खाद्य तेल आयात के 700 अरब रु. जा सकते हैं किसानों के खाते

मोदी की मुख्यमंत्रियों से चर्चा:PM बोले- हम 70 हजार करोड़ का खाद्य तेल बाहर से लाते हैं,यह पैसा किसानों के खाते में जा सकता है
नई दिल्ली 20 फरवरी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की छठी मीटिंग को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबोधित किया। इसमें राज्यों के मुख्यमंत्री,केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) के एडमिनिस्ट्रेटर और लेफ्टिनेंट गवर्नर शामिल हुए। इस मीटिंग में मोदी का फोकस किसानों पर रहा।

मोदी ने कहा कि हम कृषि प्रधान देश कहे जाते हैं,उसके बावजूद भी आज करीब-करीब 65-70 हजार करोड़ रुपए का खाद्य तेल हम बाहर से लाते हैं। ये हम बंद कर सकते हैं। हमारे किसानों के खाते में ये पैसा जा सकता है। इन पैसों का हकदार हमारा किसान है,लेकिन इसके लिए हमारी योजनाएं उस प्रकार से बनानी होंगी।

मोदी के भाषण की खास बातें

हमारे किसान दुनिया को भी सप्लाई कर सकते हैं

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों हमने दालों में प्रयोग किया, उसमें सफलता मिली। दालों को बाहर से लाने में हमारा खर्च काफी कम हुआ है। ऐसी कई खाद्य चीजें बिना कारण हमारे टेबल पर आ जाती हैं। हमारे देश के किसानों को ऐसी चीजों के उत्पादन में कोई मुश्किल नहीं है। थोड़ा गाइड करने की जरूरत है और इसके लिए ऐसे कई कृषि उत्पाद हैं जिन्हें किसान न सिर्फ देश के लिए पैदा कर सकते हैं,बल्कि दुनिया को भी सप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि सभी राज्य अपनी एग्रो क्लाइमेटिक रीजनल प्लानिंग की स्ट्रैटजी बनाएं। उसके हिसाब से किसान को मदद करें।

कृषि एक्सपोर्ट बढ़ा, लेकिन हमारा पोटेंशियल कहीं ज्यादा
मोदी ने कहा कि बीते वर्षों में कृषि से लेकर पशुपालन और मत्स्यपालन तक एक होलिस्टिक अप्रोच अपनाई गई। इसका परिणाम है कि कोरोना के दौर में देश में कृषि निर्यात में काफी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन हमारा पोटेंशियल इससे कहीं अधिक ज्यादा है। हमारे प्रोडक्ट्स का वेस्टेज कम से कम हो, इसके लिए स्टोरेज और प्रोसेसिंग पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

केंद्र-राज्य मिलकर काम करें

मोदी ने कहा कि देश की प्रगति का आधार है कि केंद्र और राज्य साथ मिलकर कार्य करें और निश्चित दिशा में आगे बढ़ें। को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म को और अधिक सार्थक बनाना और यही नहीं हमें प्रयत्नपूर्वक कॉम्पीटीटिव,को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म को न सिर्फ राज्यों के बीच बल्कि ड्रिस्ट्रक्ट तक ले जाना है।

प्राइवेट सेक्टर की ऊर्जा का सम्मान करना है

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल के बजट पर जो पॉजिटिव रिस्पॉन्स आया,उससे मूड ऑफ नेशन का पता चलता है। युवा अब समय नहीं गंवाना चाहते। प्राइवेट सेक्टर विकास यात्रा में और आगे आ रहा है। सरकार के नाते प्राइवेट सेक्टर की ऊर्जा का सम्मान भी करना है और उसे आत्मनिर्भर भारत में उतना ही अवसर भी देना है।आत्मनिर्भर भारत एक ऐसे भारत की तरफ कदम है,जहां हर व्यक्ति को पूरी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा। हम केवल अपने लिए नहीं,विश्व के लिए उत्पादन करेंगे। इसके लिए हमें इनोवेशन को बढ़ाना होगा,शिक्षा के नए मौके देने होंगे।

‘1500 कानून खत्म किए’

