ओल्ड पैंशन स्कीम पर केंद्रीय वित्त आयोग का वीटो: विपक्ष इसे बना रहा भाजपा विरोधी हथियार

ओल्ड पेंशन स्कीम रोकी जा सकती है!:राजस्थान को चाहिए 41 हजार करोड़; केंद्रीय वित्त आयोग नाराज, देशभर में राजनीतिक बवाल

जयपुर 12 दिसंबर ( उपेंद्र शर्मा)ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) पर टेंशन जारी है। केन्द्रीय वित्त आयोग के चेयरमैन एन.के. सिंह ने इसे देश की अर्थव्यवस्था और प्रदेश की माली हालत के लिए अन्यायपूर्ण करार दिया है। सिंह इस विषय में सभी राज्य सरकारों को कड़ी आपत्तियां जताते हुए चेतावनी पत्र भेज रहे हैं।

आयोग ने इस स्कीम पर दिल्ली में अपनी आंतरिक बैठक में नाराजगी जाहिर की है। हाल ही नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने भी स्कीम पर आपत्तियां उठाई थीं।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मार्च-2022 में प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू किया। स्कीम अब पूरे देश में राजनीतिक बवाल बनने वाली है।

वर्तमान में देश में 15वां वित्त आयोग कार्यरत है। आयोग राज्यों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार केन्द्रीय वित्तीय भंडार से पैसा योजनाओं के लिए आवंटित करता है। ऐसे में आयोग का ओल्ड पेंशन स्कीम को अन्यायपूर्ण करार देना राजस्थान, छ्त्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सहित पंजाब की आप (आम आदमी पार्टी) व झारखंड की झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) सरकारों के लिए झटका साबित होने वाला है।

सूत्रों का कहना है कि जल्द ही वित्त मंत्रालय के स्तर पर एक गाइडलाइन ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए तय हो सकती है। केन्द्र सरकार चाहे तो राज्यों को इसे लागू करने से रोक भी सकती है। या फिर राज्यों को विभिन्न मदों के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता को रोका या खत्म किया जा सकता है।

केंद्रीय वित्त आयोग के चेयरमैन एन.के. सिंह जिन्होंने कड़ी आपत्तियां दर्ज करवाई हैं। राजस्थान सहित विभिन्न प्रदेश सरकारों की ओर से ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने पर ये आपत्तियां उठाई गई हैं।
केंद्रीय वित्त आयोग के चेयरमैन एन.के. सिंह जिन्होंने कड़ी आपत्तियां दर्ज करवाई हैं। राजस्थान सहित विभिन्न प्रदेश सरकारों की ओर से ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने पर ये आपत्तियां उठाई गई हैं।

हिमाचल में ओपीएस की घोषणा

हिमाचल प्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को हिमाचल सरकार के शपथ ग्रहण के बाद ऐलान किया है कि उनकी कैबिनेट की पहली बैठक में ही ओल्ड पेंशन स्कीम को प्रदेश में लागू करने का आदेश जारी किया जाएगा।

हिमाचल प्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु ने राहुल गांधी की मौजूदगी में रविवार को पद की शपथ ली और स्कीम को लेकर घोषणा की।

मोदी बोले- ऐसी स्कीम शॉर्टकट पॉलिटिक्स

उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपुर में रविवार को एम्स और एक्सप्रेस हाईवे की नींव रखने के दौरान इस तरह की स्कीम को शॉर्ट कट पॉलिटिक्स का नाम दिया। कहा कि राजनीतिक दलों को इससे बचना चाहिए। वरना इस तरह की राजनीति देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर देगी।

रविवार को नागपुर में एक्सप्रेस हाईवे और एम्स की नींव रखने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के करदाताओं का पैसा देश के विकास में खर्च करना चाहिए।

राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत न केवल ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर उत्साहित हैं, बल्कि वे तमाम राज्यों में कांग्रेस के घोषणा पत्र में इसे शामिल करवा चुके हैं। उन्होंने हाल ही कहा है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के वादे ने असर दिखाया है, वहां कांग्रेस की सरकार बनी है।

राहुल गांधी ने की स्कीम की तारीफ

राहुल गांधी भी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इस स्कीम की तारीफ कर चुके हैं। राहुल गांधी और गहलोत ने गुजरात के चुनावों में भी इस ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का वादा किया था, हालांकि वहां कांग्रेस की रिकॉर्ड तोड़ हार हुई है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने तो 10 दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर पूरे देश में ओपीएस लागू करने की मांग भी कर डाली है। इस स्कीम को राजस्थान में लागू तो कर दिया है, लेकिन राजस्थान के राज्य वित्त आयोग को करीब 41 हजार करोड़ रुपयों की जरूरत केन्द्र से पड़ेगी।

राजस्थान कैडर के अब तक सबसे सफल ब्यूरोक्रेटिक कॅरियर वाले आईएएस अफसर राजीव महर्षि जो राजस्थान के मुख्य सचिव भी रहे और केंद्रीय वित्त सचिव व कैग के निदेशक भी, ने  बताया कि ओल्ड पेंशन स्कीम किसी भी तरह से संभव नहीं है।

