जीआईजेड और आरएलजी सिस्टम्स इंडिया ने पर्यावरणीय चिंतायें दूर करने को आयोजित की ई- सफ़ाई कार्यशाला

जीआईज़ेड और आरएलजी सिस्टम्स इंडिया ने बढ़ती पर्यावरणीय चिंतायें दूर करने को ई- सफाई पहल में  आयोजित की कार्यशाला

नई दिल्ली, 31 अगस्त, 2023: भारत में इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-कचरा) के गंभीर खतरे को देखते हुए, डॉयचे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल ज़ुसामेनरबीट (जीआईजेड) जीएमबीएच और आरएलजी सिस्टम्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड 31 अगस्त, 2023 को “सेटिंग अप इनोवेटिव वैल्यू चैन फॉर ई -वेस्ट मैनेजमेंट (ई-सफाई)” पहल में “सेनारिओ ऑफ़ डिपाजिट रिफंड स्कीम फॉर ई-वेस्ट मैनेजमेंट इन इंडिया” नामक एक कार्यशाला आयोजित करने क्लेरिजेस होटल, नई दिल्ली में एक साथ आए। आयोजन जर्मन संघीय आर्थिक सहयोग और विकास मंत्रालय (बीएमजेड) से समर्थित था। कार्यशाला का आयोजन विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और इंडस्ट्री लीडर्स को एक साथ लाने के लिए किया गया था ताकि ई-कचरे के गंभीर मुद्दे को सामूहिक रूप से संबोधित किया जा सके और भविष्य के लिए एक स्थायी रास्ता तलाशा जा सके। कार्यशाला में डीआरएस अवधारणा और भारत के ई-कचरा परिदृश्य के लिए संभावित प्रभावों की व्यापक समझ प्रदान की गयी।
इस कार्यक्रम में सुश्री राधिका कालिया, एमडी, आरएलजी सिस्टम्स इंडिया सहित कई प्रमुख हस्तियां उपस्थित थी। डॉक्टर संदीप चटर्जी, वरिष्ठ निदेशक एवं वैज्ञानिक, एमईआईटीवाई, भारत सरकार; डॉक्टर बीएमएस रेड्डी, वरिष्ठ पर्यावरण अभियंता, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति; डॉक्टर आरके शर्मा, पर्यावरण अभियंता, डीपीसीसी; और श्री गौतम मेहरा, निदेशक, फ्रैमेट्रिक्स कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड; श्री जय कुमार गौरव, वरिष्ठ सलाहकार, जीआईज़ेड इंडिया, और कई गणमान्य लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहे। गणमान्य व्यक्तियों ने ई-कचरे की बढ़ती मात्रा से उत्पन्न खतरे को पहचानने, सामूहिक जिम्मेदारी और कार्रवाई, और विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और इंडस्ट्री लीडर्स को एकजुट करने की आवश्यकता और प्रभावी ई-कचरा प्रबंधन के लिए ज्ञान और अंतर्दृष्टि के महत्व पर जोर दिया। यह स्वीकार किया कि जमा वापसी योजना जैसी नवीन रणनीतियों पर चर्चा गंभीर चुनौतियों को दूर करने और एक स्थायी भविष्य को आकार देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
कार्यशाला का उद्देश्य ई-कचरा प्रबंधन के बड़े ढांचे के भीतर एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में जमा वापसी योजना (डीआरएस) पर प्रकाश डालना था। गौरतलब है कि तेजी से हो रही तकनीकी प्रगति और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बढ़ती खपत के बीच ई-कचरे के मुद्दे ने दुनिया भर में ध्यान आकर्षित किया है। भारत सरकार द्वारा ई-कचरा प्रबंधन नियम 2016 के हिस्से के रूप में डीआरएस की शुरूआत इस चुनौती से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। हालाँकि, इसे निर्माताओं के लिए स्वैच्छिक रखा गया और इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया।
डीआरएस में एक सरल किन्तु प्रभावी तंत्र शामिल है:
जमा भुगतान: उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदते समय एक छोटी जमा शुल्क का भुगतान करते हैं, जो जिम्मेदार निपटान के लिए आर्थिक प्रोत्साहन के रूप में कार्य करता है।
संग्रह बिंदु: निर्दिष्ट संग्रह बिंदु स्थापित किए जाते हैं जहां उपभोक्ता अपने उपयोग किए गए इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को उनके जीवनचक्र के अंत में वापस कर सकते हैं।
उत्पाद वापसी: उपभोक्ताओं को संग्रह बिंदुओं पर उत्पाद वापस करने पर जमा शुल्क का रिफंड मिलता है।
पुनर्चक्रण: एकत्रित ई-कचरे को फिर ठीक से पुनर्चक्रित किया जाता है, जो संसाधन संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देता है।
ई-कचरा प्रबंधन के लिए डीआरएस के कार्यान्वयन से पर्याप्त लाभ मिलता है। यह एन्ड-ऑफ़-लाइफ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बेहतर ट्रैकिंग सुनिश्चित करता है, जिम्मेदार रीसाइक्लिंग प्रथाओं को बढ़ावा देता है, संसाधनों का संरक्षण करता है, रोजगार के अवसर पैदा करता है, और अवैध व्यापार और ई-कचरे के अनुचित निपटान का मुकाबला करता है। यह योजना उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाती है, कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी प्रयासों का समर्थन करती है, उत्पादन लागत कम करती है, डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करती है और पर्यावरण की सुरक्षा करती है।
कार्यशाला भारतीय संदर्भ में डीआरएस लागू करने की बारीकियों पर केंद्रित थी। इसमें हितधारकों की सहभागिता, एक निर्बाध रिफंड प्रक्रिया विकसित करने, उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने और मजबूत निगरानी और प्रवर्तन तंत्र स्थापित करने पर चर्चा पर जोर दिया गया। इस आयोजन में सहयोग को बढ़ावा देने और भारत के लिए एक स्वच्छ और हरित भविष्य तैयार करने के लिए सरकारी प्रतिनिधियों, निर्माताओं, रीसाइक्लिंग एजेंसियों और उपभोक्ताओं सहित प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए, आरएलजी सिस्टम्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की एमडी, सुश्री राधिका कालिया ने कहा, “देश में ई-कचरे की बढ़ती चुनौती तत्काल नवीन समाधानों की खोज की मांग करती है। इस कार्यशाला में चर्चा की गई ई-कचरा प्रबंधन के लिए डिपॉजिट रिफंड योजना (डीआरएफ) एक समाधान प्रदान करती है जो ई-कचरा प्रबंधन में प्रभावी ढंग से मदद कर सकती है और ई-कचरा समस्या को हल करने के उद्देश्य से समाधानों के एक बड़े समूह का हिस्सा बन सकती है। जिम्मेदार निपटान प्रथाओं को प्रोत्साहित करके और सस्टेनेबल एप्रोच को बढ़ावा देकर, यह योजना पर्यावरण के लिए सुरक्षा उपाय प्रदान करती है और एक अधिक जिम्मेदार और समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती है। वर्तमान नियम उचित संसाधन पुनर्प्राप्ति के लिए पुनर्चक्रण और डाउनस्ट्रीम रखरखाव पर जोर देते हैं। वर्तमान नियम द्वारा निर्धारित सिद्धांतों को बरकरार रखते हुए, हम भारत में एक मजबूत डिपॉजिट रिटर्न सिस्टम (डीआरएस) विकसित करने के सर्वोपरि महत्व को पहचानते हैं। मेरा विश्वास है कि अपने भागीदारों और हितधारकों के साथ सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, हम एक स्वच्छ और हरित भारत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।”

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