उपनल, पुलिस और कोरोना स्वास्थ्यकर्मियों से न्याय करे सरकार:प्रीतम

देहरादून 20 अप्रैल 2021। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कोरोना संक्रमण काल के दौरान राज्य सरकार के फैसलों की निंदा करते हुए एक विज्ञप्ति के माध्यम से उत्तराखण्ड सरकार पर कडा हमला बोला। प्रीतम सिंह ने कहा कि यह अचरज की बात है कि राज्य सरकार संवेदनहीनता की सारी हदों को पार कर चुकी हैं। एक तरफ तो 55 दिनों तक आन्दोलनरत रहे उपनलकर्मियों की राज्य सरकार से कोई सुध नही ली जाती और जब एक तरफ सरकार के मंत्री उपनलकर्मियों को बेहतर भविष्य के सपने दिखाते हैं और उन्हें नियमितीकरण का आश्वासन देकर आते हैं। वहीं, दूसरी ओर राज्य सरकार ने 400 उपनलकर्मियों के ऊपर मुकदमा लगा दिया है। प्रीतम सिंह ने पूछा कि ये सरकार का दोहरा चरित्र नही तो और क्या है? उन्होंने सरकार से मुकदमा वापस लेने को कहा।
उत्तराखण्ड पुलिसकर्मियों को मायूस करने वाले सरकार के आदेश की भी प्रीतम सिंह ने कडे शब्दों में निन्दा की। प्रमोशन नही होने पर मिलने वाले ग्रेड-पे में सरकार ने भारी कटौती कर दी है, पुलिस कान्सटेबल को 20 साल की सेवा देने के बाद भी 4600 ग्रेड पे नही बल्कि 2800 रूपये का ही ग्रेड-पे दिया जाएगा। इस फैसले से प्रदेश के लगभग 3500 कांस्टेबल प्रभावित होगें। प्रीतम सिंह ने कहा कि पूरे कोरोना काल में अपनी जान हथेली पर रखकर सेवा देने वाले पुलिसकर्मियों को प्रोत्साहन देने के बजाए सरकार का यह रवैया न सिर्फ निंदनीय है बल्कि पुलिसकर्मियों का मनोबल तोडनें वाला है। प्रीतम सिंह ने सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा।
प्रीतम सिंह ने कहा कि जब पिछले साल कोरोना ने देश में दस्तक दी और सब अपने घरों में कैद हो गए उस वक्त कुछ लोगों ने हिम्मत दिखाते हुए स्वास्थ्य महकमें में सेवाएं देने के लिए अनुबन्ध में अपनी रजामंदी दी थी। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने उन लोगों को यह आश्वासन दिया था कि संकटकाल में सरकार को सहयोग करने के बदले उन्हें विभागों में समायोजित किया जाएगा। लेकिन जैसे-जैसे प्रदेश के हालात बेहतर होने लगे और मरीजों की संख्या घटने लगी तो राज्य सरकार ने संवेदनहीनता दिखाते हुए एक झटके में इन लोगो को काम से निकाल दिया गया। नर्सिंग स्टाॅफ के रूप में कोरोना काल के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर सेंवाएं देने वाले युवक व युवतियां हताश और निराश होकर सब जगह अपनी गुहार लेकर गए लेकिन सरकार ने उनकी एक न सुनी। आज जब फिर प्रदेश के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, खासकर कि स्वास्थ्य महकमें की लचर व्यवस्थायें चिन्ता का विषय बनी हुई हैं । एैसे में आज फिर जरूरत है कि राज्य सरकार उस बैकलाॅग को भरे तथा उन लोगों को पुनः काम पर रखा जाए।

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