नहीं बनी बात: किसान अड़े कानून वापसी को,अगली बैठक आठ को

केंद्र और किसानों में नहीं बनी बात:किसान कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े, कहा- कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं होगी
नई दिल्ली 04 जनवरी। सरकार की तरफ से मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश मौजूद हैं। इस दौरान उन्होंने 2 मिनट का मौन रखकर आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि दी।

केंद्र और किसानों के बीच 8वें दौर की बातचीत में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया। विज्ञान भवन में करीब 4 घंटे चली बैठक के बाद किसानों ने कहा कि हमने केंद्र के सामने कृषि कानूनों की वापसी की ही बात रखी। बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं।

सोमवार की मीटिंग में MSP को कानूनी रूप देने के मुद्दे पर भी किसानों और केंद्र में सहमति नहीं बन पाई। हालांकि, सरकार और किसान 8 जनवरी को दोबारा बातचीत करने पर राजी हो गए है। मीटिंग के बाद राकेश टिकैत ने कहा, ‘8 जनवरी की बातचीत में भी हमारा मुद्दा MSP और कानूनों की वापसी ही रहेगा।’

किसानों ने फिर ठुकराया सरकारी खाना

सोमवार की मीटिंग के दौरान लंच में सरकार ने किसानों के लिए खाने की व्यवस्था की थी। लेकिन, किसानों ने सरकार का खाना खाने से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने लंगर का खाना ही खाया। किसानों की बैठक के दौरान करीब 200 लोगों का खाना लंगर से विज्ञान भवन पहुंचाया गया था। पिछली मीटिंग में भी किसानों ने लंगर का खाना ही खाया था। उस समय केंद्रीय मंत्रियों ने भी किसानों के साथ ही लंच किया था।

किसानों ने पिछली बैठक में सरकार का खाना नहीं खाया था। तब केंद्रीय मंत्रियों ने उनके साथ लंच किया था। इस बार भी किसानों के लिए लंगर से ही खाना लाया गया।

सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बरकरार, कृषि मंत्री बोले- हमें आशा है कि अगली बैठक में निकलेगा निष्कर्ष

किसान संगठनों और सरकार के बीच गतिरोध बरकरार है. आज आठवें दौर की बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगली बैठक में निष्कर्ष पर पहुंचेंगे. किसान संगठनों के साथ सरकार की आठवें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही. अब अगली बैठक आठ जनवरी को होगी. बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम चाहते थे कि किसान यूनियन तीन कानूनों के प्रावधान पर चर्चा करें. हम किसी भी समाधान तक नहीं पहुंच सके क्योंकि किसान यूनियन कानूनों को निरस्त करने पर अड़े रहे.
तोमर ने कहा कि आठ जनवरी की बैठक में हल निकलने की उम्मीद है. आज की वार्ता सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई लेकिन किसान संगठन एक बिंदु पर अटके रहे. कृषि मंत्री तोमर ने किसानों के साथ वार्ता में गतिरोध पर कहा कि ‘‘ताली दोनों हाथ से बजती है’’ यानी दोनों पक्षों को समाधान के लिये प्रयास करने की आवश्यकता है.
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कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार के मन में किसानों के लिए संवेदना है. सारे देश को ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय करेगी सरकार. बता दें कि बैठक की शुरुआत मौजूदा प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई.

किसान नेताओं ने क्या कहा?

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बैठक के बाद कहा कि कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं होगी. बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन कड़ाके की ठंड में पिछले 40 दिनों से जारी है. किसान कानून वापसी की मांग कर रहे हैं.
वहीं किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा,’हम केवल एमएसपी मुद्दे और कानूनों को निरस्त किए जाने पर ही चर्चा करेंगे, मुद्दे को सुलझाने की राह में सरकार का अहंकार आड़े आ रहा है.’ उन्होंने कहा,”तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के अलावा किसानों को कुछ भी मंजूर नहीं.”
किसान संगठनों के नेताओं ने बताया कि हम कृषि कानून निरस्त करने पर जोर दे रहे हैं और सरकार आंतरिक विचार विमर्श के बाद आयेगी. बैठक में किसान संगठन प्रारंभ से ही तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए थे जबकि सरकार की ओर से मंत्रियों द्वारा कानूनों के फायदे गिनाये गए .
सूत्रों ने बताया कि ऐसे में सिर्फ एक घंटे की बैठक के बाद दोनों पक्षों ने लंच किया. इस दौरान तीनों केंद्रीय मंत्रियों ने आगे का रास्ता निकालने के लिये चर्चा की जबकि किसान संगठन के नेताओं ने ‘लंगर’ के माध्यम से आया भोजन खाया.
हालांकि 30 दिसंबर की तरह आज केंद्रीय नेता लंगर के भोजन में शामिल नहीं हुए और भोजनावकाश के दौरान अलग से चर्चा करते रहे.
पहले घंटे की बातचीत के दौरान सिर्फ तीनों कृषि कानूनों को लेकर चर्चा हुई और अनाज खरीद से जुड़ी न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली को कानूनी गारंटी देने की महत्वपूर्ण मांग पर चर्चा नहीं हुई.
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दो मसले अब भी अनसुलझे, आज नहीं बनी बात तो आगे क्या होगा?

अपडेट्स

मीटिंग में आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया।
किसान आंदोलन के समर्थन में पंजाब और हरियाणा में रिलायंस जियो के टावर और ऑफिसों में पिछले दिनों काफी तोड़फोड़ हुई थी। रिलायंस ने सोमवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। कंपनी ने कहा कि सरकार को तुरंत दखल देकर गुंडागर्दी रोकनी चाहिए।

30 दिसंबर की मीटिंग में 2 मुद्दों पर सहमति बनी थी

1. पराली जलाने पर केस दर्ज नहीं होंगे: अभी 1.करोड़ रुपए जुर्माना और 5 साल की कैद का प्रोविजन है। सरकार इसे हटाने को राजी हुई।
2. बिजली अधिनियम में बदलाव नहीं: किसानों को आशंका है कि इस कानून से बिजली सब्सिडी बंद होगी। अब यह कानून नहीं बनेगा।

…इसलिए किसानों की उम्मीद बढ़ी और रुख नरम हुआ था
2 मुद्दों पर सहमति बनने के बाद किसानों के रुख में नरमी दिखी और उन्होंने 31 दिसंबर को होने वाली ट्रैक्टर रैली को टाल दिया था।

पिछली 7 में से सिर्फ 1 बैठक का नतीजा निकला

पहला दौरः 14 अक्टूबर

क्या हुआः मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।

दूसरा दौरः 13 नवंबर

क्या हुआः कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

तीसरा दौरः 1 दिसंबर

क्या हुआः तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।

चौथा दौरः 3 दिसंबर

क्या हुआः साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।

5वां दौरः 5 दिसंबर

क्या हुआः सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।

6वां दौरः 8 दिसंबर

क्या हुआः भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।

7वां दौर: 30 दिसंबर

क्या हुआ: नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद कायम, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।

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