. वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तराखंड सरकार के साथ खड़ी है. उन्होंने उत्तराखंड सरकार को हर संभव मदद को भरोसा दिया है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के रहने वाले मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी उत्तर प्रदेश सरकार देगी.

वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र राणा के साथ दो राज्य मंत्री मुलाकात करने आए थे.  कैबिनेट मंत्री डॉ धर्मसिंह सैनी के अनुसार उत्तर प्रदेश के 74 लोग लापता हैं. इसी संबंध में वो जानकारी लेने आए थे. उत्तर प्रदेश सरकार ने हरिद्वार में एक सेंटर भी खोला है, जहां पर आपदा में लापता लोगों के परिजन जानकारी ले सकते हैं।उन्होंने जोशीमठ क्षेत्र के रैणी क्षेत्र में आयी आपदा से सम्बन्धित बचाव एवं राहत कार्यों के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री से चर्चा की।

कैबिनेट मंत्री श्री सुरेश राणा ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि उत्तर.प्रदेश. के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आपदा पीड़ितों की सहायता के लिये हरिद्वार में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। वहां पर ए.डी.एम स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। कैबिनेट मंत्री ने मुख्यमंत्री को यह भी अवगत कराया कि मुख्यमंत्री श्री योगी ने उत्तराखण्ड सरकार को इस आपदा के संकट पर सहयोग देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के काफी संख्या में लोग इस क्षेत्र की विद्युत परियोजनाओं में कार्यरत रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी जिलाधिकारियों को अपने जनपद से इस परियोजना में कार्यरत लोगो की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही उत्तर प्रदेश के लापता लोगों की सूची एवं फोटो राज्य सरकार को प्रेषित कर दी जायेगी।
मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी का आभार जताते हुए कहा कि इस आपदा में फंस लोगों को राहत पहुचाने के लिये सभी एजेन्सियों का सराहनीय सहयोग मिल रहा है। उन्होंने बताया कि रैणी से लेकर नदी तटों के सभी स्थलों पर भी व्यापक खोजबीन की जा रही है ताकि लापता लोगों का पता लग सके।
उन्होंने कहा कि इस आपदा में हमें केदारनाथ के अनुभवों का भी लाभ मिल रहा है, यदि लोगो की पहचान हो सके तो ठीक है नही तो उनके डीएनए की जांच कर रिकार्ड सुरक्षित रखने के प्रयास किये जा रहे हैं।

तपोवन सुरंग में जिंदगी बचाने की जंग जारी, नये प्लान पर काम कर रहीं एजेंसियां

तपोवन सुरंग में तीन दिन से मलबा हटाने का काम बिना रुके जारी है. बचाव के लिए दूसरा तरीका भी अपनाया जा रहा है. सुरंग के दूसरी तरफ से ड्रिल करके अंदर पहुंचने की कोशिश की जा रही है

चमोली में ग्लेशियर टूटने से आई तबाही के बाद अब पूरा फोकस राहत-बचाव के काम पर है. सबसे बड़ी मुश्किल तपोवन की टनल में आ रही है, जहां करीब 35 लोगों के फंसे होने की आशंका है. सुरंग कीचड़ से भरी हुई है, ऐसे में अंदर जाने में काफी मुश्किलें हैं. लेकिन रेस्क्यू करने वाली टीम अभी भी मिशन में जुटी हैं.

तपोवन टनल में नये प्लान पर हो रहा काम.

लगातार तीन दिनों से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, सेना और स्थानीय प्रशासन रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर चला रहा है. एनडीआरएफ के साथ-साथ दूसरी एजेंसियां इस कोशिश में लगीं हैं कि किसी तरह उस छोर तक पहुंचा जाए, जहां करीब 35 लोगों के फंसे होने की संभावना जताई जा रही है.

टनल में राहत बचाव कार्य में जुटे विद्या दत्त ने बताया कि टनल के अंदर बड़ी-बड़ी मशीनों के अलावा एक स्कॉर्पियो गाड़ी, एक बड़ा लोडर, एक जेसीबी के साथ-साथ दो अन्य गाड़ियां भी मौजूद हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन को मॉनिटर करने के लिए दो बड़े अधिकारी खुद टनल के अंदर मौजूद हैं. विद्या दत्त ने बताया कि अभी टनल के अंदर मलबे के बाद पानी भी हो सकता है, लिहाजा सावधानी के साथ मलबे को बाहर निकाला जा रहा है.

तपोवन टनल में रेस्क्यू काम में जुटे लोगों का कहना है कि सुरंग के अंदर भारी कीचड़, गाद और बोल्डर की वजह से राहत बचाव कार्य में समय लग रहा है. राहत बचाव कार्यों में जुटीं एजेंसियों ने तीन दिन में लगभग 100 मीटर तक मलबा साफ किया है. ऐसे में 3 या 4 दिन और लग सकते हैं. विद्या दत्त का कहना है कि पीछे से आ रही 1.7 किमी लंबी टनल में भी पानी और मलबा आया होगा. लिहाजा एंट्री प्वॉइंट्स के साथ-साथ दूसरे हिस्सों को भी नुकसान पहुंचा होगा.

चमोली आपदा: बागेश्वर के रहने वाले इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर का शव बरामद, इलाके में शोक की लहर

बागेश्वर के रहने वाले इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर की ऋषि गंगा प्रोजेक्ट में मौत हो गई.

रविवार को चमोली जिले के तपोवन के पास रैणी गांव में हिमस्खलन के बाद आए जलजले की तस्वीरों ने हर किसी को झकझोर दिया. घटना के तीसरे दिन भी राहत बचाव कार्य लगातार जारी है. इसी रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच बागेश्वर जिले के लिए बड़ी मनहूस भरी खबर सामने आई है. ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट में बतौर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के पद पर कार्य करने वाले बागेश्वर जिले के एक युवक की मौत की खबर से जिले में शोक की लहर है.