मोदी ने रिफॉर्म्स पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हाल ही में ऐसे कई रिफॉर्म्स किए गए हैं,जो सरकार का दखल कम करते हैं। हमने 1500 कानून खत्म किए हैं। मैंने कहा है कि कंप्लायंस की संख्या कम हो। मैं दो चीजों का आग्रह करता हूं। आज हमें अवसर मिला है। इसमें ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की कोशिश रहनी चाहिए। इसके लिए कानूनों और व्यवस्थाओं में सुधार करना होगा। देश के लोगों के लिए ईज ऑफ लिविंग बिजनेस के लिए काम करना होगा। आपकी तरफ से देश को आगे ले जाने वाले विचारों का स्वागत रहेगा।

बैठक में उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को सरकार के आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम का हिस्सा बनने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया बताती है कि देश तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ना चाहता है। कृषि क्षेत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने ने कहा कि खाद्य तेल जैसी कृषि वस्तुओं के उत्पादन और उनके आयात को कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए। इससे किसानों को फायदा होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि इस बार के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए दिए फंड की भी काफी चर्चा हो रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाला ये खर्च देश की अर्थव्यवस्था को कई स्तर पर आगे बढ़ाने का काम करेगा और रोजगार के कई अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान, एक ऐसे भारत का निर्माण का मार्ग है जो न केवल अपनी आवश्यकताओं के लिए बल्कि विश्व के लिए भी उत्पादन करे और ये उत्पादन विश्व श्रेष्ठता की कसौटी पर भी खरा उतरे।

गरीबों के जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला

प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बैंक खाते खुलने, टीकाकरण और स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि, मुफ्त बिजली कनेक्शन और मुफ्त गैस कनेक्शन से गरीबों के जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है। 2014 के बाद से गांव और शहरों को मिलाकर 2 करोड़ 40 लाख से ज़्यादा घरों का निर्माण किया गया है। देश के 6 शहरों में आधुनिक तकनीक से घर बनाने का एक अभियान चल रहा है। एक महीने में नई तकनीक से अच्छे घर बनाने के नए मॉडल तैयार होंगे। पानी की कमी और प्रदूषित पानी से होने वाली बीमारी लोगों के विकास में बाधा न बने इस दिशा में मिशन मोड में काम हो रहा है। जल मिशन के बाद से साढ़े 3 करोड़ से भी अधिक ग्रामीण घरों को पाइप वाटर सप्लाई से जोड़ा जा चुका है।

कोरोना कालखंड में राज्य और केंद्र ने मिलकर काम किया

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि हमने कोरोना कालखंड में देखा कि कैसे राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर काम किया। इससे देश सफल हुआ। दुनिया में भारत की एक अच्छी छवि का निर्माण हुआ।आज जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है तब गवर्निंग काउंसिल की बैठक और महत्वपूर्ण हो गई है। मैं राज्यों से आग्रह करूंगा कि आज्दी के 75 वर्ष के लिए अपने-अपने राज्यों में समाज के सभी लोगों को जोड़कर समितियों का निर्माण हो। उन्होंने कहा कि भारत के विकास की नींव यह है कि केंद्र और राज्य एक साथ काम करते हैं और एक निश्चित दिशा की ओर बढ़ते हैं और कोऑपरेटिव फेडरलिज्म को और अधिक सार्थक बनाते हैं। यही नहीं, हमें न केवल राज्यों बल्कि जिलों में भी प्रतिस्पर्धी, कोऑपरेटिव फेडरलिज्म लाने की कोशिश करनी होगी।

विभिन्न सेक्टर के लिए पीएलआइ स्कीम शुरू

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने विभिन्न सेक्टर के लिए पीएलआइ स्कीम शुरू की हैं। देश में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने का बेहतरीन अवसर है। राज्यों को इस स्कीम का पूरा लाभ लेते हुए अपने यहां ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करना होगा । कॉरपोरेट टैक्स की दरें कम करने का लाभ भी राज्यों को उठाना चाहिए।

शिवराज समेत अन्य मुख्यमंत्री हुए शामिल

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे समेत अन्य नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया। इसमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक में शामिल नहीं हुईं। । इससे पहले भी वे नीति आयोग की बैठकों को निरर्थक बताते हुए उनमें शामिल नहीं हुई हैं। उनका कहना है कि इस संस्था के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं और यह राज्य की योजनाओं में कोई मदद नहीं दे सकती है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बीमार होने से बैठक में शामिल नहीं हुए। पीएमओ के अनुसार इस बैठक में केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार लद्दाख शामिल हुआ।

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