कोरोना पता करने को सीटी स्कैन खतरनाक भी कम नहीं, डॉक्टर गुलेरिया ने चेताया

कोरोना का पता लगाने के लिए CT-Scan करवाना कितना खतरनाक? एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सीटी स्कैन करवाने वालों की संख्या बढ़ गई है. दरअसल कई लोगों को कोरोना के लक्षण होने के बाद भी उनका कोविड टेस्ट निगेटिव आ रहा है, जिसके बाद डॉक्टर उन्हें सीटी स्कैन कराने की सलाह दे रहे हैं.

नई दिल्ली 03 मई: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बड़ी संख्या में लोग सीटी स्कैन करवा रहे हैं. दरअसल, कई लोगों को कोरोना के लक्षण होने के बाद भी उनका कोविड टेस्ट निगेटिव आ रहा है जिसके बाद डॉक्टर उन्हें सीटी स्कैन कराने की सलाह दे रहे हैं. लेकिन एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि अगर कोरोना के हल्के लक्षण हैं तो सीटी स्कैन कराने की कोई जरूरत नही है. डॉक्टर गुलेरिया का कहना है कि सीटी स्कैन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. इसे कराने के बाद कैंसर की संभावना बढ़ सकती है.

डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, ‘सीटी स्कैन और बायोमार्कर का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर हल्के लक्षण हैं तो सीटी स्कैन कराने का कोई फायदा नहीं है. एक सीटी स्कैन 300 चेस्ट एक्स रे के बराबर होता है. यह बहुत हानिकारक है.’ एम्स के निदेशक ने कहा कि आजकल बहुत ज्यादा लोग सीटी स्कैन करा रहे हैं. जब सीटी स्कैन की जरूरत नहीं है तो उसे कराकर आप खुद को नुकसान ज्यादा पहुंचा रहे हैं क्योंकि आप खुद को रेडिएशन के संपर्क में ला रहे हैं. इससे बाद में कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है.
इसके साथ ही डॉक्टर गुलेरिया ने होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को सलाह दी कि वे अपने डॉक्टर से संपर्क करते रहें. सेचुरेशन 93 या उससे कम हो रही है, बेहोशी जैसे हालात हैं, छाती में दर्द हो रहा है तो एकदम डॉक्टर से संपर्क करें.
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया को एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन (फेफड़े से संबंधित रोगों) के विभागाध्यक्ष रहते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति संबंधी समिति (एसीसी) ने 2017 में पांच साल के लिए एम्स का निदेशक नियुक्त किया था।

डॉक्टर गुलेरिया पल्मोनरी मेडिसिन और क्रिटिकल केयर में सुपर स्पेशियलिटी डिग्री डीएम (डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन) हासिल करने वाले देश के पहले डॉक्टर हैं। सांस की बीमारियों व फेफड़े के कैंसर के इलाज व शोध में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

फेफड़े के कैंसर, अस्थमा आदि बीमारियों पर उन्होंने 400 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित किए हैं। वह सरकार की चिकित्सा से संबंधित कई सलाहकार समितियों के सदस्य भी हैं। उनकी उपलब्धियों के मद्देनजर ही केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

मूलरूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले डॉक्टर गुलेरिया वर्ष 1992 में बतौर सहायक प्रोफेसर एम्स के मेडिसिन विभाग में शामिल हुए थे। उनके नेतृत्व में ही 2011 में एम्स में पल्मोनरी मेडिसिन का विभाग बना। इसमें सुपर स्पेशियलिटी कोर्स की शुरुआत हुई।

उनकी उपलब्धियों के मद्देनजर ही अमेरिका के रोग नियंत्रण केंद्र ने उन्हें इंफ्लुएंजा पर शोध के लिए बुलाया था। इसके अलावा वह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वैज्ञानिक सलाहकार समूह के भी सदस्य रह चुके हैं। वह 2007 से अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सलाहकार हैं।

देश में बर्ड फ्लू, इबोला आदि बीमारियों की निगरानी के लिए गठित संयुक्त निगरानी समिति के सदस्य हैं। 1998 से 2004 तक वह तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तिगत चिकित्सक भी रह चुके हैं। वह अंत तक उनका इलाज करते रहे। एम्स में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का इलाज भी उन्होंने ही किया था।

12 राज्यों में 1 लाख से ज्यादा सक्रिय मामले

वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश में अब तक 81.77% लोग ठीक हुए हैं. देश में करीब 34 लाख सक्रिय मामलों की संख्या बनी हुई है. अब तक संक्रमण से 2 लाख के करीब मृत्यु दर्ज की गई है. पिछले 24 घंटे में देश में 3,417 लोगों की मृत्यु दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि देश में 12 राज्य ऐसे हैं जहां 1 लाख से भी ज्यादा सक्रिय मामले हैं. 7 राज्यों में 50,000 से 1 लाख के बीच सक्रिय मामलों की संख्या बनी हुई है. 17 राज्य ऐसे हैं जहां 50,000 से भी कम सक्रिय मामलों की संख्या बनी हुई है.

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