भाजपा विस्तारक हो रहे फेल, उप्र में हारी 14 सीटों की नहीं भेज रहे रपट

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भाजपा विस्तारक हो गए फेल, विपक्ष के गढ़ वाली सीटों पर नहीं दे सके रिपोर्ट, कैसे बनेगी लोकसभा चुनाव की रणनीति?
भाजपा ने उत्तर प्रदेश में मिशन 80 का लक्ष्य लेकर काम करना शुरू किया है। इसके लिए जीती हुई सीटों के साथ- साथ हारी सीटों को लेकर भी रणनीति तैयार की जा रही है। साथ ही विपक्ष के गढ़ वाली सीटों पर भी पार्टी की नजर है। इन स्थानों की रिपोर्ट पार्टी को नहीं मिल पाई है। विस्तारकों से संगठन ने रिपोर्ट मंगाई है।

लखनऊ 26 अक्टूबर: लोकसभा चुनाव 2019 में विपक्ष का गढ़ बन गईं 14 लोकसभा सीटों पर जमीनी रिपोर्ट बनाने के लिए भेजे गए विस्तारक फेल साबित हो रहे हैं। भाजपा की हारी हुई 14 लोकसभा सीटों में से चार लोकसभा सीटों मुरादाबाद, संभल, लालगंज और मैनपुरी में काम सुस्त चल रहा है। इन सीटों पर अब तक विस्तारकों की पूरी रिपोर्ट ही नहीं मिली। कुछ लोकसभा में आधे ही काम की रिपोर्ट मिली। सात लोकसभा सीटें ही ऐसी थीं, जहां भाजपा का काम संतोषजनक मिला है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल ने इन लोकसभा में भेजे गए विस्तारकों, लोकसभा प्रभारी और संयोजकों से जवाब मांगा है। इन्हें नए सिरे से जल्दी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 की रणनीति तैयार करने में जुटी है। इसमें मिशन 80 के लक्ष्य को हासिल करने को हर सीट पर पार्टी अलग रणनीति के साथ उतरने की प्लानिंग कर रही है।
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भाजपा ने 2019 में गठबंधन के साथ उत्तर प्रदेश में 80 में से 64 सीटें जीती थीं। इसके बाद हुए उपचुनाव में वह आजमगढ़ और रामपुर सीटें भी जीत गई थी। अब सिर्फ रायबरेली, लालगंज, संभल, मुरादाबाद, मैनपुरी, गाजीपुर, घोसी, श्रावस्ती, अमरोहा, बिजनौर, जौनपुर, नगीना, सहारनपुर और अम्बेडकरनगर यानी कुल 14 लोकसभा सीटें ही ऐसी बची हैं, जिसे भाजपा जीत नहीं सकी। भाजपा ने इन सीटों पर पिछले दो साल से काम करना शुरू कर दिया था। पहले सभी सीटों पर एक केंद्रीय मंत्री और एक पदाधिकारी को भेजा गया था। इसके बाद अब इन 14 लोकसभा की 84 विस्तारक भेजे गए हैं। इनमें 70 हारी हुई सीटों की विधानसभा में भेजे गए और 14 विस्तारक हर एक लोकसभा पर लगाए गए। इन विस्तारकों को 22 बिंदुओं पर काम करके रिपोर्ट तैयार करनी थी।

कमजोर बूथों की रिपोर्ट भी नहीं बनी

सभी लोकसभा सीटों पर भेजे गए इन विस्तारकों को सभी कमजोर बूथों पर जाकर रिपोर्ट बनानी थी। उन्होंने भाजपा की बूथ स्तर तक सामाजिक, जातीय समीकरण देखने, प्रभावशाली लोगों की सूची बनाने के साथ भाजपा संगठन की गतिविधियों की नियमित जानकारी को भी अपनी रिपोर्ट में दर्ज करना था। दरअसल, भाजपा का खास फोकस उन 22 हजार बूथों पर है, जहां भाजपा को जीत हासिल नहीं हुई थी। विस्तारकों को लोकसभा क्षेत्र में विधानसभावार सामाजिक समीकरणों की भी रिपोर्ट तैयार करनी थी। साथ ही क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों से मिलकर उनकी सूची तैयार बनानी थी।

रिपोर्ट में विधानसभा के हिसाब से जातिवार प्रभावशाली लोगों की सूची के साथ, मठ-मंदिरों के पुजारी, मुखिया, ग्राम प्रधान और बिरादरी के अगुवा लोगों की सूची को भी अपनी रिपोर्ट में शामिल करना था। रिपोर्ट में यह भी बताना था कि पिछले चुनावों में किस बूथ पर किस वजह से हार हुई? इनमें मुरादाबाद, श्रावस्ती, सहारनपुर और संभल लोकसभा में रिपोर्ट ही नहीं बनी। इसके अलावा श्रावस्ती, रायबरेली और और घोसी में भी रिपोर्ट में आधे काम ही दर्शाए गए हैं।

हारी सीटों पर इतना ध्यान क्यों दे रही BJP?

भाजपा को 2024 का लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए विपक्ष की जीती 14 सीटों को ही अपने पाले में करना है। भाजपा की अब सारी कोशिश विपक्ष की जीती हुई इन्हीं सीटों में सेंधमारी करने की है। इसके लिए भाजपा एक-एक बूथ पर काम कर रही है। इन सीटों पर विस्तारक भेजे गए हैं। इन सभी सीटों पर विपक्ष के पूर्व जनप्रतिनिधियों को भी साधने की कोशिश की जा रही है। सामाजिक-राजनीतिक रिपोर्ट तैयार की जा रही है। चूंकि इस वक्त पूरा विपक्ष एकजुट हो रहा है तो भाजपा उनके ही गढ़ वाली सीटों पर पूरा जोर लगा रही है।

भाजपा का यह भी मानना है कि अगर जीती हुई 66 सीटों में किसी भी सीट पर जोखिम होता है तो उसकी पूर्ति भी इन सीटों को जीतकर की जा सकती है। इसलिए भाजपा बीते दो साल से इन सीटों पर काम कर रही है। ऐसे में अगर इन सीटों पर किसी भी काम धीमा हो रहा है और विस्तारक जमीनी रिपोर्ट नहीं बना रहे रहे तो भाजपा के लिए यह चिंता का विषय है।

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