बताया जा रहा है कि बागेश्वर के भतौड़ा निवासी 28 वर्षीय दीपक कुमार रविवार को हिमस्खलन के बाद ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट से लापता हो गए थे. मंगलवार को पुलिस आईटीबीपी के रेस्क्यू अभियान के दौरान एक शव मिला. घटनास्थल पर पहुंचे उनके बड़े भाई अरुण कुमार ने शव की पहचान की. पिछले एक साल से दीपक ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट में बतौर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में कार्य कर रहा था. 7 फरवरी की सुबह दीपक ने अपने परिजनों से बात की थी.

ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद परिजनों ने जब दीपक से संपर्क साधने की कोशिश की तो उसका फोन नहीं लगा. जिसके बाद किसी अनहोनी की आशंका को देखते हुए सोमवार को दीपक के बड़े भाई अरुण कुमार सीधे घटनास्थल की तरफ रवाना हुए. जहां आज उन्हें दीपक की मौत की खबर मिली. दीपक तीन भाइयों में दूसरे नंबर का है. दीपक का बड़ा भाई प्रधान और छोटा भाई रोहित व्यापार करता है।

तपोवन टनल में ऑपरेशन जिंदगी जारी, जानें रेस्क्यू अभियान की चुनौतियां

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से आई तबाही के बाद कई बल रात-दिन 24 घंटे सीमलैस बचाव अभियान के काम पर है. सबसे बड़ी मुश्किल तपोवन की टनल में आ रही है. यहां करीब 35 लोगों के फंसे होने की आशंका है. सुरंग कीचड़ से भरी हुई है. ऐसे में अंदर जाने में काफी मुश्किलें हैं.

उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार सुबह को आई तबाही के बाद पूरा फोकस सुरंग में फंसे हुए लोगों को बचाने में है. बीते तीन दिनों से यहां पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. आईटीबीपी, एसडीआरएफ, बीआरओ, एनडीआरएफ समेत सेना के जवान दिन- रात सुरंग से मलबा निकालने में लगे हुए हैं. रेस्क्यू टीम जैसे-जैसे सुरंग में अंदर जा रही है उनके लिए चुनौती और बढ़ती जा रही है. मलबा अधिक होने के कारण रेस्क्यू टीम सुरंग में अंदर जाने के लिए तीसरा रास्ता खोज रही।

रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौती

रेस्क्यू टीम के सामने सबसे बड़ी समस्या तपोवन में बनी निर्माणाधीन सुरंग के अंदर पहुंचना है. क्योंकि यहां पर 35 से ज्यादा लोगों के फंसे होने की सूचना है. समस्या ये है कि सुरंग दोनों तरफ से मलबे से अटी पड़ी हुई है. तीन दिनों में सिर्फ 150 मीटर का रास्ता ही साफ किया गया है. जबकि सुरंग की लंबाई ढाई किमी है और उसमें भी कई मोड़ हैं. ऐसे में अंदाजा नहीं लग पा रहा है मलबा कितनी दूर तक है.

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार भी पिछले तीन दिन से ग्राउंड जीरो पर ही डटे हुए थे. मंगलवार को ही वो देहरादून पहुंचे हैं. उन्होंने बताया है कि सुरंग से मलबा कब तक हटाया जा सकता है, इसके बारे में भी कुछ भी सटीक नहीं बताया जा सकता है. इंजीनियरों को टनल में जाने के लिए वैकल्पिक रास्ता बनाने को भी कहा है. आज इसका प्रयास करेंगे. मशीनें एक घंटे में 5 से 10 मीटर मलबा ही निकाल पा रही हैं.

सुरंग में फंसे लोगों के जीवित होने की उम्मीद

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि टनल 2.5 किलोमीटर लंबी है, इसलिए ये मत सोचें कि उसमें पानी और ऑक्सीजन जल्द खत्म हो जाएगा. इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जिस तरह से ग्लेशियर का सैलाब 20 मिनट तक चला उसके हिसाब से पानी वाला मलबा टनल के आधे हिस्से तक ही पहुंच सकता है. ऐसे में टनल में फंसे जो लोग दूर वाले छोर पर चले गए होंगे वह शायद जीवित हो सकते हैं.

दो पुलिसकर्मी सहित 31 के शव बरामद

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के मुताबिक अभी तक 31 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं, जिसमें से दो उत्तराखंड पुलिस के जवान हैं.

कई गांवों का संपर्क कटा

बाढ़ के साथ जो मलबा आया था उसमें नीती घाटी को जोड़ने वाले बीआरओ के पुल के अलावा कई छोटे पुल भी धरासाई हो गए थे. जिससे करीब 13 गांवों का संपर्क जिला और तहसील मुख्यालय से टूट गया है. हालांकि रोप पुल के सहारे उनको वैकल्पिक मार्ग आवाजाही के लिए दिया गया है. इसी रास्ते ग्रामीणों को राहत खाद्य सामग्री भेजी जा रही है.

मुख्यमंत्री भी पहुंचे देहरादून

आपदा प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी देहरादून पहुंच गए हैं. उन्होंने बताया कि 31 शव बरामद कर लिए गए हैं, जिसमें से दो शवों की पहचान हो पाई है. इसके साथ ही 175 लापता लोगों के रेस्क्यू का कार्य जारी है. पुल बहने के बाद जिन क्षेत्रों का संपर्क कट गया है वहां पर वैकल्पिक रास्ता तैयार किया गया है. खाद्य सामग्री और मेडिकल सुविधा पहुंचाने के लिए रास्ता तैयार हो गया है. ड्रिल करके टनल के अंदर जाने की कोशिश की जा रही है. जिसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.

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