राजीव महर्षि बोले- यह स्कीम फाइनेंशियल डिजास्टर

राजस्थान कैडर के रिटायर्ड आईएएस अफसर राजीव महर्षि जो कैग के निदेशक, पूर्व केन्द्रीय वित्त सचिव और राजस्थान के मुख्य सचिव जैसे पदों पर रहे हैं, उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत की ओर से मार्च-2022 में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करते ही इसे वित्तीय आपदा का नाम दिया था। उन्होंने विभिन्न प्लेटफॉर्म पर लेख लिखकर देश के आर्थिक चक्र के लिए इसे एक ब्रेक बताया था।

महर्षि ने तब कहा था- राज्यों व केन्द्र दोनों के लिए यह स्कीम वित्तीय आपदा साबित होगी। क्योंकि देश के पास इतना पैसा नहीं है कि वो सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल पर खर्च किए जाने वाला पैसा सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देने पर खर्च करे।

महर्षि ने इस मुद्दे पर सोमवार को बताया कि किसी भी तरह से किसी भी राज्य के लिए यह फाइनेंशियल सस्टेनेबल (वित्तीय रूप से आगे तक चलने योग्य) नहीं है। कोई भी राज्य सरकार इसे लागू करना चाहे तो वो इससे पहले यह भी बताएं कि उसके पास वित्तीय संसाधन कहां हैं।

ज्योति किरण ने कहा- दिवालियापन की तरफ बढ़ने वाला कदम

राजस्थान के वित्त आयोग की पूर्व चेयरमैन डॉक्टर ज्योति किरण ने बताया कि राजस्थान और हिमाचल, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि तो बहुत पिछड़े राज्य हैं और इन पर सार्वजनिक ऋण ही इतना ज्यादा है कि यह ओपीएस इनकी अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगी। यह दिवालियापन की तरफ बढ़ने वाला कदम है।

वित्त आयोग के चेयरमैन ने याद दिलाई पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की संसद में की  बहस

वित्त आयोग के चेयरमैन एन.के. सिंह रिटायर्ड आईएएस हैं और केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव के पद पर रहे हैं। वे बिहार से 2008-2014 के बीच राज्यसभा सांसद भी रहे हैं। वे राज्य सरकारों को जो अपनी राय भेज रहे हैं, उनमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के तर्कों का हवाला दिया है।

सिंह के अनुसार वर्ष 2003-04 में जब देश की संसद में कानून बनाकर ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म किया गया था, तब इसके पक्ष में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ही बेशकीमती तर्क दिए थे। मनमोहन सिंह उसके बाद 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे, लेकिन उन्होंने कभी इस स्कीम को फिर से लागू करने की बात नहीं की क्योंकि अर्थशास्त्री के रूप में वे जानते थे कि यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए डिजास्टर (आपदा) साबित होगी।

कांग्रेसी अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलुवालिया सहित हाल ही में नीति आयोग चेयरमैन सुमन बेरी ने भी चेताया था राज्य सरकारों को,नीति आयोग के चेयरमैन सुमन बेरी ने भी चेताया था

यूपीए सरकार (2004-2014) के बीच कांग्रेसी थिंक टैंक के लगभग 10 साल सदस्य रहे कांग्रेसी अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलुवालिया और केन्द्र सरकार के नीति आयोग उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने भी 15 दिन पहले ओल्ड पेंशन स्कीम को करदाताओं की जेबों को खाली करने वाली स्कीम बताया था।

उन्होंने राज्य सरकारों को चेताया था। नीति आयोग ने तो राज्य सरकारों को अपनी आपत्तियां भेज भी दी हैं। आयोग ने इस योजना को वित्तीय अनुशासनहीनता माना है।

क्या है ओल्ड पेंशन स्कीम और नई पेंशन स्कीम

ओल्ड पेंशन स्कीम पूरे देश में 31 मार्च 2004 तक लागू थी। एक अप्रैल 2004 से पूरे देश में केन्द्रीय व राज्य कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम लागू की गई। इसके लिए तत्कालीन एनडीए (भाजपा नीत) सरकार ने संसद में एक बिल पेश कर देश में ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म कर दिया।

इस बिल को मई-2004 में केन्द्र में सत्ता में आई यूपीए सरकार (कांग्रेस नीत) ने भी लगातार 10 वर्ष जारी रखा। बाद में 2014 से अब तक केन्द्र में स्थापित भाजपा सरकार ने भी इसे जारी रखा हुआ है।

ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी को सेवानिवृत्ति बाद भी हर महीने पेंशन राशि मिलती है, जबकि नई पेंशन स्कीम में सेवानिवृत्ति के बाद हर महीने मिलने वाली पेंशन राशि बंद हो जाती है।

