मत: देवबंद,नदवा में पढाई जा रही ग़लत कुरान: प्रो. डॉ. फलाही

 

Dalit Muslim Status: देवबंद-नदवा में गलत पढ़ाते हैं कुरान, मुस्लिम विद्वान के दावे से मची सनसनी!
Discrimination In Islam: प्रोफेसर फलाही ‘इस्लामिक सेमिनरी नदवा और देवबंद में भेदभाव’ (Discrimination in Islamic Seminary Nadwa and Deoband) विषय पर अपनी बात रख रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस्लामिक सेमिनरी नदवा और देवबंद में कुरान की गलत व्याख्या पढ़ाई जा रही है.

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के प्रोफेसर डॉक्टर मसूद फलाही दलित पसमांदा सामूहिक न्याय परियोजना (Dalit Pasmanda Collective Justice Project) के एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस्लामिक सेमिनरी नदवा और देवबंद ने कुरान की गलत व्याख्या कर इस्लाम में जातिवाद को मजबूत किया है. प्रोफेसर फलाही शुक्रवार को दलित पसमांदा सामूहिक न्याय परियोजना द्वारा ‘इस्लामिक सेमिनरी नदवा और देवबंद में भेदभाव’ (Discrimination in Islamic Seminary Nadwa and Deoband) विषय पर आयोजित वेबिनार में बोल रहे थे.

इस्लाम में बढ़ता जातिवाद

वेबिनार के मुख्य वक्ता डॉक्टर मसूद फलाही ने वेबिनार को संबोधित करते हुए देवबंद मदरसा की स्थापना के पीछे की विचारधारा पर प्रकाश डाला. यह देखते हुए कि देवबंद सेमिनरी की उत्पत्ति के पीछे मुख्य विचार अशरफ का उत्थान था, जो उच्च जाति के मुसलमान थे, उन्होंने कहा कि देवबंद सेमिनरी के संस्थापक और धर्मशास्त्री जैसे मुहम्मद कासिम नानौतवी, रफीउद्दीन देवबंदी, सैय्यद मुहम्मद आबिद, जुल्फिकार अली देवबंदी हैं. जाति के आधार पर भेदभावपूर्ण फतवे दिए गए हैं जो मुस्लिम समाजों में जातिगत भेदभाव और उच्च जाति के वर्चस्व को कायम रखने की पुष्टि करते हैं।

मुस्लिमों की पवित्र किताब कुरान का हवाला देते हुए डॉक्टर फलाही ने कहा कि कुरान कहता है कि सभी व्यक्ति समान हैं और केवल अल्लाह ही सर्वोच्च है लेकिन देवबंद सेमिनरी के धर्मशास्त्रियों ने कुरान की व्याख्या की थी और पसमांदा पर हावी सैयद, शेख और पठानों को उच्च दर्जा दिया था. उन्होंने आगे कहा कि सभी मुस्लिम संगठनों के सदस्य उच्च जाति से हैं जो उन्हें पसमांदा मुसलमानों पर अपना वर्चस्व बनाए रखने में मदद करते हैं.

 

डॉ मसूद फलाही ने किया शुक्रिया

 

डॉक्टर मसूद फलाही ने कहा कि मुस्लिम समाज में जातिगत भेदभाव की जड़ें इतनी गहरी हैं कि यह दोनों सदस्यों के बीच संबंधों की लंबी अवधि के बाद भी अंतर-जातीय निकाह को अमान्य कर देता है. फलाही ने वेबिनार का समापन उपयोगी चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करने और जानकारी बढ़ाने के लिए डीपीसीजेपी को धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया.

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