पुण्य स्मरण: ‘भारत छोड़ो’ में बंदी बी.के. बनर्जी आजादी के बाद ही छूटे

…………………………………….. चरित्र-निर्माण, समाज-सुधार तथा राष्ट्रवादी जन-चेतना के लिए समर्पित *मातृभूमि सेवा संस्था* (राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत) आज देश के ज्ञात व अज्ञात राष्ट्रभक्तों को उनके अवतरण, स्वर्गारोहण व बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन करती है। 🙏🙏🌹🌹🌹🌹
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*🔥बसंत कुमार बनर्जी🔥*

✍️ डॉक्टर तारा चरण बैनर्जी और सुनैनी देवी जी के सबसे छोटे पुत्र क्रांतिकारी बनर्जी, परिवार के आठों भाइयों में सबसे छोटे थे। बसंत कुमार बनर्जी, छोटे होने के कारण बचपन से ही काफी लाड – प्यार से बड़े हुए लेकिन उनमें भी देश की भावना और देश के प्रति प्रेम बाकी भाइयों की तरह ही कूट-कूट कर भरी थी। किशोरावस्था में ही बसंत क्रांति की धारा में बह गए और वह स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े, जिसमें उनको काफी यातनाएं सहनी पड़ी । उन्होंने अंग्रेजी सरकार का जमकर विरोध किया। भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपने जीवन में वह कई बार जेल की यात्रा की। क्योंकि बसंत जी युवा थे और गरम दल के थे इसलिए भगत सिंह ,चंद्रशेखर आजाद बिस्मिल, राजगुरु ,सुखदेव आदि क्रांतिकारी दल के नेताओं की तरह, वह भी क्रांतिकारी गरम दल में थे। उनका कहना था कि हमें आजादी पाने के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़नी पड़ेगी, उनको मुंहतोड़ जवाब देना पड़ेगा। उसी दौरान वह फॉरवर्ड ब्लॉक में शामिल हुए। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से वह काफी प्रभावित थे और और वह सक्रिय रूप से फॉरवर्ड ब्लॉक में कार्य करने लगे।

📝सन् 1942 में असहयोग आंदोलन में वह जेल गए और आजादी के उपरांत उनको रिहा किया गया । जवाहरलाल नेहरु, नारायण दत्त तिवारी, के.सी पंत जैसे तमाम बड़े क्रांतिकारी उनके घनिष्ठ मित्र रहे। तत्कालीन गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह, सी.बी गुप्ता जी, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, जे बी कृपलानी, पंडित कमलापति त्रिपाठी उनके सहयोगियों में थे। फतेहगढ़ जेल में उनके साथ रवींद्र नाथ ठाकुर के भाई सोमेंद्र नाथ ठाकुर, गया षड्यंत्र केस के केशव शर्मा, आर. एस.सी.के सुरेश भट्टाचार्य, मन्मथन नाथ गुप्त, मोहित कुमार बनर्जी जो उनके सगे भाई थे, ये सभी उन्हीं के साथ जेल में थे। आजादी के उपरांत वह बनारस के पांडेय घाट अपने पैतृक निवास में रहने के बाद वह नैनीताल की तराई रुद्रपुर के गांव में खेतीवाड़ी कर अपना जीवन यापन करने लगे।आजादी के बाद भी उन्होंने देश की सेवा में अपने आप को जोड़े रखा। गांव के छोटे-छोटे बच्चे को निशुल्क शिक्षा देना, गांव के लोगों को जागरूक करना, गांव के लोगों को शिक्षित करना, ऐसे तमाम कार्य उन्होंने किये। 03 अक्तूबर 1995 में उन्होंने अपनी जन्मभूमि बनारस में अपनी अंतिम सांस ली। ऐसे राष्ट्रभक्त सपूत को मातृभूमि सेवा संस्था भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।🙏🙏🌹🌹

✍️ गौतम कुमार बैनर्जी
🇮🇳 *मातृभूमि सेवा संस्था 9891960477* 🇮🇳

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