स्वदेशी सुरक्षा उपकरणों के विकास को आईआईटी और DRDO में संयुक्त R&D

आईआईटी रूड़की और डीफेन्स रीसर्च डेवलपमेन्ट ऑर्गेनाइज़ेशन (DRDO) के बीच संयुक्त आर एण्ड डी, स्वदेशी सुरक्षा उपकरणों के विकास में कारगर

रुड़की, 04,08,2022: डीफेन्स इलेक्ट्रोनिक्स ऐप्लीकेशन्स लेबोरेटरी (DEAL), डीफेन्स रीसर्च डेवलपमेन्ट ऑर्गेनाइज़ेशन (DRDO) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रूड़की (आईआईटी रूड़की) के बीच संयुक्त आर एण्ड डी गतिविधियों के परिणामस्वरूप प्रोग्रामेबल रेडियो की भावी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए स्वदेशी रेडियो फ्रिक्वेंसी पावर एम्प्लीफायर्स का विकास किया जा रहा है। इस शोध समूह का नेतृत्व प्रोफेसर करूण रावत, आईआईटी रूड़की तथा DEAL, DRDO से श्री पिनाकी सेन के नेतृत्व में वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के समूह द्वारा किया गया है, जिन्होंने ऐसे एम्प्लीफायर्स को डिज़ाइन किया है, जो उच्च क्षमता की आवश्यकताओं (थर्मल प्रबन्धन के लिए) को एक साथ पूरा करने में सक्षम हैं। इनका डिज़ाइन साइज़, वज़न और पावर (SWaP)के लिए अनुकूल है। ये एम्प्लीफायर युनिट्स शानदार परफोर्मेन्स देते हैं और विश्वस्तरीय निर्माताओं द्वारा बनाए गए ऐसे ही प्रोडक्ट्स को पीछे छोड़ उच्च दक्षता प्रदान करते हैं, साथ ही अच्छे हार्मोनिक एवं इंटरमॉड्युलेशन सप्रेशन को सुनिश्चित करते हैं।
स्वदेशी अवयवों की कमी आर एण्ड डी संस्थानों के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है, जैसे कि सैन्य बलों के लिए निर्धारित समय के अंदर सम्पूर्ण सुरक्षा उपकरणों को समेकित करना मुश्किल हो जाता है। विज्ञान और अकादमिक आर एण्ड डी के संयोजन के साथ आधुनिक तकनीक वाले डिज़ाइनों को विकसित किया जा सकता है। हालांकि, इस तरह की वैज्ञानिक जांच आर एण्ड डी लैब्स के साथ सहयोगपूर्ण प्रयासों के माध्यम से प्रोडक्ट-उन्मुख अभ्यास को बढ़ावा देती है।
दक्षता में सुधार लाने से हीट लोड में काफी कमी आएगी, जो आवश्यक फॉर्म फैक्टर में प्रोग्रामेबल रेडियो चेसीज़ में आसान इंटीग्रेशन को बढ़ावा देगी। इस युनिट को DEAL और DRDO की स्वदेशी रेडियो युनिट्स के साथ असेम्बल किया जाएगा तथा निजी घरेलू साझेदारों के द्वारा बड़े पैमाने पर इनका उत्पादन किया जाएगा।
संयुक्त रूप से प्रोडक्ट के विकास की इस प्रक्रिया के चलते दोनों संगठनों में आपसी तालमेल बना है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के मद्देनज़र भारतीय सैन्य बलों कि सुरक्षा उपकरणों को अपग्रेड करने में कारगर साबित होगा।
प्रो. अजीत के चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की, ने कहा, “मेक इन इंडिया के रक्षा तकनीकों के विकास का मार्गदर्शन करने के लिए एक शक्तिशाली बीकन के रूप में उभरने के साथ, हमें सरकारी अनुसंधान एजेंसियों, उद्योगों के साथ-साथ अकादमिक संस्थानों की ताकत का तालमेल बिठाने की जरूरत है। जिससे की भारत को प्रमुख रक्षा तकनीकों और प्रणालियों में वास्तव में वैश्विक खिलाड़ी बनाया जा सके ।”

 

श्री लाल चंद मंगल, डायरेक्टर, DEAL DRDO ने कहा, ‘‘अनुसंधान, डिज़ाइन एवं विकास में अपने अनुभव के साथ DEAL DRDO अब अकादमिक एवं उद्योग जगत के सहयोग से स्वदेशी भावी तकनीकों के विकास के लिए तैयार है और अपनी इस पहल के द्वारा देश की सुरक्षा प्रणाली को सहयोग प्रदान करने और इसमें तालमेल बनाए रखने के लिए प्रयासरत है।’
प्रोफेसर करूण रावत, डिपार्टमेन्ट ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड कम्युनिकेशन, आईआईटी रूड़की ने कहा, ‘‘तकनीकी अपग्रेडेशन के भारत के मिशन के मद्देनज़र, मौजूदा आर एण्ड डी मौजूदा क्षमताओं में सुधार और नई क्षमताओं के विकास में कारगर साबित होगी।’

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