ठीक करना है भारत की प्रगति न पचा पाने वालों को: धनकड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बोले, भारत की प्रगति पचा नहीं पा रहे कुछ गिने चुने लोग,ठीक कीजिए उनकी पाचन शक्ति
उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रवादी चेतना और चिंतन के केंद्र हैं। कुछ पश्चिमी विश्वविद्यालय अनर्गल कारणों से हमारी संस्कृति और हमारी विकास यात्रा कलंकित करने में लगे हैं। आपकी विद्वता और संकल्प देखते हुए इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि भारत की संस्कृति कभी नीचे नहीं होगी ।आपको उनका प्रतिकार करना चाहिए।
हरिद्वार 23 दिसंबर: गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती और स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर वेद विज्ञान और संस्कृति महाकुंभ का शुभारंभ करते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और सृजन का प्रमुख केंद्र है।

उन्होंने शिक्षकों और छात्रों को प्रेरणा स्रोत, राष्ट्रवादी चेतना और चिंतन के केंद्र बताते हुए कहा कि कुछ पश्चिमी विश्वविद्यालय अनर्गल कारणों से हमारी संस्कृति और हमारी विकास यात्रा कलंकित करने में लगे हैं। आपकी विद्वता, संकल्प को देखते हुए इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि भारत की संस्कृति कभी नीचे नहीं होगी । आपको उनका प्रतिकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस महान देश में कुछ गिने चुने लोग हैं जो भारत की प्रगति पचा नहीं पा रहे हैं। आप उनकी पाचन शक्ति को ठीक कीजिए।

उन्होंने कहा कि वह हमारे ही हैं लेकिन भटके हुए हैं। उन्हें मातृ भाषा में समावेशी शिक्षा प्रणाली स्वीकार ही नहीं है। यह कैसी बात है। अब वह दिन दूर नहीं जब हर शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध होगी। ज्यादा से ज्यादा लोगों को वेदों से अवगत कराने पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारे राष्ट्र-निर्माण के लिए और विश्व के स्थायित्व को बहुत महत्वपूर्ण है।

नई शिक्षा नीति को सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए। भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म।
भारतीय ज्ञान परंपरा और वैदिक ज्ञान-विज्ञान पर विमर्श को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते उन्होंने कहा कि वेद विज्ञान महाकुंभ का यह पर्व हमें हमारे प्राचीन ज्ञान और विज्ञान के प्रति गर्व महसूस करने का अवसर देता है। उन्होंने जोर दिया कि हम अक्सर भूल जाते हैं कि हम कौन हैं लेकिन यदि थोड़ा अंदर झांकेंगे तो पता लगेगा कि विश्व में हमारा मुकाबला करने वाला और कोई देश नहीं है।

उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि 2047 तक भारत न सिर्फ विकसित राष्ट्र होगा बल्कि विश्व गुरु की अपनी प्रतिष्ठा फिर से हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि उनके सामने जो छात्र-छात्राएं हैं,वह 2047 के भारत के योद्धा हैं और निश्चित रूप से सफलता अर्जित करेंगे।

भारत की छवि धूमिल करने वालों के कुप्रयास करें कुंठित

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है। हमारी नई शिक्षा नीति हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप है। हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग देश की संस्कृति, गौरवमयी अतीत और वर्तमान विकास को लेकर अपमान का भाव रखते हैं,भारत की महान छवि को धूमिल करने में लगे हैं, उनके हर कुप्रयास को कुंठित करना हर भारतीय का परम दायित्व और कर्त्तव्य है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जो हमारी संस्कृति के विरोध में है राष्ट्रवाद के विरोध में है हमारे अस्तित्व के विरोध में है उन पर प्रतिघात होना चाहिए। भारतीय ज्ञान परंपरा और वैदिक ज्ञान विज्ञान का एकेडमिक विमर्श और अनुप्रयोग का अनिवार्य अंग बनाने के यह एक सार्थक प्रयास है।

प्रधानमंत्री मोदी के पंच प्रण के आह्वान का किया जिक्र

उपराष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से किए गए पंच प्रण के आह्वान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आने वाले 25 साल को देश को पंच प्रण पर अपनी शक्ति और संकल्प केंद्रित करने चाहिए। आप इसकी सार्थक शुरुआत कीजिए। उन्होंने कहा कि हमें गुलामी की हर सोच से मुक्ति का प्रयास करना चाहिए क्योंकि कुछ लोग अभी भी अंग्रेजियत के गुलाम हैं। इस संदर्भ में हालिया संसद सत्र में पारित तीन नए कानूनों- भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी कानूनों ने हमें जकड़ रखा था। हमारे लोग पिस रहे थे क्योंकि उन कानूनों का उद्देश्य था दंड विधान। भारत की संसद में प्रधानमंत्री की प्रेरणा से दंड विधान को न्याय विधान किया है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है।

भारतीय संसद ने महिला आरक्षण बिल पास कर रच दिया इतिहास

उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती महिला सशक्तिकरण के प्रबल समर्थक थे और 21 सितंबर को भारतीय संसद ने महिला आरक्षण बिल पास करके इतिहास रच दिया है। उन्होंने कहा कि इस बिल से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी।

अंतरिक्ष में भारत की बढ़ी ताकत

अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमने 23 अगस्त 2023 को घोषणा की कि 23 अगस्त राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा क्योंकि भारत वह पहला देश है जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान तीन उतारा है। ऐसा करने वाला यह अकेला देश है जिसने इतिहास रच दिया है। अब वहां शिव शक्ति पॉइंट भी है और तिरंगा पॉइंट भी है। भारत आज तेज गति से विकास यात्रा पर आगे बढ़ रहा है और यह अब बढ़त अजेय है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अब हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं। हमने यूके को पीछे छोड़ा है और अब जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ने वाले हैं।

छात्रों को नया संसद भवन देखने को किया आमंत्रित

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने ढाई साल में संसद के नाम नया भवन का निर्माण किया है। वह देखने लायक है। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी समविवि के शिक्षक और छात्रों को भारतीय संसद का नया भवन देखने को दिल्ली आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि उसमें आप भारतीयता और हमारे सदियों पुरानी संस्कृति की भरपूर झलक देखेंगे।

वर्षों से सुनता रहा हूं नाम, पहली बार आने का मिला मौका

उन्होंने कहा कि मां भारती के इस भू-भाग, देवभूमि उत्तराखंड में आना सौभाग्य की बात है। इस विश्वविद्यालय का वर्षों से नाम सुनता रहा हूं लेकिन आज पहली बार यहां आने का मौका मिला है। नाम से ही ऊर्जावान होता रहा हूं। आज यहां से एक बड़ा संकल्प लेकर जाऊंगा।

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