जबरन धर्मांतरण-निकाह में जावेद अंसारी की जमानत खारिज

धर्म की आड़ न लें: इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन स्वीकार्य नहीं

कोर्ट ने कहा कि संविधान सबको सम्मान से जीने का भी अधिकार देता है। सम्मान के लिए लोग घर छोड़ देते हैं, धर्म बदल लेते हैं। कोर्ट ने कहा कि जब व्यक्ति को अपने धर्म में सम्मान नहीं मिलता है तो वह दूसरे धर्म की ओर झुकता है। धर्म के ठेकेदारों को अपने में सुधार लाना चाहिए।

प्रयागराज 31 जुलाई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भारत का संविधान प्रत्येक बालिग नागरिक को अपनी मर्जी से धर्म अपनाने व पसंद की शादी करने की आजादी देता है। इस पर कोई वैधानिक रोक नहीं है। मगर सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करना स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के लिली थॉमस और इलाहाबाद हाईकोर्ट के नूरजहां बेगम केस में प्रतिपादित विधि सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि इस्लाम में विश्वास बिना  केवल शादी के लिए एक गैर मुस्लिम का धर्म परिवर्तन करना शून्य है।

जबरन धर्मांतरण कराकर हिंदू लड़की से निकाह करने के आरोपी जावेद की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि संविधान सबको सम्मान से जीने का भी अधिकार देता है। सम्मान के लिए लोग घर छोड़ देते हैं, धर्म बदल लेते हैं। कोर्ट ने कहा कि जब व्यक्ति को अपने धर्म में सम्मान नहीं मिलता है तो वह दूसरे धर्म की ओर झुकता है। धर्म के ठेकेदारों को अपने में सुधार लाना चाहिए। क्योंकि बहुल नागरिकों के धर्म बदलने से देश कमजोर होता है। विघटनकारी शक्तियों को इसका लाभ मिलता है।

धर्म में कट्टरता, भय व लालच का कोई स्थान नहीं

कोर्ट ने कहा, इतिहास गवाह है कि हम बंटे, देश पर आक्रमण हुआ और हम गुलाम हुए। सुप्रीम कोर्ट ने भी धर्म को जीवन शैली माना है और कहा है कि आस्था व विश्वास को बांधा नहीं जा सकता। इसमें कट्टरता, भय लालच का कोई स्थान नहीं है। कोर्ट ने कहा कि शादी एक पवित्र संस्कार है। शादी के लिए धर्म बदलना शून्य व स्वीकार्य नहीं हो सकता। कोर्ट ने इच्छा के विरुद्ध झूठ बोल कर धर्मांतरण करा निकाह करने वाले जावेद उर्फ जावेद अंसारी को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है।

पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया है कि उससे सादे व उर्दू में लिखे कागजों पर दस्तखत कराए गए। जावेद पहले से शादीशुदा था, उसने झूठ बोला और धर्म बदलवाया। बयान के समय भी वह डरी सहमी थी। याची का कहना था कि दोनों बालिग हैं। अपनी मर्जी से धर्म बदलकर शादी की है। धर्मांतरण कानून लागू होने से पहले ही धर्म बदल लिया गया था।

पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि वह 17 नवंबर 20 को शाम पांच बजे जलेसर बाजार गई थी। कुछ लोगों ने जबरन गाड़ी में बैठा लिया। उसे कुछ खिलाया गया, जिससे वह बेहोश हो गई। दूसरे दिन जब कुछ होश आया तो खुद को वकीलों की भीड़ में कड़कड़डूमा कोर्ट में पाया, वहीं कागजों पर दस्तखत लिए गए। 18 नवंबर को धर्मांतरण कराया गया, फिर कई जगहों पर ले गए। 28 नवंबर को निकाह कराया गया। मौका मिलने पर पुलिस को बुलाया। 22 दिसंबर को पीड़िता को पुलिस ने बरामद किया।

किस्सा क्या है

हिदू युवती को इस्लाम धर्म में परिवर्तित करने के केस में यूपी पुलिस ने किया 8 को गिरफ्तार: मुख्य आरोपित जावेद फरार

23 December, 2020

हिन्दू युवती का धर्मांतरण कराने वालों को एटा पुलिस ने किया गिरफ्तार (साभार: एटा पुलिस)

उत्तर प्रदेश पुलिस ने मंगलवार (दिसंबर 22, 2020) को 21 वर्षीय हिंदू लड़की को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने और फिर जबरन उसका निकाह कराने के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने आगरा क्रॉसिंग के पास से एक महिला सहित आठ आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

दरअसल, लड़की के पिता ने 17 नवंबर को शिकायत दर्ज की थी कि उनकी 21 वर्षीय बेटी कुछ सामान खरीदने के लिए बाज़ार गई थी, लेकिन उसके बाद वह वापस घर नहीं लौटी। लड़की की काफी खोजबीन करने के बाद पीड़ित पिता को पता चला कि उनकी बेटी को आरोपित द्वारा शादी के इरादे से अगवा किया गया और फिर उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है।

पुलिस के अनुसार, लड़की 17 नवंबर से लापता हुई थी। लेकिन उसके परिवार ने 17 दिसंबर को एक मामला दायर किया, जब उन्हें जावेद के वकील से एक पत्र मिला, जिसमें उन्होंने युवती का इस्लाम धर्म में परिवर्तन और एक अदालत में उसकी निक़ाह होने के बारे में बताया था।

बता दें कि हिंदू युवती का अपहरण और जबरन उसका धर्म परिवर्तन करने वाला मुख्य आरोपित जावेद फरार है। जबकि उसके 8 रिश्तेदारों को 22 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया गया था। जावेद के खिलाफ आईपीसी की धारा 366 और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के तहत मामला दर्ज किया गया।

वहीं अन्य गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान रामजनी, आमरीन, महमूद अली, महफूज अली, हैदर अली, अंतार हुसैन, अंसार हुसैन और शाहिद हुसैन के रूप में हुई है।

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