इसके अलावा ओल्ड पेंशन स्कीम में पेंशन देने का खर्च सरकार उठाती है, वहीं नई पेंशन स्कीम में जिन कर्मचारियों को पेंशन चाहिए उन्हें इसका वित्तीय भार भी खुद ही उठाना पड़ता है।

दिल्ली में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग को लेकर देश भर के विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने हाल ही 8 दिसंबर को दिया था धरना।

सरकारी कर्मचारी हैं वोट बैंक, ओपीएस खारिज करना बड़ी चुनौती

देश भर में लगभग 2 करोड़ 25 लाख सरकारी कर्मचारी कार्यरत हैं। राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों की संख्या लगभग सात लाख 50 हजार है। राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत की घोषणा से पहले केवल डेढ़ लाख कर्मचारियों को ही ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ मिल रहा था।

अब गहलोत ने मार्च-2022 में इसे लागू कर दिया है, तो सभी साढ़े सात लाख कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ मिलना तय हो गया है। कर्मचारी जब भी सेवानिवृत्त होगा, उसे ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री गहलोत ने ओपीएस का लागू कर साढ़े सात लाख कर्मचारियों सहित उनके परिजनों के वोट बैंक को भी कांग्रेस सरकार के लिए साधने की कोशिश की है। यह संख्या करीब 35-40 लाख लोगों तक होती है।

कांग्रेस पार्टी इस स्कीम से 2023 में राजस्थान, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के चुनावों में लगभग एक करोड़ 25 लाख मतदाताओं (कर्मचारी व उनके परिजन) को लुभाना चाहती है। अगर वो कामयाब रही तो 2024 में पूरे देश में लगभग 10 करोड़ मतदाताओं पर सीधा असर डाल सकेगी।

राजस्थान की विधानसभा में में बजट-2022 पेश करने के दौरान ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा करते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत।

मुख्यमंत्री गहलोत के इस आइडिया को जन्म दिया था प्रियंका गांधी वाड्रा की घोषणा ने

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मार्च-2022 में हुए चुनावों में कांग्रेस की बागडोर प्रियंका गांधी ने संभाल रखी थी। प्रियंका ने तब प्रदेश के 22-23 लाख कर्मचारियों को सरकार बनने पर ओल्ड पेंशन स्कीम देने का वादा किया था। इस वादे को समाजवादी पार्टी की ओर से अखिलेश यादव ने भी कर्मचारियों के सामने रखा।

भाजपा ने ओल्ड पेंशन स्कीम का कोई वादा नहीं किया। उत्तर प्रदेश में सरकार भाजपा की बनी, लेकिन प्रियंका अब तक इस वादे पर टिकी हुई हैं। उन्होंने हाल ही हिमाचल प्रदेश के अपने चुनाव अभियान में भी इसे दोहराया था। प्रियंका का यह वादा राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने अपने बजट में पूरा किया था।

मुख्यमंत्री गहलोत के बाद ओपीएस को छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड में भी अपनाया

मुख्यमंत्री गहलोत ने बजट-2022 में ओपीएस की घोषणा करने के बाद उन्हीं की पार्टी कांग्रेस की सरकार ने छ्त्तीसगढ़ में भी मार्च-2022 में ही बजट में ओपीएस लागू करने की घोषणा की। छत्तीसगढ़ की घोषणा के बाद तीन महीने पहले पंजाब में भी मुख्यमंत्री भगवंत मान (आप पार्टी) ने भी कर्मचारियों के लिए ओपीएस की घोषणा कर दी है।

अब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी यह घोषणा कर दी है। आप पार्टी ने हाल ही गुजरात चुनावों में भी यह वादा किया था।

भाजपा की किसी भी सरकार ने ओपीएस लागू नहीं की

केन्द्र सरकार भाजपा की है और देश के 16 राज्यों में भाजपा सरकार में है। इस दौरान उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, पंजाब व मणिपुर में मार्च-2022 से लेकर अब तक सात राज्यों में चुनाव हो चुके हैं। इनमें से किसी में भी चुनाव के दौरान भाजपा ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा नहीं की है।

जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, उनमें भी यह घोषणा लागू नहीं की गई है। लेकिन हिमाचल के नतीजों में ओपीएस को एक मजबूत कारण कांग्रेस की जीत के लिए माना जा रहा है। ऐसे में भाजपा पर यह दबाव बढ़ता जा रहा है कि वो ओपीएस के विषय में अपनी राय हां या न के फॉर्मेट में जल्द स्पष्ट करे।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस विषय में जल्द अपनी राय रखेगा, हालांकि यह राय न के रूप में ही सामने आना तय माना जा रहा है।

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू की है। सरकार इसको सबसे बड़ी उपलब्धि मान रही है। कर्मचारी भी लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। हाल ही में OPS को लेकर केन्द्र सरकार की असहमति और आपत्तियां सामने आई हैं। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने यह आपत्तियां जताई हैं। इन्हें आयोग की ओर से सभी राज्यों को भेजा जा रहा है। नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं।

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